9 Minutes Me 9 Quran Ka Sawab Hindi Me | 9 मिनट में 9 कुरआन का सवाब

9 Minutes Me 9 Quran Ka Sawab Hindi Me

9 Minutes Me 9 Quran Ka Sawab Hindi Me |

9 मिनट में 9 कुरआन का सवाब

आपके सामने ये किताब शो हो रही है जिसका नाम है 9 मिनट में 9 कुरआन का सवाब क्या ऐसा हो सकता है ? जी हाँ ऐसा हो सकता है, लेकिन कैसे ? चलिए आज मैं आपको इसके बारे में तफ़सील से बताता हूँ कि आप कुरआन की छोटी छोटी सी सूरतें पढ़ेंगे और इसको पढने में सिर्फ़ 9 मिनट लगेंगे और इंशाअल्लाह 9 कुरआन का सवाब आप अपने नामए आमाल में लिखा हुआ पाएंगे,

9 minutes me 9 quran ka sawab

और ये किसी और किताब से नहीं बल्कि उन हदीस की किताबों के हवाले के साथ मैं आपके सामने पेश करूंगा जिन हदीसों में फ़रमाया गया है कि सूरह फ़ातिहा पढने पर इतने कुरआन का सवाब और आयतुल कुर्सी पढने पर इतने कुरआन का सवाब वगैरह

अच्छा इसमें एक ख़ासियत ये है कि ये सूरतें इतनी छोटी और आसान हैं कि जिन्हें हर बहन, हर भाई बहुत आसानी से याद कर सकते हैं, घर की औरतें और बच्चे भी याद कर सकते हैं, और अगर हम इन सूरतों को रोजाना पढ़ें, तो न सिर्फ़ हम खुद सवाब हासिल कर सकते हैं बल्कि अपने उन मुर्दों लिए भी ईसाले सवाब कर सकते हैं जो आपके अपने थे लकिन अब वो लोग इस दुनिया से जा चुके हैं

और ये भी याद रखिये कि उनको ज़रुरत है कि उनके लिए कुछ पढ़ा जाये या सदक़ा किया जाये जिससे उसका सवाब उनको हासिल हो और सवाब के नतीजे में सुकून हासिल हो, तो चलिए देखते हैं कि 9 मिनट में 9 कुरआन का सवाब कैसे हासिल होगा

9 Minutes Me 9 Quran Ka Sawab Hindi Me |

9 मिनट में 9 कुरआन का सवाब

1. तीन बार सूरह फ़ातिहा यानि अलहम्दु शरीफ़ पढने का सवाब 2 बार कुरआन पढने के बराबर है

हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास र.अ. की रिवायत है और तफ़सीर में मजकूर है कि अगर कोई तीन बार सूरह फ़ातिहा पढ़े तो उसका सवाब दो बार कुरआन पढने के बराबर है

2. चार बार आयतुल कुर्सी पढने का सवाब 1 बार कुरआन पढने के बराबर है

मुसनद अहमद में रिवायत है कि अगर कोई 4 बार आयतुल कुर्सी पढ़े तो उसका सवाब एक बार कुरआन पढने के बराबर है

3. चार बार सूरह क़द्र यानि इन्ना अन्ज़ल्नाहू पढने का सवाब 1 बार कुरआन पढने के बराबर है

मुसनद अहमद में रिवायत है कि अगर कोई 4 बार सूरह फ़ातिहा पढ़े तो उसका सवाब एक बार कुरआन पढने के बराबर है

4. दो बार सूरह ज़िल्ज़ाल यानि इज़ा ज़ुल्ज़िलातिल अरदु ज़िल्ज़लहा पढने का सवाब 1 बार कुरआन पढने के बराबर है

तिरमिज़ी शरीफ़ में रिवायत है कि अगर कोई 2 बार सूरह ज़िल्ज़ाल पढ़े तो उसका सवाब एक बार कुरआन पढने के बराबर है

5. दो बार सूरह आदियात यानि वल आदियती दब्हा पढने का सवाब 1 बार कुरआन पढने के बराबर है

मवाहिब में रिवायत है कि अगर कोई 2 बार सूरह ज़िल्ज़ाल पढ़े तो उसका सवाब एक बार कुरआन पढने के बराबर है

6. एक बार सूरह तकासुर यानि अल्हाकुमुत तकासुर पढने का सवाब एक हज़ार आयतें पढने के बराबर है

मिश्कात शरीफ़ में रिवायत है कि अगर कोई 2 बार सूरह तकासुर पढ़े तो उसका सवाब एक हज़ार आयतें पढने के बराबर है

7. चार बार सूरह काफ़िरून यानि क़ुल या अय्युहल काफ़िरून पढने का सवाब 1 बार कुरआन पढने के बराबर है

तिरमिज़ी शरीफ़ में रिवायत है कि अगर कोई चार बार सूरह काफ़िरून पढ़े तो उसका सवाब एक बार कुरआन पढने के बराबर है

8. चार बार सूरह नस्र यानि इज़ा जा अ नसरुल लाहि पढने का सवाब 1 बार कुरआन पढने के बराबर है

तिरमिज़ी शरीफ़ में रिवायत है कि अगर कोई चार बार सूरह नस्र पढ़े तो उसका सवाब एक बार कुरआन पढने के बराबर है

9. तीन बार सूरह इख्लास यानि क़ुल हुवल लाहु अहद पढने का सवाब 1 बार कुरआन पढने के बराबर है

बुख़ारी और मुस्लिम शरीफ़ में रिवायत है कि अगर कोई चार बार सूरह नस्र पढ़े तो उसका सवाब एक बार कुरआन पढने के बराबर है

 

तो ये कुल मिला कर 9 कुरआन और एक हज़ार आयतों का सवाब हुआ यानि इतनी कम मेहनत में इतना ज़्यादा इनाम, ये सिर्फ़ अल्लाह के रसूल (सल्लल लाहु अलैहि वसल्लम) की उम्मत पर अल्लाह तआला का फजलो करम ही है कि अगर कोई मुसलमान बस इतना ही कर ले तो नौ कुरआन शरीफ़ और एक हज़ार आयतों के बराबर सवाब हासिल कर सकता है

 

अल्लाह हम सबको कुरआन की रौशनी से मालामाल फ़रमाए 

आमीन

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