10 Muharram Ke 3 Kaam
10 मुहर्रम (आशूरा के दिन) ये 3 काम ज़रूर करें
अल्लाह तआला ने 12 महीनों में चार महीने इह्तेराम के लायक़ बनाये हैं, उन में से एक Muharram का महीना है, और Muharram के महीने में ख़ास कर 10 तारीख जिसको आशूरा का दिन भी कहा जाता है इसकी हदीस में बड़ी फ़ज़ीलत आई है और दुसरे आम दिनों के मुकाबले में ये दिन बड़ी अहमियत रखता है
आज हम इसी दिन के बारे में बात करेंगे कि हमें इस में क्या करना चाहिए, और किन कामों की इस दिन बड़ी फ़ज़ीलत है, और किस तरह से इस दिन को हम एक नेक शख्स की तरह गुज़ार सकते हैं, तो सब से पहले ये जान लीजिये कि तीन काम 10 Muharram ( Yaume Ashoora ) को ज़रूर करने चाहिए
3 काम 10 Muharram ( Yaume Ashoora ) को ज़रूर करें
1. रोज़ा रखना
इस रोज़े में 3 बातें ख़ास हैं
1. एक साल के गुनाह माफ़
आशूरा के रोज़े की फ़ज़ीलत हदीस में कुछ इस तरह से आई है कि इस रोज़े की बरकत से अल्लाह तआला हमारे एक साल के सगीरा ( छोटे ) गुनाह माफ़ फ़रमा देते हैं
2. रमज़ान से पहले इसी रोज़े का फ़र्ज़ होना
रमज़ान का रोज़ा फ़र्ज़ होने से पहले इसी दिन ( आशूरा ) का रोज़ा फ़र्ज़ था लेकिन जब अल्लाह तआला ने रमज़ान के रोज़े फ़र्ज़ किये तो अल्लाह के नबी (सल्लल लाहु अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया : जो चाहे इस रोज़े को रखे और जो चाहे छोड़ दे
3. फ़िरऔन से नजात के शुक्राने पर ये रोज़ा रखा गया था
हज़रत इब्ने अब्बास (रज़ियल लाहु तआला अन्हु) रिवायत करते हैं कि : जब नबी करीम (सल्लल लाहू अलैहि वसल्लम) मक्का से हिजरत करके मदीना तशरीफ़ लाये तो आप ने यहूदियों को ये 10 Muharram का रोज़ा रखते देखा तो आप ने यहूदियों से पुछा कि तुम लोग इस दिन क्यूँ रोज़ा रखते हो ?
तो यहूदियों ने कहा : ये बड़ा अज़ीम दिन है, इस दिन अल्लाह तआला ने हज़रत मूसा (अलैहिस सलाम) और उनकी कौम को फ़िरऔन के अज़ाब से नजात दिलाई थी और फ़िरऔन व उसकी कौम को पानी में डुबो दिया था, तो मूसा (अलैहिस सलाम) ने शुक्राने के तौर पर इस दिन रोज़ा रखा था
ये सुनकर नबी करीम सल्लल लाहू अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : तुम्हारे मुकाबले में हम मूसा (अलैहिस सलाम) से ज़्यादा क़रीब हैं और शुक्राने के तौर पर रोज़ा रखने के ज़्यादा हक़दार हैं, फ़िर अल्लाह के नबी स.अ. ने ख़ुद भी रोज़ा रखा और दूसरों को भी तलकीन की, कि इस दिन रोज़ा रखें ( बुख़ारी, मुस्लिम)
2. दुआ करना
10 Muharram को अल्लाह तआला ने एक गुनाहगार कौम ( हज़रत यूनुस अलैहिस सलाम की कौम ) की तौबा क़ुबूल फरमाई थी और हज़रत आदम अलिहिस सलाम की भी तौबा क़ुबूल हुई थी तो ये दिन अपने गुनाहों को याद करके रोने का है जहन्नम से बच कर जन्नत की रास्ता बनाने का है, तो चलिए हम भी एक क़दम आगे बढ़ाएं
3. सदक़ा खैरात करना या खाना खिलाना
हदीस में आया है जो 10 Muharram के दिन अपना दस्तरख्वान फैला देता है अपने घर वालों पर अपने हाथों को खोल देता है तो अल्लाह तआला पूरे साल उसके रिज्क़ में बरकत अता फ़रमाते हैं ( यानि जो अल्लाह ने दिया है उस में से अपने घर वालों पर यतीमों मिसकीनों और मोहताजों पर जो ख़र्च करता है तो पूरे साल अल्लाह त आला उसके रिज्क़ में बरकत लिख देते हैं )
हज़रत जाबिर रज़ियल लाहू अन्हु फ़रमाते हैं कि हम ने इस चीज़ का मुशाहिदा किया है कि हमने कई साल तक आशूरा के दिन अपने घर वालों पर दुसरे दिनों से ज़्यादा ख़र्च किया, ग़रीबों और मिसकीनों को खाना खिलाया, अपने दस्तरख्वान को फैला दिया तो अल्लाह तआला ने पूरे साल हमारे रिज्क में बरकत का मामला अता फ़रमाया
इन तीन कामों के अलावा नमाज़ ज़िक्र तस्बीह दुरूद शरीफ़ वगैरा से इस दिन को पुरनूर बनाइये और अल्लाह के यहाँ प्रोमोशन पाइए और दूसरी ऐसी चीज़ों से जिसका दीं से ताल्लुक़ न हो उससे बचिए क्यूंकि इस्लाम में जितना अच्छे काम करना नेकी उस से ज़्यादा बुरे कामों से बचना नेक काम है
10 Muharram ( Yaume Ashoora ) के दिन होने वाले वाकिये
हज़रत हुसैन (रज़ियल लाहु तआला अन्हु) कर्बला में शहीद हुए
हज़रत (आदम अलैहिस सलाम) की तौबा क़ुबूल हुई
हज़रत यूनुस (अलैहिस सलाम) की कौम की तौबा क़ुबूल हुई
हज़रत ईसा (अलैहिस सलाम) की पैदाइश हुई
हज़रत इबराहीम (अलैहिस सलाम( की पैदाइश हुई
हज़रत यूसुफ़ (अलैहिस सलाम) को क़ैदखाने से रिहाई मिली
हज़रत यूनुस अलैहिस सलाम को मछली के पेट से नजात मिली
हज़रत सुलेमान (अलैहिस सलाम) को बादशाहत मिली
इसके अलावा कई वाक़िये किताबों में लिखे हैं, बहरहाल ये दिन बेकार की खुराफ़ात में पड़ने का नहीं बल्कि साल भर के गुनाह माफ़ करवाने का, और साल भर का रिज्क इकठ्ठा करने का है
अल्लाह हमें भी इन आमल के करने की तौफ़ीक़ अता फरमाए
आमीन