Tahajjud Ke Fayde
तहज्जुद की नमाज़ पढने पर अल्लाह तआला दो चीज़ें अता करते हैं
जो लोग तहज्जुद की नमाज़ पढ़ते हैं वो बहुत ही ज्यादा खुशनसीब लोग होते हैं इसलिए कि इस नमाज़ की तौफ़ीक़ हर बन्दे को नहीं होतीं | बहुत ही कम लोग होते हैं जो इसको अदा करते हैं जिस बन्दे को अल्लाह तहज्जुद की तौफ़ीक़ देदे तो फिर उसको इस नमाज़ में ऐसा मज़ा आता है वो बंदा कभी तहज्जुद छोड़ ही नहीं सकता |
क्यूंकि इस सुबह के वक़्त पढी जाने वाली नमाज़ में बहुत ज्यादा सुकून होता है अल्लाह की तरफ रगबत होती है और दिल को बहुत इतमिनान होता है और तहज्जुद पढने वाले को अल्लाह तआला दो इनआम अता फरमाता है |
हदीस शरीफ़
एक रिवायत में है कि हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद र.अ. फरमाते हैं कि दो बन्दे ऐसे हैं जिनको देख कर अल्लाह तआला बहुत खुश होते हैं फ़रमाया कि इन दो बन्दों में से
एक बंदा वो है जो सख्त सर्दी की रात में अपने बिस्तर और अपनी रजाई से बाहर निकलता है और वुजू करता है वुजू करने के बाद वो नमाज़ के लिए खड़ा होता है तो अल्लाह तआला फरिश्तों से पूछता है ए फरिश्तों मुझे बताओ कि मेरे बन्दे को इस तकलीफ़ पर किसने उभारा सख्त सर्दी की रात है आराम का वक़्त है और ये मेरा बंदा मेरे लिए खड़ा हुआ है आखिर ये क्या चाहता है और किस चीज़ ने इसे मजबूर किया अल्लाह तआला सब कुछ जनता है लेकिन फिर भी फरिश्तों से पूछता है ताकि अपने बन्दे की अज़मत को ज़ाहिर करे
तब फ़रिश्ते कहते हैं कि ए अल्लाह ये बंदा आपसे आपकी रहमत चाहता है और दूसरी बात आपके अज़ाब से डरता है और आपके अज़ाब से पनाह मांगता है
पहला इनआम
तब अल्लाह तआला फरमाते हैं कि मैंने इसको अपनी रहमत दे दी और जब अल्लाह की रहमत मिल जाती है तो सारे काम वो चाहे दुनिया के हों या आख़िरत के बन जाते हैं और अल्लाह राज़ी हो जाता है
दूसरा इनआम
और दूसरी बात अल्लाह फरमाते हैं कि जिस चीज़ से ये डर रहा है यानि मेरे अज़ाब से तो मैंने इसको अपने अज़ाब से पनाह दे दी और आख़िरत की सज़ा से महफूज़ कर दिया
अल्लाह की ज़ात बहुत करीम है कि उसने अपने बन्दे को ये दोनों चीज़ें अता कर दीं इसलिए आप सभी से ये गुज़ारिश है कि सुबह के वक़्त मिलने वाली इस नेअमत को हाथ से न जाने दें