Isaale Sawaab | हदीस के मुताबिक 3 चीज़ें जिनसे मरने के बाद सवाब पहुँचता रहता है

एक्टिव और पैसिव इनकम

Isaale Sawaab | हदीस के मुताबिक 3 चीज़ें जिनसे मरने के बाद सवाब पहुँचता रहता है

जब आप इस दुनिया से चले जायेंगे और वहां आपको नेकियों की ज़रुरत होगी तो कौन सी चीज़ है जो आपको Automatic वहां सवाब पहुंचती रहेगी

जी हाँ ! इस ब्लॉग में हम हदीस की रौशनी में तफसील से बताएँगे लेकिन उससे पहले आप ये समझ लीजिये कि Active और Passive Income होती क्या है

एक्टिव इनकम यानी इंसान जब तक काम करता रहता है तब तक उसे तनख्वाह मिलती रहती है यानी दूकान बंद तो इनकम बंद

पैसिव इनकम इस में इंसान काम कर रहा है तब भी काम कर के उठ गया तब भी उसकी इनकम बंद नहीं होती

तो दोस्तों मुझे यही बताना है कि जब तक आप दुनिया में एक्टिव हो तब तक तो सवाब कमा रहे हो लेकिन क्या ऐसा कोई काम आपने किया है कि इस दुनिया से जाने के बाद भी आपको passively मतलब आटोमेटिक सवाब मिलता रहे और सही बात यही है वहां जाने के बाद हमें होश आयेगा तो हमें रुपयों पैसों की नहीं नेकियों की ज़रुरत होगी

दोस्तों ये हदीस ( Hadees ) एक्टिव सवाब की इनकम कमाने के साथ पेसिव इनकम कमाने के बारे में हमें बता रही है

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मरने के बाद इंसान के आमाल का मामला ख़त्म हो जाता है लेकिन तीन चीज़ों का सवाब मय्यत को पहुँचता रहता है

1. सदकाए जारिया

  1. यानी कोई मस्जिद बना दे
  2. या कोई मस्जिद वीरान थी उसको आबाद कर दे
  3. बेसहारों के लिए सहारे के तौर पर कोई जगह तामीर करवा दे
  4. किसी बच्चे के लिए पढने के लिए फीस या या पढाई का ज़िम्मा अपने सर ले ले
  5. और चंदे के तौर पर दूसरों को फायदा पहुंचता रहे

 

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2. वो इल्म जो लोगों को फायदा पहुंचता रहे

 

मतलब जो इल्म आपने हासिल किया उसके नतीजे में आपने कोई किताब लिख दी

या कोई ऐसा इन्तिज़ाम आपने करवा दिया जिससे आपके जाने बाद भी लोग उस इल्म से फायदा उठा रहे हैं और सही रस्ते की तरफ बढ़ रहे हैं और उनका ये नेक क़दम उठाना भी आपके लिए इसाले इसाले सवाब ( Isaale Sawaab ) का जरिया है

 

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और जिसको आपने पढाया वो अपने आने वालों का उस्ताज़ बन जाये और एक बहुत बड़ी तादाद के सही रस्ते पर चलने की वजह बन जाये ये चीज़ भी आपको सवाब पहुंचती रहेगी

3. नेक औलाद जो मय्यत के लिए दुआ करे

यानी आपकी कोई औलाद है तो उसको आपने अदब सिखाया, तहजीब सिखाई और दीनी तलीम से अरास्ता किया और उसको नेक बनाया तो ज़ाहिर है कि वो आप के लिए दुआ करेगी और उसका बिस्मिल्लाह पढना भी आपके लिए  इसाले सवाब (Isaale sawaab) का जरिया है |

क्यूंकि जो औलाद नेक नहीं होती तो उसे अपने लिए दुआ करने की फुर्सत नहीं होती तो वो अपने उस बाप के लिए जो इस दुनिया से जा चूका है उसको कैसे याद रख सकती है इसीलिए हदीस में औलाद के साथ नेक की सिफत जोड़ दिया है |

 

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और नेक औलाद तिलावत करे ,नमाज़ पढ़े, अच्छी तालीम दे या और दुसरे अच्छे काम अंजाम दे तो इसका सवाब मय्यत को पहुँचता रहता है

 

ये चीज़ें ऐसी हैं कि इंसान दुनिया में नहीं है इबादत नहीं कर है फिर भी उसे सवाब मिलता रहता है

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