Hadees Ki Baatein |
24 इंसानी ख्वाहिशात और रूहानी बीमारियों का हल
इस ख़त्म हो जाने वाली दुनिया में हर शख्स किसी न किसी परेशानी से दो चार है लेकिन हम अपने नबी मुहम्मद सल्लाल लाहू अलैहि वसल्लम ने जो हदीस की बातें ( Hadees Ki Baatein ) बताई हैं उन पर अमल करे तो इन मुश्किलात पर ग़ालिब आ सकते है, और साथ साथ सुन्नत पर अमल करने का सवाब भी हासिल कर सकते हैं
नीचे मुहम्मद सल्लल लाहू अलैहि वसल्लम और एक देहाती के दरमियान होने वाली गुफ्तगू बयान की जाती है
देहाती ने सवाल किया : या रसूलल्लाह सल्लल लाहू अलैहि वसल्लम : मैं अमीर बनना चाहता हूँ
रसूलल्लाह सल्लल लाहू अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : कनाअत इख्तियार करो अमीर बन जाओगे
या रसूलल्लाह सल्लल लाहू अलैहि वसल्लम : मैं सब से बड़ा आलिम बनना चाहता हूँ
रसूलल्लाह सल्लल लाहू अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : तकवा इख्तियार करो आलिम बन जाओगे
या रसूलल्लाह : इज्ज़त वाला बनना चाहता हूँ
रसूलल्लाह सल्लल लाहू अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : लोगो को नफा पहुँचाओ लोग तुम्हारी इज्ज़त करेंगे
या रसूलल्लाह : मैं आदिल और इन्साफ करने वाला बनना चाहता हूँ
रसूलल्लाह सल्लल लाहू अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : जो अपने लिए पसंद करो वही दूसरों के लिए पसंद करो
या रसूलल्लाह : मैं ताक़त वर बनना चाहता हूँ
रसूलल्लाह सल्लल लाहू अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : अल्लाह पर तवक्कुल (भरोसा ) करो
या रसूलल्लाह : मैं अल्लाह के यहाँ ख़ास दर्जा हासिल करना चाहता हूँ
रसूलल्लाह सल्लल लाहू अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : अल्लाह का ज़िक्र खूब किया करो
या रसूलल्लाह : रोज़ी व इज्क की कुशादगी चाहता हूँ
रसूलल्लाह सल्लल लाहू अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : हमेशा बावुजू रहा करो
या रसूलल्लाह : मैं चाहता हूँ कि मेरी हर दुआ अल्लाह के यहाँ मकबूल हो
रसूलल्लाह सल्लल लाहू अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : कभी भी कोई हराम माल न खाओ
या रसूलल्लाह : मैं अपना ईमान मुकम्मल करना चाहता हूँ
रसूलल्लाह सल्लल लाहू अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : अपने इखलाक व आदात अच्छे कर लो
या रसूलल्लाह : मैं क़यामत के रोज़ बिलकुल गुनाहों से पाक होकर अल्लाह तआला से मुलाक़ात का ख्वाहिशमंद हूँ
रसूलल्लाह सल्लल लाहू अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : जनाबत (जब नापाक हो जाओ ) के बाद फ़ौरन गुसल किया करो
या रसूलल्लाह : मैं गुनाहों में कमी चाहता हूँ
रसूलल्लाह सल्लल लाहू अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : खूब कसरत से इस्तिग्फर (गुनाहों की माफ़ी) किया करो
या रसूलल्लाह : मैं क़यामत के रोज़ नूर में उठाना चाहता हूँ
रसूलल्लाह सल्लल लाहू अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : ज़ुल्म करना छोड़ दो
या रसूलल्लाह : मैं चाहता हूँ कि अल्लाह मुझ पर रहम करे
रसूलल्लाह सल्लल लाहू अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : तुम अल्लाह की मखलूक पर रहम करो अल्लाह तुम पर रहम करेगा
या रसूलल्लाह : मैं चाहता हूँ कि अल्लाह मेरे गुनाहों पर पर्दा डाल दे
रसूलल्लाह सल्लल लाहू अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : लोगों के ऐबों पर पर्दा डाल दो अल्लाह तुम्हारे ऐबों पर पर्दा डालेगा
या रसूलल्लाह : मैं रुसवाई से बचना चाहता हु
रसूलल्लाह सल्लल लाहू अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : जिना से बचो
या रसूलल्लाह : मैं अल्लाह और उसके रसूल का महबूब बनना चाहता हूँ
रसूलल्लाह सल्लल लाहू अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : जो अल्लाह और उसके रसूल को महबूब है तुम उसको अपना महबूब बना लो
या रसूलल्लाह : मैं अल्लाह का फर्माबरदार बनना चाहता हु
रसूलल्लाह सल्लल लाहू अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : फ़राइज़ की अदायगी का इह्तिमाम करो
या रसूलल्लाह : मैं अहसान करने वाला बनना चाहता हु
रसूलल्लाह सल्लल लाहू अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : अल्लाह की बंदगी इस यकीन से करो कि तुम उसे देख रहे हो अगर ये न हो सके तो इतना ज़रूर यकीन कर लो कि अल्लाह तुम्हे देख रहा है
या रसूलल्लाह : मुझे गुनाहों से कौन सी चीज़ माफ़ी दिलाएगी
रसूलल्लाह सल्लल लाहू अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : तीन चीज़े है 1 अल्लाह से डर व शर्मिंदगी के आंसू 2 बीमारी 3 आजिजी व इन्किसारी
या रसूलल्लाह : दोज़ख की आग को कौन सी चीज़ ठंडा करेगी
रसूलल्लाह सल्लल लाहू अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : दुनिया की मुसीबतों पर सब्र करो ये काम दोज़ख की आग को ठंडा कर देगा
या रसूलल्लाह : अल्लाह के गुस्से को कौन सी चीज़ ठंडा करती है
रसूलल्लाह सल्लल लाहू अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : 1 छिपा कर सदका करना 2 रिश्तों को जोड़ना
या रसूलल्लाह : सब से बड़ी बुराई कौन सी है
रसूलल्लाह सल्लल लाहू अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : 1 बुखल ( कंजूसी ) 2 बद अख्लाकी
या रसूलल्लाह : सब से बड़ी अच्छाई कौन सी है
रसूलल्लाह सल्लल लाहू अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया तीन है 1 अच्छे अखलाक 2 सब्र 3 तवाजो
या रसूलल्लाह : मैं अल्लाह के गुस्से से बचना चाहता हु
रसूलल्लाह सल्लल लाहू अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया : अल्लाह की मखलूक पर गुस्सा करना छोड़ दो अल्लाह के गुस्से से बच जाओगे