Birth Of Prophet Muhammad | नबी मुहम्मद स.अ.की पैदाइश कब और कहां हुई

Birth Of Prophet Muhammad hindi

Birth Of Prophet Muhammad

नबी मुहम्मद स.अ.की पैदाइश कब और कहां हुई

अल्लाह तआला की तरफ से भेजे गए इंसानों और जिन्नातों की हिदायत का सामान लेकर आए पैगम्बर मुहम्मद सल्लल लाहू अलैहि वसल्लम की पैदाइश मुबारक

तारीख

12, कुछ लोगों के नज़दीक 9

दिन

दोशम्बा

महीना

रबी उल अव्वल , अप्रैल

साल

570 ईस्वी

जगह

मक्का मुकर्रमा में अबू तालिब के घर पर

वक़्त

सुबह सादिक

आप स.अ. की पैदाइश पर दादा अब्दुल मुत्तलिब को बेहद ख़ुशी हुई उन्होंने एक मेंढा ज़बह किया और अपने पोते का नाम मुहम्मद ( जिसकी तारीफ़ की जाये ) रखा

दादा ने मुहम्मद नाम क्यूँ रखा

लोगों ने पुछा कि आपने ये नाम क्यूँ रखा ?

तो अब्दुल मुत्तलिब ने जवाब दिया कि मुहम्मद नाम मैंने इसलिए रखा कि आसमान में भी मेरे पोते की तारीफ हो और और ज़मीन में भी मतलब ये था कि आसमान में खुदा उस की तारीफ़ करे और ज़मीन में खुदा की मखलूक उस की तारीफ करे |

वालिद साहब हज़रत अब्दुल्ला का इन्तिकाल

अल्लाह को ये मंज़ूर न था कि आप अपने वालिद की निगरानी में परवरिश पायें क्यूंकि आप की तरबियत तो आसमान से होनी थी इसलिए तकदीर ने अपना काम किया और आप की पैदाइश से कुछ महीने पहले ही मदीने के एक सफर में वालिद अब्दुल्लाह का इन्तिकाल हो गया |

आप स. अ. को दूध पिलाने के दिन

पैदाइश के तीन चार दिन तक तो खुद आप की वालिदा ने ही दूध पिलाया फिर चचा अबू लहब की बंदी सुवैबा ने आप को दूध पिलाया, सुवैबा के बाद दूध पिलाने की सआदत हज़रत हलीमा सादिया के हिस्से में आई |

हुआ ये कि मक्का में ये रिवाज था कि माँ बाप अपने बच्चों को दूध पिलाने और शरुआती परवरिश के लिए शहरों से ज्यादा देहातों में रखना ज्यादा पसंद करते थे ताकि देहात की साफ़ शफ्फाफ हवा और वहां की फसीह जुबान के बीच उनकी परवरिश हो इसी रिवाज के मुताबिक नबी स.अ. को हलीमा सादिया के साथ बनू साद कबीले में भेज दिया गया था जहाँ आप पांच साल तक हज़रत हलीमा सादिया के साथ रहे |

वालिदा हज़रत आमिना का इन्तेक़ाल

जब आप छे साल के हुए तो आप स.अ. को लेकर आपकी वालिदा हज़रत आमिना अपने ननिहाली रिश्तेदारों से मिलने गयीं, उन के साथ उम्मे ऐमन भी थीं वहां से वापसी पर एक जगह जिसका नाम अबवा था वहीँ पर हज़रत आमिना का इन्तेकाल हो गया |

To Be Continued…..

 

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