Neki Kya Hai | An Inspirational Story
हकीकी नेकी क्या है ?
एक बूढ़े बाप ने अपने तीन बेटों को अपने सामने बुलाया और अपनी तमाम जायदाद को उनमें बराबर तकसीम कर दिया फिर उनको एक क़ीमती मोती दिखा कर कहा : “ये मोती उसी को मिलेगा जो मेरी बची हुई ज़िन्दगी में सब से अच्छा कोई नेकी का काम करेगा”
पहला लड़का
एक लड़का कुछ दिन बाद आया और उसने कहा : वो मोती मुझे दे दीजिये
तो बाप ने पुछा : ऐसा कौन सा नेक काम तुम ने किया जो मुझसे ये मोती मांग रहे हो ?
लड़के ने कहा : एक शख्स ने पचास हज़ार रूपए मेरे पास अमानत के तौर पर रखे थे जिसको न लिखा गया था और न ही उसका कोई गवाह था वो शख्स अपनी रक़म लेने आया तो मैंने वापस दे दिया हालाँकि अगर मैं चाहता तो इनकार कर सकता था कोई मेरा कुछ बिगाड़ नहीं सकता था तो इस से बढ़ कर और नेकी का काम क्या हो सकता है ?
बूढ़े ने हंस कर कहा : नेकी का ये मामूली काम है बल्कि तुम किसी का हक मारने के गुनाह से बच गए, अगर दुसरे दोनों लड़कों ने इस से अच्छा काम नहीं किया तो ये मोती तुम को दे दिया जायेगा |
दूसरा लड़का
दूसरा लड़का बूढ़े बाप के पास कुछ दिनों बाद आया और मोती की डिमांड की तो बाप ने पुछा : तुम ने कौन सी नेकी की है ?
तो लड़के ने बताया : नदी में बहुत बाढ़ थी एक लड़का पुल पर से नदी में गिर गया, उसके माँ बाप और कई लोग खड़े देखते रहे और उसे निकालने की हिम्मत न जुटा सके तो मैंने अपनी जान को खतरे में डाल कर बड़ी मुश्किल से उसको जिंदा निकाला, भला इस से बढ़ कर नेकी और क़ुरबानी की क्या मिसाल हो सकती है ?
बाप ने हंस कर जवाब दिया : हमदर्दी और इंसानियत का एक छोटा सा काम है, खैर अगर तीसरे बेटे ने कोई इस से बेहतर नेकी का काम न किया तो ये मोती तुम को मिल जायेगा |
तीसरा बेटा
तीसरा बेटा एक दिन अपने बाप की ख़िदमत में हाज़िर हुआ उसने दोनों भाइयों की तरह मोती नहीं माँगा बल्कि अपना कारनामा बताया कि
“मेरा एक जानी दुश्मन पहाड़ पर इस तरह बेहोश पड़ा था कि इधर उधर ज़रा सी हरकत करता तो वो पहाड़ की उंचाई से नीचे गिर कर मर जाता, मैं जानता था ये मेरा दुश्मन है फिर भी मैंने उसे कपडे से ढांप दिया ताकि अगर वो जाग जाये तो मुझे पहचान कर शर्मिंदा न हो फिर रात के अँधेरे में अपनी पीठ पर उठा कर मैं उसे उसके घर छोड़ आया”
तो बूढ़े ने बगैर कोई देर किये वो मोती उसके हवाले किया और कहा : वाक़ई तेरी नेकी तारीफ़ के लाइक है और इस मोती का तुझ से ज्यादा कोई हक़दार नहीं |
इस कहानी से हमने क्या सीखा
हकीकी नेकी यही है जो दुश्मनों और बुरे लोगों के साथ की जाये ये जानते हुए कि ये दुश्मन है फिर भी उसकी मदद की जाये ये जानते हुए कि ये बुरा आदमी है फिर भी उसका साथ दिया जाये |
हमरे नबी स.अ. पर दुश्मनों ने क्या क्या ज़ुल्म नहीं किये लेकिन जब फ़तहे मक्का के दिन जब नबी स.अ.फ़ौज लेकर मक्का में दाखिल हुए तो दुश्मन डर रहे थे पता नहीं आज हमारा क्या होगा लेकिन फिर भी नबी स.अ. ने सब को अमान दी और किसी से बदला नहीं लिया बल्कि सब को माफ़ कर दिया |
आम तौर से हमारे रिश्तेदार हमारे साथ बुरा करते हैं लेकिन बदले में हम को उनके साथ ऐसा नहीं करना चाहिए बल्कि हकीकी नेकी ये है कि अपने साथ बुरा करने वालों की मुश्किल में उनका साथ दें |
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