Sadqatul Fitr Kaise Nikale
सद्क़तुल फ़ित्र या फ़ितरा कैसे निकालें
रमज़ान में दो तरह के सदके किये जाते हैं
ज़कात जो कि माल की ज़कात है
सद्क़तुल फ़ित्र जो कि बदन की ज़कात है
ज़कात के बारे में अगर पढना चाहें तो आप यहाँ क्लिक करें क्यूंकि यहाँ पर हम सिर्फ़ सद्क़तुल फ़ित्र के बारें में ही बात करेंगे
लोग इस को 4 नामों से जानते हैं
इसे सद्क़तुल फ़ित्र, सदकाए फ़ित्र, फ़ितरा, फितराना भी कहते हैं
सद्क़तुल फ़ित्र का मक़सद क्या है ?
इसका मक़सद ये है कि रोज़ेदार से अगर कोई बेहूदा या ना मुनासिब बात हो गयी हो तो इस सदके के ज़रिये माफ़ हो जाये और ग़रीब व मिसकीनों के खाने पीने और ज़रूरतों का इंतज़ाम हो जाये, वो लोग भी ईद की ख़ुशी में शामिल हो सकें और कम से कम इस दिन उन्हें किसी के सामने हाथ न फैलाना पड़े |
सदकाए फ़ित्र के बारें हम 4 बातें जानेंगे
किस पर वाजिब है ? कितना वाजिब है ? किस की तरफ से अदा करना वाजिब है ? कब वाजिब है ?
किस पर वाजिब ( ज़रूरी ) है ?
सिम्पल सी बात समझ लीजिये कि जिस पर ज़कात वाजिब है उस पर सदकाए फ़ित्र भी वाजिब है लेकिन फ़र्क ये है कि ज़कात तब अदा करनी होती है जब 612 ग्राम चांदी की क़ीमत के बराबर माल आपके पास पूरे साल रहा हो अगर आपके पास 1 साल से कम इतना माल रहा और साल पूरा होने से पहले ख़त्म हो गया तो आप पर ज़कात वाजिब नहीं |
लेकिन सदकाए फ़ित्र में 1 साल की कोई क़ैद नहीं है बस आपके पास 612 ग्राम चांदी के बराबर माल हो तो आपको सदकाए फ़ित्र अदा करना होगा, लेकिन उलमा ने लिखा है कि अगर आपके पास इतना माल न भी हो तब भी सदकाए फ़ित्र अदा कर देना चाहिए |
कितना वाजिब है ?
सदकाए फ़ित्र अदा करने के लिए हदीस में चार चीज़ें बताई गयी हैं
(1) गेहूं (2) जौ (3) खजूर (4) किशमिश
क्या इन सब में से हर किसी को अदा करना होगा ?
नहीं, ये चार ऑप्शन हैं इन चारों में से किसी एक से अदा करना होगा |
(1) गेहूं ( Wheat )
अगर गेहूं से निकालेंगे तो तक़रीबन पौने दो किलो गेहूं बनेगा जिसकी कीमत 35 रूपए से 40 रूपए तक अलग अलग इलाकों के हिसाब से बनती है आप चाहें तो गेहूं ही दे दें या इसकी कीमत दे दें
(2) जौ ( Barley )
ये भी एक अनाज है अगर इससे निकालना चाहें तो तक़रीबन साढ़े तीन किलो निकालना होगा |
(3) खजूर ( Dates )
खजूर से तक़रीबन साढ़े तीन किलो निकालना होगा |
(4) किशमिश ( Raisins )
ये भी साढ़े तीन किलो निकाला जायेगा
यानि पौने दो किलो गेहूं जिस रेट पर आपके एरिये में आती है उतना एक आदमी का फ़ित्र
साढ़े तीन किलो जौ जिस रेट पर आपके एरिये में आती है उतना एक आदमी का फ़ित्र
साढ़े तीन किलो खजूर जिस रेट पर आपके एरिये में आती है उतना एक आदमी का फ़ित्र
साढ़े तीन किलो किशमिश जिस रेट पर आपके एरिये में आती है उतना एक आदमी का फ़ित्र
अब आपको करना ये है कि इन चारों में से किसी एक को आप अपनी हैसियत के हिसाब से चुन लें और उस से फितरा अदा कर दें यानि वो ही चीज़ दे दें या उसकी कीमत |
फ़ित्र निकलने के लिए 4 चीज़ें क्यूँ ?
इसलिए कि हर इंसान के पास माल बराबर नहीं होता, किसी के पास कम किसी के पास ज्यादा, तो शरीअत ने इसका ख्याल रखा है कि जिसकी जितनी हैसियत है वो उतना ही निकाले जैसे कोई कम हैसियत का मालिक है तो वो गेहूं से निकालेगा तो उसको पौने दो किलो के हिसाब से 35 से 40 रूपए ही देने पड़ेंगे |
अगर कोई मिडिल क्लास है तो साढ़े तीन किलो जौ की कीमत से निकाले तो उसको कुछ ज्यादा खर्च करना होगा |
अगर आप को अल्लाह ने और दिया है तो साढ़े तीन किलो खजूर या साढ़े तीन किलो किशमिश की कीमत से निकालें |
लेकिन आम तौर से देखा जाता है कि बड़े बड़े मालदार लोग भी गेहूं से निकालते हैं हालाँकि उन्हें खजूर या किशमिश से निकालना चाहिए खैर ये भी अल्लाह का फ़ज़ल है जिसको चाहता है अता करता है |
किस की तरफ से अदा करना वाजिब है ?
घर में मौजूद मर्द की ज़िम्मेदारी है कि वह अपनी तरफ से निकाले, और अपने नाबालिग़ बच्चों की तरफ से निकाले, वह चाहे लड़के हो या लड़की हो, और जो बालिग़ है उनकी तरफ से निकालना वाजिब नहीं है, हाँ अगर निकाल दे तो कोई दिक्क़त नहीं, बीवी अगर खुद साहिबे निसाब है तो को बीवी की तरफ से निकालना शोहर के लिए वाजिब नहीं है, हाँ अगर निकाल दे तो कोई हर्ज नहीं है |
कब वाजिब है ?
सदकाए फ़ित्र ईद की सुबह वाजिब होता है, लेकिन कोई अगर रमज़ान में ही निकल दे तो कोई हर्ज नहीं है क्यूंकि नबी स.अ. के दौर में कुछ सहाबा ईद के पहले ही फ़ित्र अदा कर देते थे ताकि गरीबों तक जल्द ही माल पहुंचे, और उनकी भी ईद अच्छी हो जाये क्यूंकि इस सदके का मकसद ही यही है कि हर गरीब के घर भी खुशियाँ आयें और वो ईद मनाये,
ईद की नमाज़ से पहले सद्क़तुल फ़ित्र अदा करना मुस्तहब है, लेकिन अगर ईद की नमाज़ पढ़ ली अदा न किया तो अब भी वो आपके जिम्मे है, जल्द अदा करें तो अदा हो सकता है वरना अदा नहीं होगा |
क्या सद्क़तुल फ़ित्र दो लोगों को दिया जा सकता है ?
हाँ, दिया जा सकता हैं जैसे आपने अपनी बीवी बच्चों को मिला कर क़रीब चार लोगों का गेहूं के हिसाब से निकाला तो 40 रूपए के हिसाब से 160 रूपए बनते हैं तो आप चाहें तो दो गरीबों को भी दे सकते हैं लेकिन उलमा ने लिखा है कि एक को ही इतना दे दिया जाये कि उसकी ज़रूरतें पूरी हो सकें |
किसको नहीं दे सकते ?
सद्क़तुल फ़ित्र ग़ैर मुस्लिम को नहीं दे सकते
और जिनकी नस्ल से आप हैं उनको नहीं दे सकते जैसे माँ, बाप, दादा, दादी, नाना, नानी वगैरह और जो आप की नस्ल से हैं उनको भी नहीं दे सकते जैसे पोता, पोती, नवासा, नवासी क्यूंकि ये सब तो वैसे ही आपकी ज़िम्मेदारी में हैं |
ईद से पहले ही इसको खूब शेयर करें
असलामु आलिकुम मुझे सूरे मुल्क हिंदी में होना है ट्रांसलेट होना था महेरबानी होगी आप सूरे मुल्क हिंदी मुझे भेजे
insha allah main jald hi koshish karoonga
Eid ki Namaz ka khutba kese pade
ye hai khutba aap isko padhen aur share kare
https://www.deenibaatein.com/ghar-me-eid-ki-namaz-ka-khutba-kaise-padhen/