Eid Ke Din Ye Kaam Zaroor Karen
ईद के दिन ये 13 काम ज़रूर करें
ए मुहम्मदुर रसूलुल लाह के उम्मतियों, ए रोज़ेदारों, ए मोमिनों
आप सभी को आने वाली ईद का खुशियों भरा दिन मुबारक हो
ईदुल फ़ित्र (Eid-Ul-Fitr) ये वो दिन है जिसे अल्लाह तआला ने एक महीने तक रोज़े रखने के बाद अपने बन्दों को इनआम फ़रमाया है, ये वो दिन है जिसका हर मुसलमान को बड़ी शिद्दत से इन्तिज़ार रहता है, और यही वो दिन है जब बच्चे, जवान और बूढ़े सब अपने चेहरे पर ख़ुशी की फुहार लिए ईदगाह की तरफ चल पड़ते हैं और वहां नमाज़ अदा करते हैं और अपने रब का शुक्र अदा करते हैं |
लेकिन दोस्तों ! अब चूंकि अल्लाह तआला ने हमें ये बा बरकत दिन अता फ़रमाया है तो क्यों न हम इसे अपने नबी के तरीक़े के मुताबिक़ गुजारें हमारे प्यारे नबी स.अ. ने जैसे इस दिन को गुज़ारा, क्यूँ न हम भी इसे वैसे ही गुजारें ताकि हमारा नाम अल्लाह के यहाँ फरमा बरदारों और उसके रसूल के पैरूकारों में लिखा जाये इसलिए ईद के दिन ये 13 काम ज़रूर करें (Eid Ke Din Ye Kaam Zaroor Karen)
Eid Ke Din Ye Kaam Zaroor Karen | ईद के दिन ये 13 काम ज़रूर करें
1. सद्क़तुल फ़ित्र ( फितरा )
फ़ित्र या फितराना जैसा कि ईद की नमाज़ से पहले ही अदा करने का हुक्म है इसलिए उसको ईद से पहले ही अदा करते हुए किसी गरीब को दे दें ताकि वो लोग भी इन खुशियों में शामिल हों और आपका फ़ितरा सही टाइम पर अदा हो |
2. फज्र की नमाज़ जमात के साथ पढ़ें
सुबह को जल्द उठ कर सब से पहले फज्र की नमाज़ पढें और अपने दिन कि शुरुआत नमाज़ से करें और इसमें बिलुकल कोताही न करें |
3. मिस्वाक करें
मिस्वाक हमारे नबी की सुन्नत है इसको वैसे पाँचों नमाज़ों में इस्तेमाल करना चाहिए लेकिन अगर नहीं करते तो कम से कम जुमा के दिन और ईद के दिन तो ज़रूर करना चाहिए
4. सुन्नत के मुताबिक़ गुस्ल करें
गुस्ल करके अपने जिस्म को मुकम्मल पाक साफ़ करना ईद की नमाज़ के लिए बहुत ही अच्छा और सुन्नत अमल है
5. ईद की नमाज़ अदा करें
पूरे एहतिमाम के साथ ईदगाह में ईद की नमाज़ अदा करें
6. नया लिबास पहनें
नया लिबास पहनना मुस्तहब है लेकिन ज़रूरी नहीं है इसलिए, अगर नया न हो तो जो सब से अच्छा लिबास मौजूद हो जो अल्लाह ने अता किया हो बस वही पहन लें |
7. खुशबू लगाना
ख़ुशबू और इत्र लगाना हमारे नबी पाक स.अ. की पसंदीदा चीज़ों में से है इसीलिए हमारे नबी पाक स.अ. हमेशा महकते रहते थे और ख़ुशबू इस्तेमाल करने के लिए सभी को तलकीन किया करते थे आम तौर से जुमा और ईद की नमाज़ में इत्र लगाना मुस्तहब है इसलिए इसको ज़रूर लगाना चाहिए |
8. ईदगाह जाने से कोई मीठी चीज़ खाना
नमाज़ के लिए जाने से पहले हमारे नबी स.अ. मीठी चीज़ यानि खजूर खाते थे इसका मक़सद ये होता था कि रमज़ान का महीना ख़त्म हो गया अब खाने की शुरुआत हो चुकी है |
हदीस में है कि….
हज़रत अनस बिन मालिक र.अ. फरमाते हैं: रसूलुल लाह स.अ. ईद के दिन न निकलते जब तक आप स.अ. चन्द खजूरें न खा लेते
सहीह अल-बुखारी, हदीस नंबर: 953
9. तक्बीरे तशरीक़ पढ़ते हुए ईदगाह जाना
नमाज़ के लिए पैदल जाना सुन्नत है लेकिन अगर दूरी हो तो सवारी का इस्तेमाल भी कर सकते हैं लेकिन रास्ते भर तक्बीरे तशरीक़ पढ़ते हुए जाना चाहिए |
तकबीर-ए-तशरीक
“अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर, ला इलाहा इल्लल लाहु, वल्लाहु अकबर,
अल्लाहु अकबर, वलिल लाहिल हम्द”
तरजुमा : अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह सबसे बड़ा है। अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं। अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह सबसे बड़ा है, और सारी तारीफें अल्लाह के लिए हैं।
ये तकबीर अल्लाह की क़ुदरत, अज़मत और तौहीद को बयांन करती है, मक़सद ये है कि ख़ुशी के मौक़े पर भी अल्लाह का ज़िक्र जुबां पे रहे |
10. ईदगाह से रास्ता बदल कर वापस आना
हमारे नबी पाक स.अ. की एक सुन्नत ये भी थी कि आप स.अ. जिस रास्ते से ईदगाह जाते थे वापसी में दुसरे रास्ते से वापस आते थे जिसका मक़सद ये था कि शहर के ज़्यादा से ज़्यादा हिस्सों में अल्लाह के पैग़ाम को फैलाना, ज़्यादा से ज़्यादा लोगों से मुलाक़ात करना और सब की खैर खबर लेना और ये भी था कि कोई यतीम या मिस्कीन जिसको आपकी ज़रुरत हो और वो दूसरे रस्ते पर बैठा हो |
11. गरीबों और मिसकीनों के घर भी खुशियाँ पहुंचाएं
आप सेहतमंद हैं और आपके पास ज़रुरत से ज़्यादा सामान मौजूद है तो ये अल्लाह का फजल है, अब इस फजल का शुक्र अदा करने के लिए आप अपनी तरफ से हर मुमकिन कोशिश करें कि आपके आस पास कोई भी घर ईद की खुशियों से महरूम न हो इसके अलावा आपका खानदान, रिश्तेदार, पड़ोसी हो या आपके दोस्त हो, सब को मुहब्बतों के साथ खिला पिला कर खुशियों में शामिल करें |
12. यतीम के सर पर हाथ फेरें
माँ बाप कितनी बड़ी नेअमत होते हैं ये बात तो वही समझ सकता है जिसके माँ बाप न हों, हमारे नबी मुहम्मद स.अ. खुद यतीम थे, और आप स.अ. उस दर्द को बहुत अच्छी तरह समझते थे, इसीलिए शरीअत में यतीम की ज़िम्मेदारी लेने पर बड़ी फ़ज़ीलत है
तो अगर आपके आस पास कोई बच्चा यतीम है, तो हम सबकी ज़िम्मेदारी बनती है कि उसे यतीम होने का अहसास न होने दिया जाये कि “काश अगर मेरा बाप होता तो आज मैं भी नए कपडे पहनता” |
13. रमज़ान की इबादतों को बर्बाद न करें
रमज़ान में तो खूब रोज़े रखे, दुआएं कीं, अल्लाह से रहमत और मगफिरत का सवाल किया, लेकिन जैसे ही ईद आयी तो कुछ ऐसे गुनाहों में पड़ गए कि जिससे रमज़ान का असर जाता रहा इसलिए ज़्यादा से ज़्यादा गुनाहों से बचने की अल्लाह से तौफ़ीक़ मांगें |
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