Soorah Feel Hindi | Alam Tara Kaif |
सूरह फ़ील : अलम तरा कैफ़
सूरह फ़ील हिन्दी में
बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम
1. अलम तरा कैफा फअला रब्बुका बि अस हाबिल फील
2. अलम यज अल कैदहूम फ़ी तजलील
3. व अरसला अलैहिम तैरन अबाबील
4. तरमीहीम बि हिजारतिम मिन सिज्जील
5. फजा अलहुम का अस्फिम माकूल
Soorah Feel In English
Bismilla Hir Rahma Nir Rahaeem
1. Alam Tara Kaifa Fa Ala Rabbuka Bi Ashabil Feel
2. Alam Yaj Al Kaydahum Fi Tazleel
3. Wa Arsala Alaihim Tayran Ababeel
4. Tarmee Him Bihija Ratim Min Sijjeel
5. Fa Ja Alahum Ka Asfim Makool
तर्जुमा ( Soorah Feel Translation )
1. क्या आप ने देखा नहीं कि आप के परवरदिगार ने हाथी वालों का क्या हशर किया
2. क्या अल्लाह ने उन की चाल को नाकाम नहीं कर दिया
3. और उन पर परिंदों के झुण्ड के झुण्ड भेज दिए
4. जो उन पर पक्की हुई मिटटी की कंकरियां फेंक रहे थे
5. चुनांचे उन को खाए हुए भूसे की तरह कर डाला
इस सूरह में मुख़्तसर तौर पर असहाबे फ़ील के वाकिये की तरफ इशारा है वाक़िया कुछ इस तरह है
“काबे” के मुकाबले में इबादत गाह “कुलैस” किसने और क्यूँ बनवाई ?
अबरहा नाम का शख्स यमन का गवर्नर था, वो इसाई था और वो चाहता था कि इस पूरे इलाक़े में ईसाइयत को पहला दरजा हासिल हो इसलिए उस ने यमन की राजधानी “सनआ” में एक आलीशान चर्च बनवाया जो बहुत ही खूबसूरत था और शानो शौकत में अपनी मिसाल आप था, उस का नाम “कुलैस” रखा |
उसका ख़याल था कि ईसाइयत को फ़ैलाने में सब से बड़ी रुकावट मक्का में बना “काबा” है क्यूंकि वो देखता था अरब लोगों को इस घर से इतना लगाव है कि इसके मुकाबले वो किसी दूसरी इबादत गाह को खातिर में ही नहीं लाते इसलिए उस ने ऐलान करवाया कि काबे को छोड़ कर उसकी बनाई हुई इमारत “कुलैस” का हज किया जाये |
इबादत गाह “कुलैस” का क्या हुआ ?
जब अरबों ने सुना तो उन्हें बड़ा गुस्सा आया कुछ रिवायतों में आता है कि अरब काबिले के एक आदमी ने उस में पखाना कर दिया और कुछ रिवायतों में है कि अरबों ने क़रीब में ही कहीं आग जलाई हुई थी उस में कोई तिनका जाकर लगा और पूरा गिरजे में आग भड़क उठी |
अबरहा ने कितनी फ़ौज के साथ मक्का पर हमला किया ?
तो इससे अबरहा का गुस्सा बढ़ गया और उसने तय कर लिया कि अब हर कीमत पर काबा को गिरा कर रहूँगा हालाँकि उस वक़्त मक्का में चंद हज़ार की आबादी थी लेकिन उस ने अपनी जीत यकीनी बनाने के लिए साठ हज़ार की फ़ौज तैयार की जिस के हर एक दस्ता में बारह हाथी थे |
अबरहा मक्का में दाखिल होने की तय्यारी में था कि उसका हाथी जिसका नाम महमूद था वो किसी भी तरह मक्का की तरफ जाने को तैयार न था, उसका रुख मशरिक की तरफ किया जाये तो वो मगरिब की तरफ चल पड़ता था आख़िरकार अबरहा मक्का पहुंचा |
अल्लाह की फ़ौज अबाबील परिंदों की शक्ल में
यहाँ पर अल्लाह की जानिब से एक करिश्मा ज़ाहिर हुआ | समंदर की तरफ़ से कुछ परिंदों के झुण्ड आते दिखायी दिए जिन में से हर एक के साथ में तीन कंकरियां थीं जो चने या मसूर के बराबर थीं, एक चोंच में और दो पंजों में और देखते ही देखते वो फ़ौरन ही अबरहा के लश्कर पर छा गए और ये असल में हाथी घोड़ों और इंसानों की फ़ौज के मुकाबले खुदा की फ़ौज थी |
खुदा की फ़ौज ने कैसे हमला किया ?
परिंदों ने जब कंकरियां बरसानी शुरू की तो एक एक कंकर ने वो काम किया जो रिवाल्वर भी नहीं कर सकती, होता ये था कि वो कंकरी जिस पर पड़ती उसके जिस्म को छेदती हुई ज़मीन में घुस जाती थी, ये अज़ाब देख कर सभी हाथी भाग खड़े हुए सिर्फ एक हाथी उस कंकरी से हलाक हुआ, और लश्कर में से कुछ आदमी भी अपनी जान बचा कर भागे, लेकिन जो लोग भाग गए उनका ये हाल हुआ कि जिस्म पर ज़ख्म के फोड़े हो गए जिससे उनकी जान चली गयी |
अबरहा का क्या हाल हुआ ?
अबरहा का ये हाल हुआ कि ज़ख्म की वजह से जिस्म का एक एक हिस्सा खराब होता गया, उँगलियाँ कट कट गिरती गयीं, और अच्छा खासा बहादुर नौजवान जब यमन वापस आया तो कमज़ोर जिस्म की वजह से चूज़ा नज़र आता था आखिरकार उसका सीना फट गया और उसकी मौत हो गयी |
इस तरह अल्लाह तआला ने अपने घर काबे की हिफाज़त की
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