Deeni Maloomat | Shaitan Ke 6 Hathiyar
शैतान के 6 हथियार
आप अल्लाह तआला की सजाई हुई इस दुनिया में आये, वो दुनिया जो सिर्फ आप ही के लिए सजाई गयी है, और फिर आप आने के बाद नेक कामों में, अल्लाह की इबादत में, लोगों को तकलीफ दिए बगैर और नीचा दिखाए बगैर आगे बढ़ने में लग गए, और इसी तरह नेकी के रास्ते पर चलते हुए ज़िन्दगी की आख़िरी सांस तक पहुँच गए, यही वो रास्ता और तरीक़ा है जिसको अल्लाह तआला पसंद फ़रमाते हैं और यही दुनिया भी पसंद करती है |
लेकिन शैतान जो इन्सान का दुश्मन है वो हमेशा आपको सही रास्ते से गुमराह करने की कोशिश में रहता है और इसके लिए अपने अलग हथियार इस्तेमाल करता रहता है कि कैसे आदम की औलाद को भटकाए |
यहाँ पर हम ने शैतान के 6 तरीक़े बयान किये जिनको वो एक के बाद एक इस्तेमाल करता है
1. नेक काम से रोकता है
उलेमा ने लिखा है कि शैतान सबसे पहले इंसान को नेक काम से रोकता है यानी इंसान के दिल से नेक कामों की अहमियत निकाल देता है जिसकी वजह से जब नमाज़ के लिए उस से कहा जाता है तो बंदा कहता है कि अच्छा ठीक है मैं नमाज पढ़ लूंगा हालांकि दिल में पढ़ने की नियत नहीं होती
2. नेक काम को टालने की कोशिश करता है
अगर इंसान शैतान के कहने पर नेकी से ना रुके और वह नियत कर ले कि मुझे यह नेक काम करना है तो फिर वह बहकाने के लिए दूसरा हथियार इस्तेमाल करता है कि वह उसके काम को टालने की कोशिश करता है जैसे किसी के दिल में यह बात आई कि मुझे तौबा कर लेना चाहिए तो यह इस के दिल में डालता है कि अच्छा फिर कल से तोबा कर लेना, किसी के दिल में यह बात आई कि मैं नमाज पढ़ लूंगा तो कहता है कि कल से नमाज शुरु कर देना, ऐसे ही शैतान कोशिश करता रहता है कि बंदा नेक कामों को टालता रहे,
याद रखे ! जो काम टाल दिया जाता है वह टल जाया करता है
3.नेक काम को जल्दी निपटाने की कोशिश करता है
अगर कोई बंदा शैतान के उकसाने पर भी नेक काम के करने से ना रुके और कहे कि मैंने यह काम करना है तो फिर वह दिल में डालता है कि जल्दी कर लो, मिसाल के तौर पर अगर किसी जगह पर खाना भी खाना हो और नमाज भी पढ़नी हो तो दिल में वस्वसा डालता है कि जल्दी से नमाज पढ़ लो फिर खाना खाना
नहीं भाई नहीं ! बल्कि ऐसे कहना चाहिए कि पहले जल्दी जल्दी खाना खा लो फिर तसल्ली और सुकून से नमाज पढ़ लेंगे वरना जल्दबाज़ी में नमाज़ पढेंगे और ध्यान खाने में होगा |
4. नेक काम में रिया (दिखलावा ) पैदा करता है
अगर इस में भी शैतान कामयाब नहीं होता और कोई आदमी नेक काम कर लेता है तो फिर वह ये हथियार इस्तेमाल करता है कि उस नेक काम में रिया (दिखलावा ) पैदा करवा देता है और इस के जरिए उसके किए हुए अमल को बर्बाद करवाता है और जब दिल में रिया और दिखलावा आ जाये है तो बंदा दिल में सोचने लगता है कि जरा दूसरे भी देख ले कि मैं कैसा अच्छा अमल कर रहा हूं
5. बन्दे के दिल में ख़ुद पसन्दी डालता है
लेकिन अगर काम करते वक्त रिया भी पैदा ना हुआ तो पांचवां हथियार बन्दे के दिल में ख़ुद पसन्दी डालता है और जब ख़ुद पसन्दी आ जाये तो बंदा सोचता है कि मैं दूसरों से बेहतर हूं और यह भी दिल में होता है कि मैं तो फिर भी नमाज पढ़ लेता हूं लेकिन फलां तो नमाज़ भी नहीं पड़ता, वह समझता है कि मैं तो आखिर पढ़ा लिखा हूं और मैं हाजी हूँ इतने हज किए हैं और मैं नमाज़ी हूँ कोई नमाज़ मेरी नहीं छूटती है तो जब इस तरह इसमें तो तकब्बुर और घमंड आ जाता है तो यही खुद्पसंदी उस की बर्बादी का सबब बन जाता है |
6. बन्दे के दिल में शोहरत की तमन्ना पैदा कर देता है
लेकिन बंदा वाक़ई नेक है और उसके दिल में खुद पसंदी भी पैदा नहीं हुई तो शैतान अपना आख़िरी हथियार ये इस्तेमाल करता है कि वह बन्दे के दिल में शोहरत की तमन्ना पैदा कर देता है वो ज़ुबान से शोहरत पसन्दी की बातें नहीं करेगा लेकिन उसके दिल में यह बात होगी कि लोग मेरी तारीफ करें और जब लोग इसकी तारीफ करेंगे तो खुश होगा |
शैतान इन 6 हथियारों से इंसान के नेक आमाल बरबाद कर देता है
अल्लाह हमें शैतान से अपनी पनाह में ले ले और उसके हथकंडों को नाकामयाब कर दे