7 Mubeen In Surah Yaseen Shareef
7 मुबीन ( Mubeen ) सूरह यासीन में क्यूँ हैं ?
सूरह यासीन जो क़ुरआन का दिल है और इसकी इस क़दर अहमियत है कि हमारे नबी (सल्लल लाहु अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया कि सूरह यासीन मेरे हर उम्मती के दिल में हो यानि ज़ुबानी याद हो
क़ुरआन का हर लफ्ज़ अल्लाह का पैग़ाम सुनाता है, इसी तरह मुबीन का लफ्ज़ जो 7 बार क़ुरान में ज़िक्र किया गया है, इसके क्या मानी हैं, क्यूँ इस सूरह में इस लफ्ज़ को बार बार लाया गया है आज हम इसी के बारे में बात करेंगे जो कि हम मुसलमानों को ज़रूर मालूम होना चाहिए
सूरह यासीन में 7 मुबीन ( Mubeen ) ज़िक्र किये हैं और
“मुबीन” का मतलब है “खुला हुआ” “खुल्लम खुल्ला”
1. इमामिम मुबीन
सब से पहले इमामे मुबीन का ज़िक्र किया है जिस से यहाँ पर लौहे महफूज़ का मतलब लिया गया है, यानि अल्लाह ने साफ़ वाज़ेह कर दिया कि जो कुछ तुम कर रहे हो या करोगे सब कुछ लौहे महफूज़ में लिखा हुआ है और कल तुम जो अल्लाह के यहाँ पहुंचोगे तो इन आमाल के बारे में तुम से पूछ होगी
2. बलागुल मुबीन
जिसका मतलब है “खुल्लम खुल्ला पैग़ाम” रिसालत का, तौहीद का और आख़िरत का पैग़ाम जो पैग़म्बरों ने तुम तक पहुँचाया है तो उन का कहा मान लो वो अल्लाह की जानिब से खुला हुआ और साफ़ साफ़ पैग़ाम सुना रहे हैं, अगर तुम फिर भी नहीं मानते हो तो अन्जाम के ज़िम्मेदार तुम होगे |
3. दलालिम मुबीन
इसका मतलब है “खुली हुई गुमराही” यानि सीधे रास्ते की हिदायत जब पहुँच गयी और रसूलों ने तुम को अल्लाह का हक़ पैग़ाम पहुंचा दिया फिर भी खुली हुई गुमराही में पड़े हुए हो और अल्लाह को छोड़ कर उसके ग़ैर के सामने झुकते हो, इबादत का हक़दार इन बुतों को मानते हो, ज़िन्दगी और मौत ग़ैरों के हाथों में समझते हो हालाँकि दुनिया की हर एक चीज़ अल्लाह के हुक्म से हरकत करती है
4. दलालिम मुबीन
फिर दोबारा खुली हुई गुमराही का ज़िक्र किया यानि नेकी करने से कतराते हो, जब भी कोई नेक काम करने का मौक़ा मिलता है तो तुम्हारा नफ्स तुम पर ग़ालिब आ जाता है, और तुम वो नेक काम जो अल्लाह के यहाँ तुम्हारा दर्जा बढ़ा देता लेकिन तुम उस काम के करने से पीछे हट जाते हो तो ये भी खुली हुई गुमराही है
5. अदुव्वुम मुबीन
इसका मतलब है “खुला हुआ दुश्मन” ऊपर बार बार गुमराही दर गुमराही की बात की जा रही है, ऐसा क्यूँ होता है और आदमी गुमराह क्यूँ हो जाता है ? तो इस का जवाब इसी लफ्ज़ यानि अदुव्वुम मुबीन में दिया है कि शैतान जो तुम्हारा खुला हुआ दुश्मन है, वही है जो तुम से ये सब गुमराही के काम करवाता रहता है जिसकी वजह से तुम बलागुल मुबीन (खुल्लम खुल्ला पैग़ाम) को नहीं समझ रहे और अदुव्वुम मुबीन (खुला हुआ दुश्मन) के हत्थे चढ़े हुए हो
6. क़ुरआनुम मुबीन
जब शैतान हमें इतनी आसानी से गुमराहियों में धकेल देता है तो अब सवाल उठता है कि इस खुले हुए दुश्मन से बचें कैसे, तो इसी का जवाब देने के लिए और इस दुश्मन से निपटने के लिए क़ुरआनुम मुबीन का ज़िक्र किया यानि क़ुरआन ऐसी किताब है जिसको अगर अपना रहबर और लीडर मान लोगे तो इंशाअल्लाह हिदायत पा जाओगे, अल्लाह की रिज़ा हासिल करोगे, तुम पर शैतानी क़ाबू नहीं पा सकेगा और जन्नत तुम्हारा ठिकाना होगा लेकिन चूंकि क़ुरआन को तुमने सीने नहीं लगाया इसलिए शैतान तुम्हें उचक लेता है औत तुम आसानी से बुराई में पड़ जाते हो
7. ख़सीमुम मुबीन
इस का मतलब है “खुल्लम खुल्ला झगड़ा करने वाला” यानि क़ुरआन तो खुला हुआ पैग़ाम है फिर भी हम अमल क्यूँ नहीं करते ? हक़ीक़त ये है कि शैतान तो करता ही है लेकिन इंसान भी ख़सीमुम मुबीन हो जाता है यानि ये ख़ुद झगड़ालू है, शैतान तो हमला करता ही है लेकिन इसका नफ्स भी बहुत झगड़ालू है, ये नबियों से झगड़े करता है, ईमान की बात पर बहस करता है, हालाँकि इंसान एक नापाक नुत्फे से बना हुआ है और अल्लाह के बारे में झगड़ने लगता है |
अल्लाह त आला अमल की तौफ़ीक़ अता फरमाए