40 Benefits Of Namaz In Hindi
नमाज़ के 40 फ़ायदे और फ़जीलतें
अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान लाने के बाद सब से पहला और अहम् अमल नमाज़ है जो अल्लाह तआला की तरफ़ से हर मुसलमान पर फ़र्ज़ की गयी है, चाहे मर्द हो या औरत , ग़रीब हो या मालदार, सेहतमन्द हो या बीमार, ताक़तवर हो या कमज़ोर, बूढ़ा हो या नौजवान, मुसाफ़िर हो या मुक़ीम, बादशाह हो या ग़ुलाम, खौफ़ हो या अमन की हालत में, ख़ुशी हो या गम की हालत, गर्मी हो सर्दी, जिहाद के वक़्त मैदान में भी ये फ़र्ज़ नमाज़ माफ़ नहीं होती |
हमारे नबी (सल्लल लाहु अलैहि वसल्लम) ने जंग की हालत में भी नमाज़ नहीं छोड़ी थी, क्यूंकि आप बहुत अच्छी तरह जानते थे कि अगर अल्लाह ने नमाज़ को इतनी सख्ती से फ़र्ज़ किया है तो इसके फ़ायदे भी खूब हैं और जगह जगह हदीस में आप ने बयान भी फ़रमाया है कि दीन और दुनिया में नमाज़ के फ़ायदे क्या हैं ? तो यहाँ पर हम नमाज़ के 40 फ़ायदे और फजीलतें ( 40 Benefits Of Namaz In Hindi ) बताएँगे जो हर मुसलमान को जानना ज़रूरी हैं |
नमाज़ की सब से अहम् फ़ज़ीलत
जितने भी आमाल अल्लाह तआला ने फ़र्ज़ किये है वो सब अल्लाह ने ज़मीन पर ही फ़र्ज़ किये हैं लेकिन जब नमाज़ की बात आई तो अल्लाह तआला ने अपने प्यारे नबी मुहम्मद (सल्लल लाहु अलैहि वसल्लम) को मेराज शरीफ़ की रात में आसमानों पर बुलाया और वहीँ पर नमाज़ का तोहफ़ा अता फ़रमाया |
ध्यान रहे ! ये सारी फजीलतें किसी आदमी की नहीं बल्कि हदीस में ज़िक्र की गयी हैं
40 Fayde Namaz Ke | नमाज़ के 40 फ़ायदे
1. नमाज़ दीन का सुतून है
2. नमाज़ मोमिन का नूर है
3. नमाज़ अफज़ल जिहाद है
4. जन्नत की कुन्जी नमाज़ है
5. जब आदमी नमाज़ के लिए खड़ा होता है तो जन्नत के दरवाज़े खुल जाते हैं और अल्लाह त आला के और उस आदमी के बीच के परदे हट जाते हैं
6. नमाज़ का दर्जा दीन में ऐसा है जैसे सर का दर्जा बदन में है
7. ज़मीन के जिस हिस्से पर नमाज़ के ज़रिये अल्लाह को याद किया जाता है वो हिस्सा ज़मीन के दुसरे टुकड़ों पर फ़ख्र करता है
8. मुसलमान जब तक पाँचों नमाज़ों को फ़िक्र के साथ अदा करता रहता है, शैतान उस से डरता रहता है और जब वो नमाज़ों में कोताही करने लगता है तो शैतान को उस पर दिलेर हो जाता है
9. सब से अफज़ल अमल अव्वल वक़्त में नमाज़ पढ़ना है
10. नमाज़ शैतान का मुंह काला करती है
11. जब आदमी नमाज़ के लिए खड़ा होता है तो अल्लाह की रहमत उसकी तरफ़ मुतवज्जे हो जाती है
12. जो शख्स दो रकात नमाज़ पढ़ कर अल्लाह तआला से दुआ मांगता है तो अल्लाह तआला उसकी दुआ क़ुबूल फ़रमा लेते हैं
13. जो शख्स तन्हाई में दो रकात नमाज़ पढ़े जिस को अल्लाह और उसके फरिश्तों के सिवा कोई न देखे, तो उसको जहन्नम की आग से आज़ाद होने का परवाना मिल जाता है
14. जो पाँचों नमाज़ों का एहतेमाम करता है और रुकू सजदे वुज़ू वगैरा को खूब अच्छी तरह से पूरा करता है, तो जन्नत उसके लिए वाजिब हो जाती है, और दोज़ख़ उस पर हराम हो जाती है
15. जो शख्स सुबह को नमाज़ के लिए जाता है तो उसके हाथ में ईमान का झंडा होता है, और जो बाज़ार को जाता है उसके हाथ में शैतान का झन्डा होता है
16. जब कोई आफ़त आसमान से उतरती है तो मस्जिद के आबाद करने वालों से हटा ली जाती है
17. अल्लाह ने सजदे की जगह को आग पर हराम कर दिया है
18. अल्लाह तआला को आदमी की सारी हालतों में सब से ज़्यादा पसंद ये है कि उसको सजदे में पड़ा हुआ देखें
19. अल्लाह तआला के साथ आदमी को सब से ज़्यादा क़ुरबत सज्दे की हालत में होती है
20. नमाज़ी शहन्शाह का दरवाज़ा खटखटाता है और क़ायदा है कि जो दरवाज़ा खटखटाता ही रहे वो खुलता ही है
21. नमाज़ दिल का नूर है जो अपने दिल को नूरानी बनाना चाहे नमाज़ के ज़रिये बना ले
22. जो शख्स अच्छी तरह से वुज़ू करे, उसके बाद ख़ुशु व ख़ुज़ू से दो या चार रकात नमाज़ फ़र्ज़ या नफ्ल पढ़ कर अल्लाह से अपने गुनाहों की माफ़ी चाहे अल्लाह तआला उसे माफ़ फरमा देते हैं
23. जब आदमी नमाज़ में दाखिल होता है तो अल्लाह तआला उसकी तरफ पूरी तरह से तवज्जो फरमाते हैं और जब वो नमाज़ से हट जाता है तो वो भी तवज्जो हटा लेते हैं
24. अल्लाह तआला ने कोई चीज़ ईमान और नमाज़ से अफज़ल फ़र्ज़ नहीं की और अगर उस से अफज़ल किसी और चीज़ को फ़र्ज़ करते तो फरिश्तों को उसका हुक्म देते, फ़रिश्ते दिन रात कोई रुकू में है और कोई सजदे में है
25. कुफ़्र और ईमान के दरमियान नमाज़ ही हाइल (रुकावट) है
26. इस्लाम की अलामत नमाज़ है जो शख्स दिल को फ़ारिग करके वक़्त और मुस्तहब चीज़ों की रिआयत रख कर नमाज़ पढ़े वो मोमिन है
27. अल्लाह त आला का इरशाद है : ए आदम की औलाद ! तू दिन के शुरू में चार रकातों से आजिज़ न बन, मैं तमाम दिन तेरे कामों की ज़िम्मेदारी ले लूँगा
28. सब से ज़्यादा पसंदीदा अमल अल्लाह के नज़दीक वो नमाज़ है जो वक़्त पर पढ़ी जाये
29. अफज़ल तरीन नमाज़ आधी रात की है मगर उसके पढने वाले बहुत ही कम हैं
30. इस में कोई शक नहीं कि मोमिन की शराफ़त तहज्जुद की नमाज़ में है
31. रात के आख़िरी हिस्से में दो रकातें तमाम दुनिया से अफज़ल हैं हमारे नबी (सल्लल लाहु अल्लैहि वसल्लम) ने फ़रमाया : अगर मुझे मशक्क़त का अन्देशा न होता तो मैं उम्मत पर इस नाम को फ़र्ज़ कर देता (यानि तहज्जुद)
32. तहज्जुद ज़रूर पढ़ा करो कि तहज्जुद नेक लोगों का तरीक़ा है और अल्लाह की क़ुरबत का ज़रिया है
33. तहज्जुद गुनाहों से रोकती है और गुनाहों की माफ़ी का ज़रिया है और इस से बदन भी तंदुरुस्त होता है
34. जो शख्स एक फ़र्ज़ नमाज़ अदा करता है अल्लाह तआला के यहाँ एक मक़बूल दुआ उसकी हो जाती है
35. नमाज़ हर मुत्तक़ी की क़ुरबानी है
36. नमाज़ी पर से रिज्क़ की तंगी हटा दी जाती है
37. नमाज़ी पर से अज़ाबे क़ब्र हटा लिया जाता है
38. क़यामत के दिन आमाल नामा उसके दायें हाथ में दिया जायेगा
39. पुल सिरात से बिजली की तरह गुज़र जायेगा
40. हिसाब से महफ़ूज़ रहेगा
अल्लाह त आला हमें नमाज़ की पाबन्दी करने की तौफ़ीक़ अता फरमाएं
और उसकी फजीलतों के साए हम पर क़ायम फरमाए