Surah Takasur Ki Tafsir
सूरह अल्हाकुमुत तकासुर का तर्जुमा व तफ़सीर
अ ऊजु बिल्लाहि मिनश शैतानिर रजीम
बिस्मिल्ला हिर रहमानिर रहीम
Surah Takasur Hindi
1. अल हाकुमुत तकासुर
2. हत्ता ज़ुरतुमुल मक़ाबिर
3. कल्ला सौफ़ा तअ’ लमून
4. सुम्मा कल्ला सौफ़ा तअ’ लमून
5. कल्ला लौ तअ’लमूना इल्मल यक़ीन
6. लतारावुन्नल जहीम
7. सुम्मा लतारावुन्नहा ऐनल यक़ीन
8. सुम्मा लतुस अलुन्ना यौमइज़िन अनिन नईम
Soorah Takasur In English
Au Zubillahi Minash Shaitanir Rajeem
Bismillahir Rahmanir Raheem
1. Al Hakumut Takasur
2. Hatta Zurtumul Maqabir
3. Kalla Saufa Ta’ Lamoon
4. Summa Kalla Saufa Ta’lamoon
5. Kalla Lau Ta’ Lamoona Ilmal Yaqeen
6. Lata Rawunnal Jaheem
7. Summa Latarawunnaha Ainal Yaqeen
8. Summa Latus Alunna Yaumaizin Anin Naeem
Soorah Takasur Translation
1. दुनिया में एक दुसरे से आगे बढ़ जाने की हवस तुम्हें ग़ाफिल किये रहती है
2. यहांतक कि तुम क़ब्रों में जा पहुँचते हो
3. ऐसा हरगिज़ नहीं चाहिए,आगे चल कर तुम्हें मालूम हो जायेगा
4. फिर (जान लो) ऐसा हरगिज़ नहीं चाहिए,आगे चल कर तुम्हें मालूम हो जायेगा
5. ऐसा हरगिज़ हरगिज़ नहीं चाहिए, अगर तुम यक़ीन के साथ जान लेते (तो ग़ाफिल न रहते)
6. तुम लोग ज़रूर दोज़ख़ को देखोगे
7. फिर (जान लो) तुम उस को यक़ीन की आँखों से देखोगे
8. फिर उस दिन तुम से सारी निअमतों के बारे में पुछा जायेगा
सूरह तकासुर की ख़ास फ़ज़ीलत
रसूलुल लाह स.अ. ने सहाबा से फ़रमाया : तुम में से कोई आदमी इस की कुदरत नहीं रखता कि हर रोज़ कुरान की एक हज़ार आयतें पढ़ा करे, सहाबा ने अर्ज़ किया कि रोज़ाना एक हज़ार आयतें कौन पढ़ सकता है तब नबी स.अ. ने फ़रमाया तुम में से कोई अल्कुहामुत तकासुर नहीं पढ़ सकता | मतलब ये है कि ये सूरत पढ़ना एक हज़ार आयतों के बराबर है |
तकासुर का मतलब
तकासुर का मतलब है किसी भी चीज़ की ज़्यादती की चाह और तलब रखना चाहे माल में हो औलाद में या ओहदे और मर्तबे में
प्यासे से प्यासा आदमी पानी का गिलास पीकर मुतमईन हो जाता है | भूके से भूका इंसान चंद रोटियां खाकर भूक मिटा लेता है लेकिन जब इन्सान में दुनिया की मुहब्बत ज़रुरत से ज़्यादा बढ़ जाती है तो उसकी प्यास बुझाये नहीं बुझती | अगर लखपति है तो करोडपति बनने की तलब रहती है | अगर करोडपति है तो अरबपति बनने की चाह रहती है |
जैसे जैसे पानी मिलता जाता है प्यास बढती जाती है जैसे जैसे लुक्मा मुंह में जाता है भूक बढती जाती है और फिर ये ख्वाहिश और तलब किसी भी उम्र में ख़त्म नहीं होती बल्कि बढ़ती ही रहती है यहां तक कि वो दुनिया से रुख्सत हो जाता है | नबी स.अ. ने इरशाद फ़रमाया : अगर इंसान को सोने की एक वादी मिल जाये तो वो चाहेगा कि दो वादियाँ मिल जाएँ |
अल्लाह तआला ने इंसान की इसी कमजोरी की तरफ़ इशारा फ़रमाया कि आख़िरत से जो चीज़ इंसान को ग़ाफिल कर देती है वो यही दुनिया को ज़रुरत से ज़्यादा हासिल करने का जज़्बा है | फिर इस बीमारी का इलाज भी बताया और उस का इलाज है दोज़ख़ का खौफ़ और आख़िरत में जवाबदही का यक़ीन, इसलिए तुम्हें यक़ीन करना चाहिए कि अल्लाह को भूल कर दुनिया की रंगीनियों में खो जाने वालों के लिए दोज़ख़ रखी गयी है |
ऐनुल यक़ीन का मतलब
ऐनुल यक़ीन से मुराद वो यक़ीन है जो किसी चीज़ के देखने के बाद आता है और ये सब से आला दरजे का यक़ीन है | इंसान बहुत सी बातों को सुनता और यक़ीन करता है लेकिन इन ही बातों को जब वो अपनी आँखों से देख लेता है तो कैफियत कुछ और होती है इसलिए जब दोज़ख़ को अपनी आँखों से देख लेगा तब उसे आला दरजे का यक़ीन आएगा और वो तौबा करने और गिडगिड़ाने लगेगा |
नईम का मतलब
नईम का मतलब अल्लाह की दी हुई नेअमतें जिन के बारे मे पुछा जायेगा कि तुम ने उन का क्या शुक्र अदा किया हदीस में है कि नबी स.अ. ने फ़रमाया कि महशर में कोई आदमी अपनी जगह से खिसक भी नहीं पायेगा जब तक पांच सवालों का जवाब उस से न ले लिए जाएँ |
एक ये कि उस ने अपनी उम्र को किन कामों में खर्च किया है, दुसरे ये कि अपनी जवानी की ताक़त को किन कामों में फ़ना किया, तीसरे ये कि जो माल उसने हासिल किया वो किस किस तरीके से हासिल किया जाएज़ या जाएज़, चौथे ये कि उस माल को कहां खर्च किया चौथे ये कि जो इल्म अल्लाह ने उसे दिया उस पर कितना अमल किया |
देखें : आसान तफ़सीर व म आरिफुल क़ुरआन
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