Allah Ka Farman | A Beutiful Poem Hindi
अल्लाह अपने बन्दों से क्या फरमाते हैं ?
यक़ीनन एक इन्सान इस दुनिया में रहने और बसने के लिए क्या नहीं करता वो इस दुनिया की चीज़ों को हासिल करने के लिए सही ग़लत हर तरह के हथकंडे अपनाता है, लेकिन इस के बदले वो चीज़ों को तो हासिल कर लेता है लेकिन उसकी रूह जिस चीज़ को तलाश कर रही है उस से वो महरूम रह जाता है और मरने के बाद वो ख़ाली हाथ रह जाता है |
एक वो इन्सान जो अपने हर काम में अल्लाह की ख़ुशी चाहता है, और दुनिया में रह कर भी आख़िरत के लिए काम कर रहा होता है, वो मकान में हो या दूकान में, सड़क पर हो या मोहल्ले में, हर जगह अल्लाह के हुक्म को सामने रख कर अमल करता है तो ऐसे शख्स के लिए अल्लाह ने दुनिया व आख़िरत में बड़े वादे फरमाए हैं |
और अल्लाह चाहते हैं कि मेरा बंदा मुझ से मांगे तो मैं अता करूं वो मेरे रास्ते में चले तो मैं नवाज़ दूँ, इसी पर एक a Beautiful Poem Hindi में है जिसे आपको ज़रूर पढ़ना चाहिए |
अल्लाह तआला अपने बन्दों से फरमाते हैं कि
मेरी तरफ आकर तो देख
मुतवज्जह न हूँ तो कहना
मेरी राह में चल कर तो देख
राहें न खोल दूं तो कहना
मेरे लिए बेकदर हो कर तो देख
क़द्र की हद ना कर दूं तो कहना
मेरे लिए लुट कर तो देख
रहमत के खजाने ना लुटा दूं तो कहना
मुझे अपना मान कर तो देख
सबसे बेनियाज़ ना कर दूं तो कहना
मेरे खौफ़ से आंसू बहा कर तो देख
मगफिरत के दरिया ना बहा दूं तो कहना
वफा की लाज निभाकर तो देख
अता की हद ना कर दूं तो कहना
मेरे नाम की ताज़ीम करके तो देख
तकरीम की इंतिहा ना कर दूं तो कहना
मेरी रास्ते में निकल कर तो देख
असरार अयां ना कर दूं तो कहना
अपनी हस्ती को फना करके तो देख
जामे वफ़ा से सरफ़राज़ न कर दूँ तो कहना
मेरे लिए कूचे में बिक कर तो देख
तुझे अनमोल ना कर दूं तो कहना
मेरे लिए मलामत सह कर तो देख
इकराम की इंतिहा ना कर दूं तो कहना
बिल आख़िर मेरा होकर तो देख
हर किसी को तेरा न बना दूं तो कहना
Meaning Of The Poem | हर शेर का मतलब
पहली लाइन में : अल्लाह तआला फरमाते हैं कि हर तरफ से तवज्जो हटा कर एक बार मेरी तरफ मुतवज्जह होकर पुकारो तो सही, मैं तुम्हारी पुकार पर तुम्हारी तरफ तवज्जो न करू तो कहना |
दुसरे शेर में : इन्सान अलग अलग तरह की कई मुश्किलों में फंसा हुआ है और और उनका हल चाहता है तो अल्लाह तआला फ़रमाते हैं कि सिर्फ मेरी तरफ़ चलने लगो, मैं हर तरह की राहें खोल दूँगा, हर मुश्किल का रास्ता बता दूंगा |
तीसरे शेर में : कई बार ऊंचे रुतबे और मर्तबे वाले अपने छोटे को बेक़दर समझते हैं, और इन्सान को दुनिया कमाने के लिए ये सब सहना पड़ता है, तो अल्लाह फरमाते है हैं कि मेरे लिए बेक़दर हुआ तो मैं उसकी न सिर्फ दुनिया बल्कि आख़िरत में भी क़द्र करूंगा |
चौथे शेर में : अल्लाह फरमाते हैं ए मेरे बन्दे ! लोगों की मुहब्बत में पड़ कर तूने अपने आपको किसी काम का न रखा लेकिन मेरे लिए अपने आप को लुटा कर तो देख रहमत के खजाने मैं तुझ पर लुटा दूंगा |
पांचवें शेर में : दुनिया के सारे बुतों को छोड़ कर सिर्फ मुझे अपना खालिक़ और मालिक मान कर और मेरे बताये हुए रास्तों पर चल कर देख, तुझे इतना दे दूंगा कि तुझे कभी किसी के सामने हाथ फैलाना नहीं पड़ेगा |
छठे शेर में : तू अपने गुनाहों की माफ़ी चाहता है तो मेरे सामने दो आंसू तो बहा, देख तेरे सारे गुनाहों पर मै मिटटी दाल दूंगा |
सातवें शेर में : अगर तू दुनिया और आख़िरत की नेअमतों में नहाना चाहता है तो मेरे साथ वफ़ा कर, बेवफ़ाई न कर |
आठवें शेर में : जब तक तू मेरे नाम की अज़मत को बढ़ाता रहेगा, तब तक फरिश्तों और इंसानों में तेरी इज्ज़त और इकराम इतना होगा जितनी तुझे उम्मीद नहीं होगी |
नवें शेर में : जब तू खालिस मेरे रास्ते में निकलेगा तो तुझ पर ऐसे राज़ खोल दूंगा जिनसे दुनिया नावाकिफ़ है ( नहीं जानती है )
दसवें शेर में : जब तु मेरे लिए अपने आपको पूरी तरह से लगा देगा तो मैं भी अपने बन्दे की नेकियों का सिला देने में क्यूँ पीछे हटूंगा |
ग्यारहवें शेर में : अगर तू अनमोल होना चाहता है तो मेरे बाज़ार में, मेरी गलियों में बिक जा यानि एक गुलाम जिस तरह अपने आक़ा के लिए ही सब कुछ करता है |
बारहवें शेर में : मेरे रास्ते में जब तुझे लोग बुरा भला कहें, और तू उसको सह जाये तो तेरी इज्जत और एहतेराम के दरिया बहा दूंगा |
तेरहवें शेर में : आख़िर में बस यही कहूँगा कि मेरा होकर तो देख सब को तेरा बना दूंगा |
Very Good Sir
Mujhe Islamic Andaaz me Baat karne ka tariqa bataye sir (Ho sake to)