Soorah Ikhlaas Hindi Translation | सूरह इखलास हिंदी तर्जुमे के साथ
बिस्मिल्ला–हिर्रहमा–निर्रहीम
1.कुल हुवल लाहू अहद
2. अल्लाहुस समद
3. लम यलिद वलम यूलद
4. वलम यकूल लहू कुफुवन अहद
शुरू अल्लाह के नाम से जो बहुत बड़ा मेहरबान व निहायत रहम वाला है।
1. आप कह दीजिये कि अल्लाह एक है
2. अल्लाह बेनियाज़ है
3. वो न किसी का बाप है न किसी का बेटा
4. और न कोई उस के बराबर है
Bismilla Hirrahma Nir Raheem
1. Qul Huwal Laahu Ahad
2. Allahus Samad
3. Lam Yalid Walam Yoolad
4. Walam Yakul Lahu Kufuwan Ahad
क्यूँ सूरह इखलास नाजिल हुई ?
इस सूरत के नाजिल होने कि वजह ये है कि एक मर्तबा मुशरिकीन ने हुज़ूर सल्लल लाहू अलैहि वसल्लम से कहा कि अपने रब की सिफत और नसब (खानदान) बयान करो तो इस में उन काफिरों का जवाब है
सूरह इख्लास की फ़ज़ीलत
हुज़ूर सल्लल लाहू अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि सूरह इखलास एक तिहाई कुरान के बराबर है
एक दूसरी जगह फ़रमाया कि जो शख्स सुबह और शाम कुल हुवल लाह और मुआव्वज़तैन (कुल अऊज़ बिरब्बिल फलक और कुल अऊज़ बिरब्बिन नास) पढ़ लिया करे तो ये उस के लिए काफी है
तौहीद : खुदा को एक मानना
शिर्क : खुदा के साथ किसी को शरीक करना चाहे उसकी हुकूमत में या इबादत में या सिफात में हो
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सूरतुल इखलास की तफसीर व तशरीह
इस सूरत में तौहीद के अकीदे को ऐसी वजाहत के साथ बयान किया गया है कि शिर्क करने वाली सोच की तमाम जड़ें कट जाएँ दुनिया की बहुत सी कौमे खुदा को एक मानती है लेकिन वो किसी न किसी दूसरी तरफ से शिर्क में मुब्तिला हो जाती हैं अल्लाह ने इस सूरह में शिर्क की तमाम शक्लों की नफी कर दी है हज़रत शाह अब्दुल अज़ीज़ रहमतुल लाहि अलैहि ने इस को खूब खोल कर बयान किया है जिस का खुलासा ये है कि
“अहद” का मतलब
कभी तादाद में शिर्क किया जाता है यानी एक के बजाये दो, तीन या बहुत से खुदा माने जाते है जैसे हमारे हिन्दू भाइयों के यहाँ हजारों खुदा है “अहद” के लफ्ज़ ने इस कि नफी कर दी कि खुदा एक ही हो सकता है एक से ज्यादा नहीं
“समद” का मतलब
कभी मंसब व मर्तबे में शिर्क होता है जैसे अल्लाह के साथ किसी और को रिज्क का देवता किसी को इल्म की देवी किसी को ज़िन्दगी और मौत का मालिक समझ लिया जाये यानी अल्लाह की जो खुसूसी सिफ़ते ( जिलाना, मारना, रिज्क देना,वगैरह) है उन में दूसरों को शरीक कर लिया जाये “समद” के लफ्ज़ से इस को रद कर दिया कि अल्लाह को किसी काम के अंजाम देने में किसी शरीक व मदद गार की ज़रुरत नहीं वो बेनियाज़ और अपने आप में काफी है
” लम यालिद वलम यूलद ” का मतलब
कभी शिर्क इस में होता है कि खुदा के लिए एक कुम्बा या खानदान मान लिया जाये जैसे खुदा का बेटा, खुदा का बाप, खुदा की बीवी और ये सोचा जाता है कि ये खुदा का रिश्ते दार है तो खुदाई इस में भी है तो “लम यालिद वलम यूलद” कह कर इसकी जड़ काट दी कि न खुदा की कोई औलाद है और न खुदा खुद किसी की औलाद है
” लम यकूल लहू कुफुवन अहद” का मतलब
और शिर्क की चौथी वजह ये है कि कुछ कौमे शख्सियतों के बारे में ये फ़र्ज़ कर लेती है कि वो उनके काम कर सकती है और वो लोग खुदा पर ग़ालिब व असरंदाज़ हो सकते है तो “लम यकूल लहू कुफुवन अहद” कह कर इस बात को ख़त्म कर दिया कि कोई अल्लाह के बराबर और हमसर है ही नहीं जो उस पर असर अंदाज़ हो सके
SubhanAllah
अस्सलाम वालेकुम एवरीवन सुभान अल्लाह हमदुलिल्ला या मुस्लिम ☺️
Subhanallah