Power Of Ayatul Kursi
आयतुल कुर्सी ने एक सरकश जिन को हलाक कर डाला
इब्ने क़ुतैबा रहमतुल लाहि अलैह फरमाते हैं कि मुझ से बनी कअब क़बीले के एक शख्स ने अपना एक वाक़िया बयान किया , उस ने कहा मैं ख़जूर बेचने के लिए बसरा की तरफ आया था, मगर रहने के लिये सिवाए एक घर के दूसरी जगह न मिल सकी, वो घर इतना वीरान और उजड़ा हुवा था कि जगह जगह मकड़ियों ने जाले लगाये हुए थे
घर वीरान क्यूँ था ?
मैंने जब लोगों से इसकी वीरानी की वजह मालूम की तो उन्होंने बताया कि इस घर में आसीब ( जिन ) का असर है मैंने उसके मालिक से कहा मुझे किराये पर इस मकान की ज़रुरत है, मालिक ने कहा क्यूँ अपनी जान खोते हो इस में एक सरकश जिन है जो भी इस घर में आता है वो उसको हलाक कर डालता है मैंने कहा कि बस आप मुझे रहने के लिए इसे दे दें, अल्लाह तआला मेरी हिफाज़त करेगा उसने मेरी बात मान ली और मुझे मकान किराये पर दे दिया
मैंने अपना सामान लाकर वहां रख दिया और उस में रहने लगा, जब रात हुई तो मैंने देखा कि इन्तिहाई काले रंग का एक शख्स मेरे क़रीब आ रहा है, उसकी आँखें आग के शोलों की तरह चमक रही थीं, और उस पर अँधेरा सा छाया हुआ था, इतने में वो मुझ से बहुत ज़्यादा करीब हो गया तो मैंने आयतुल कुर्सी ( Ayatul Kursi ) यानि अल्लाहु ला इलाहा इल्लाहू आखिर तक पढ़ा |
जिन कैसे हलाक हुआ ?
लेकिन जैसे मैं पढ़ता तो वह शख्स भी उसको उसी तरह दोहराता यहां तक कि जब मैं “वला यऊदुहू हिफ्ज़ुहुमा वहुवल अलिय्युल अज़ीम” पर पहुंचा तो उस ने कुछ नहीं पढ़ा, मैं बार बार इसी कलमे को पढता रहा जिससे वो तारीकी यानि अँधेरा खत्म हो गया और वह शख्स भी गायब हो गया |
फिर मैं एक किनारे हो कर सो गया, सुबह हुई तो उस जिन की जगह पर चलने के कुछ निशान और राख नजर आई और कहने वाला कह रहा था “तुमने बहुत बड़े ख़तरनाक जिन को हलाक कर डाला” मैंने पूछा वह किस तरह हलाक हो गया उसने जवाब दिया “अल्लाह तआला के इरशाद “वला यऊदुहू हिफ्ज़ुहुमा वहुवल अलिय्युल अज़ीम” से
इस वाक़िये को इमाम गजाली रहमतुल्लाही अलैह ने “खवासुल क़ुरान” जिक्र किया है
आयतुल कुर्सी कब पढ़ें ?
आयतुल कुर्सी हर फ़र्ज़ नमाज़ के बाद एक बार ज़रूर पढ़ें
आयतुल कुर्सी को सोने के वक़्त एक बार ज़रूर पढ़ें
क्यूंकि इस से बेशुमार बालाओं से अल्लाह हमारी हिफाज़त करते हैं