Ramzan Ke Maheene Ki Fazilat
रमज़ान के महीने की फ़ज़ीलत
1. रमज़ानुल मुबारक तमाम महीनों का सरदार है
ये महीना साल के तमाम महीनों का सरदार है, हदीस में है कि अबू सईद ख़ुदरी (रज़ियल लाहु अन्हु) नबी करीम सल्लल लाहु अलैहि वसल्लम का ये इरशाद नक्ल फरमाते हैं कि “रमज़ानुल मुबारक तमाम महीनों का सरदार है और हुरमत के एतबार से जिल हिज्जा सब से ज़्यादा अज़मत वाला है
2. रमज़ानुल मुबारक सब से बेहतर और अफज़ल महीना है
एक रिवायत में नबी करीम (सल्लल लाहु अलैहि वसल्लम) का इरशाद है कि मुसलमानों पर कोई ऐसा महीना नहीं गुज़रा जो रमज़ान से बेहतर हो, और मुनाफिक़ीन पर कोई ऐसा महीना नहीं गुज़रा जो रमज़ान से ज़्यादा बुरा हो
3. रमज़ान क़ुरान के नाज़िल होने का महीना है
इसी महीने में क़ुरान नाज़िल हुआ जिसके बारे में क़ुरआन में भी इरशाद है कि “रमज़ान का महीना ही वो महीना है जिसमें क़ुरान नाजिल हुआ” सिर्फ यही नहीं बल्कि जितनी भी मुक़द्दस किताबें नाज़िल हुईं सब इसी महीने में नाज़िल हुईं
4. रमज़ानुल मुबारक में आसमान के दरवाज़े खुल जाते हैं
हज़रत अबू हुरैरा (रज़ियल लाहू अन्हु) नबी करीम सल्लल लाहू अलैहि वसल्लम का ये इरशाद नक्ल करते हैं कि “जब रमज़ान का महीना दाख़िल होता है तो आसमान के दरवाज़े खोल दिए जाते हैं”
आसमान के दरवाज़े खुलने का मतलब
1. एक मतलब ये है कि रहमतों के नाज़िल होने के लिए आसमान के दरवाज़े खुलते हैं
2. और दूसरा मतलब ये है कि आसमान के दरवाज़े आमाल के क़ुबूल होने के लिए खुलते हैं जिसकी वजह से आमाल की तौफ़ीक़ भी खूब मिलती है और उन की क़ुबूलियत भी निहायत आला दरजे की होती है
5. रमज़ान रहमतों वाला महीना है
वैसे तो पूरे महीने रहमत नाज़िल होती रहती है लेकिन इस महीने के पहले अशरे यानि पहले दस दिन हदीस के मुताबिक़ ज़्यादा रहमतें नाज़िल होती हैं क्यूंकि वो अशरा ही रहमतों वाला है
6. इस महीने में जन्नत के दरवाज़े खुल जाते हैं
हज़रत अबू हुरैरा (रज़ियल लाहु अन्हु) से मर्वी है कि नबी करीम (सल्लल लाहु अलैहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया “रमजानुल मुबारक की पहली रात में जन्नत के दरवाज़े खुल जाते हैं और उसका कोई दरवाज़ा बंद नहीं होता, और एक पुकारने वाला आवाज़ लगता है : ए खैर के तलब करने वाले ! मुतवज्जे हो जा, और ऐ शर के तलब करने वाले ! बाज़ आ जा
7. इस महीने में जहन्नम के दरवाज़े बंद हो जाते हैं
हज़रत अबू हुरैरा (रज़ियल लाहू अन्हु) से मर्वी है कि नबी करीम सल्लल लाहू अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया रमज़ानुल मुबारक की पहली शब् में जहन्नम के दरवाज़े बंद हो जाते हैं और उसका कोई दरवाज़ा खुला नहीं रहता
8. सरकश शैतान और जिन्नात क़ैद कर दिए जाते हैं
बुखारी शरीफ़ की रिवायत में है कि “शयातीन को ज़न्जीरों में जकड़ दिया जाता है”
9. रमजानुल मुबारक मगफिरत और बख्शिश का महीना है
एक रिवायत में है कि “ रमज़ान का महीना आने वाले रमज़ान के महीने तक होने वाले गुनाहों का कफ्फारा है”
10. रमज़ानुल मुबारक जहन्नम से नजात का महीना है
रमज़ानुल मुबारक की हर शबो रोज़ में अल्लाह तआला के यहाँ से जहन्नम के क़ैदी छोड़े जाते हैं और हर मुसलमान के लिए हर शबो रोज़ में एक दुआ ज़रूर क़ुबूल होती है
11. रमज़ानुल मुबारक में आमाल का सवाब बढ़ जाता है
इस मुबारक महीने में नफ्ल का सवाब दुसरे महीनों के फ़र्ज़ के बराबर हो जाता है और फ़र्ज़ का सवाब दुसरे महीनों के 70 फ़र्ज़ के बराबर हो जाता है हज़रत अबू हुरैरा (रज़ियल लाहू अन्हु) से मर्वी है कि नबी करीम सल्लल लाहू अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया “रमज़ान के महीने में अल्लाह तआला से डरते रहना क्यूंकि इस महीने में नेकियों के सवाब को इस क़दर बढ़ा दिया जाता है जितना रमज़ान के अलावा किसी महीने में नहीं बढ़ाया जाता, इसी तरह गुनाहोने के वबाल को भी इस क़दर बढ़ा दिया जाता है जितना रमज़ान के अलावा किसी महीने में नहीं बढ़ाया जाता |
12. रमज़ानुल मुबारक में मोमिन का रिज्क बढ़ा दिया जाता है
इस महीने की बरकत मोमिन के रिज्क में भी ज़ाहिर होती है, हज़रत सलमान फ़ारसी की एक लम्बी हदीस में नबी (सल्लल लाहु अलैहि वसल्लम) का ये इरशाद मौजूद है कि रमज़ानुल मुबारक वो अज़ीम महीना है जिसमें मोमिन का रिज्क बढ़ा दिया जाता है
और ये एक ऐसी हक़ीक़त है जिसका हर कोई खुली आँखों से तजरबा कर सकता है कि एक ग़रीब मुफलिस शख्स को भी रमज़ानुल मुबारक में वो उम्दा और बेश बहा खाने नसीब होते हैं जिस की कभी कभार उसे साल भर शक्ल देखने को नहीं मिलती, ये सब यक़ीनन इसी महीने की बरकतें हैं जो अल्लाह तआला हर ईमान वाले को नसीब फरमाते हैं
अल्लाह तआला इस मुबारक महीने की रहमतों और मग्फिरतों का कुछ हिस्सा हमें भी अता फरमाए
आमीन