6 Zikr Dua Karne Se Pahle
6 ज़िक्र जो दुआ करने से पहले ज़रूर करने चाहिए
यक़ीनन जब आप परेशान होते हैं या किसी मुश्किल में पड़ जाते हैं तो आप के हाथ अल्लाह कि बारगाह में उठ जाते हैं क्यूंकि वही है जो इस मुश्किल से निकाल सकता है लेकिन हमारे बहुत से दोस्त ये नहीं समझ पाते कि दुआ कैसे करें अपनी बात कहने से पहले क्या क्या ज़िक्र हमें करने चाहिए जिससे हमारी दुआ में वज़न पैदा हो जाये |
ऐसे ही 6 ज़िक्र या अज़कार जो हम को दुआ करने पहले ज़रूर पढने चाहिए क्यूंकि हदीस में इन अज़कार के पढने की फजीलत बताई गयी है उनको हम यहाँ बयान करेंगे आप इनको अपनी दुआओं में ज़रूर शामिल करें
1. अल्हम्दुलिल्लाह
Alhamdulil Lah
तर्जुमा : तमाम तारीफें अल्लाह ही के लिए है।
2. सुबहानल्लाह या सुबहानल्लाहि वा बिहमदिही
Subhaanal Laahi Wa Bihamdihi
तर्जुमा : अल्लाह की ज़ात पाक है और उसी की हम्द है
फायदा : इसको पढने पर जन्नत में एक पेड़ लगा दिया जाता है
3. सुबहानल्लाह वल हमदुलिल्लाह वला इलाहा इल्लल लाह वल लाहु अकबर
Subhaanal Lahi Wal Hamdulil Lah Wala Ilaha Illal Laah Wal Lahu Akbar
तर्जुमा : अल्लाह की ज़ात पाक है , तमाम तारीफें अल्लाह ही के लिए हैं , अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लाइक नहीं है, अल्लाह सब से बड़ा है |
फ़ायदा : इसके पढने पर गुनाह झड़ते हैं |
4. ला हौला वला क़ुव्वाता इल्ला बिल लाह
La Haula Wala Quwwata Illa Bill Lah
तर्जुमा : नहीं है कोई कुव्वत और ताक़त सिवाए अल्लाह के
फायदा और फ़ज़ीलत : हदीस में इसको पढने की फजीलत कुछ इस तरह बयान कि गयी है कि इसका पढ़ने वाला जन्नत के जिस दरवाज़े से चाहेगा दाखिल हो जायेगा
4. दुरूद शरीफ़
जितनी बार हो सके पढ़ें और जुमा के दिन तो इसका खूब एहतेमाम करना चाहिए और दुरूद शरीफ़ में सब से बेहतर दुरूदे इब्राहीमी है जो नमाज़ में पढ़ी जाती है
और अगर वो याद न हो तो पढ़े :
फायदा और फ़ज़ीलत : जो शख्स एक बार अल्लाह के रसूल स.अ. पर एक बार दुरूद भेजता है अल्लाह तआला उस पर 10 बार दुरूद भेजते हैं 10 गुनाह माफ़ कर देते हैं और 10 दरजात बलंद फरमाते हैं |
क़ुरान की कुछ आयतें पढ़ना
कुरान में ख़ास कर जो रब्बना दुआएं हैं उन को अपनी दुआओं में शामिल ज़रूर करना चाहिए क्यूंकि अल्लाह तआला ने खुद बयान फ़रमाया है कि ऐसे दुआ करो जैसे
रब्बना आतिना फिद दुनिया हसनाताव वफ़िल आखिरती हसानातव वाकिना अजाबन नार
“ए हमारे रब हमारे लिये दुनिया में भलाई अता फरमा और आख़िरत में भलाई अता फरमा और हमें जहन्नम के अज़ाब से बचा”