Namaz Me Farz Kitne Hain
नमाज़ में 6 फ़र्ज़ का क्या मतलब है ?
आप जानते हैं कि शरीअत में कुछ काम फ़र्ज़, कुछ वाजिब और कुछ सुन्नत होते हैं उन में से जो फ़र्ज़ होते हैं उनका हर हाल में करना ज़रूरी होता है इसी तरह वाजिब और सुन्नत की अलग अलग अहमियत है इस को जानने के लिए यहाँ क्लिक करें
खैर, तो नमाज़ की जहाँ तक बात है तो नमाज़ के अन्दर कुछ चीज़ें फ़र्ज़, वाजिब और सुन्नत होती हैं लेकिन आज हम सिर्फ़ नमाज़ के फ़र्ज़ या फ़राइज़ ( Namaz Me Farz ) की बात करेंगे,
नोट : नमाज़ के अन्दर जो चीज़ें फ़र्ज़ हैं उन में से एक भी अगर छूट गया, तो हर हाल में नमाज़ दोबारा पढ़नी पड़ेगी, हालाँकि नमाज़ के वाजिबात में से कोई चीज़ छूट जाये तो सज्दये सह्व (सलाम फेरने से पहले दो सजदे ) कर लें तो नमाज़ हो जाएगी, लेकिन अगर कोई फ़र्ज़ छूट गया तो नमाज़ दोहरानी पड़ेगी सिर्फ़ सज्दये सह्व से काम नहीं चलेगा |
नमाज़ के फ़राइज़ 6 हैं
1. तक्बीर तहरीमा
मतलब नमाज़ शुरू करने के लिए अल्लाहु अकबर कह कर जो नियत बंधते हैं उसी को तक्बीरे तहरीमा कहते हैं और ये जान लीजिये कि तकबीर नमाज़ में फ़र्ज़ है
बिलकुल अनपढ़ या गूंगे आदमी की तकबीर
अगर कोई शख्स बिलकुल अनपढ़ और जाहिल हो, तक्बीरे तहरीमा को बोल कर अदा ही ना कर पाता हो, या गूंगा हो और तकबीर कह ही नहीं सकता हो, तो ऐसे शख्स के लिए ज़ुबान से तकबीर कहना ज़रूरी नहीं बल्कि सिर्फ़ नियत ही से उनकी नमाज़ हो जाएगी
“आललाहु अकबर” या “अल्लाहु अकबार कहना”
अल्लाहु अकबर का “अलिफ़” या “बा” नहीं खींचना नहीं चाहिए नहीं तो नमाज़ टूट जाएगी बल्कि साफ़ साफ़ अल्लाहु अकबर कहना चाहिए
2. क़याम करना
जब आदमी नमाज़ के लिए हाथ बाँध कर खड़ा होता है उसी हालत को क़याम कहते हैं और ये फ़र्ज़ है
3. किरत करना यानि क़ुरान का कुछ हिस्सा पढ़ना
एक रकात में कम से कम तीन छोटी आयतें या फिर एक बड़ी आयत को सूरह फ़ातिहा के साथ पढ़ना चाहिए
किस नमाज़ में सूरह फ़ातिहा के साथ सूरह मिलाना ज़रूरी है ?
तमाम सुन्नतें, नफ्लें और वित्र की हर रकात में सूरह फ़ातिहा के बाद सूरह मिलाना वाजिब है, लेकिन फ़र्ज़ नमाज़ जब 4 रकात वाली हो तो पहली दो रकात में सूरह फ़ातिहा के बाद सूरत मिलाना है और आख़िरी दो रकातों में सिर्फ़ सूरह फ़ातिहा पढ़ना है और बगैर कोई सूरह पढ़े रुकू में चले जाना है
जो शख्स क़ुरान पढ़ा हुआ न हो वो नमाज़ कैसे पढ़े ?
जो क़ुरान पढ़ा हुआ न हो उस पर कुरान सीखना और कुछ सूरतें याद करना ज़रूरी है, वरना वो इस कोताही पर गुनाहगार होगा और जब तक न सीख सके तो वो नमाज़ इस तरह पढ़े कि नियत बाँध कर नमाज़ का तसव्वुर कर के खड़ा रहे, और रुकू व सजदे में इतनी देर लगाये जितना आम नमाज़ी को देर लगती है |
4. रुकू करना
रुकू का मतलब झुक जाना और सही रुकू यही है कि आदमी इतना झुके कि उसका सर आधे बदन की सीध में आ जाये |
5. हर रकात में दो सजदे करना
सजदे का मतलब पेशानी (माथे) को ज़मीन पर टेकना, और सजदे का तरीक़ा ये है कि माथा और नाक दोनों ज़मीन से लग जाएँ ऐसा न हो कि माथा लग जाये लेकिन नाक न लगे |
6. क़अदह अखीरा करना
क़अदह का मतलब है बैठना यानि दो या चार रकात पूरी करने के बाद जब अत तहिय्यात के लिए बैठते हैं उसी बैठने की हालत को क़अदह कहते हैं |
अल्लाह हम सबको अमल की तौफ़ीक़ अता फ़रमाए
आमीन
Very good knowledge
Masha Allah
very good