Nabi Ka Akhiri Khutba Hindi Me
नबी स.अ. का आख़िरी ख़ुत्बा (तक़रीर)
यक़ीनन आपको मालूम होगा कि हमारे नबी पाक हज़रत मुहम्मद सल्लल लाहू अलैहि वसल्लम इस दुनिया में उस वक़्त तशरीफ़ लाये जब इस दुनिया में अँधकार ही अँधकार था लेकिन आप ने अल्लाह के हुक्म से इस दुनिया को नूर से भर दिया, औरत, गुलाम, बांदी मा बाप, बेटियों, औलाद यहाँ तक कि जानवरों के हुक़ूक़ आप ने बताये, और ख़ुद कमजोरों का सहारा बने, यतीमों के सर पर हाथ रखा, और मालदारों को बताया कि ग़रीबों की मदद से अल्लाह ख़ुश होते हैं
एक इंसान जो अपनी ताक़त के घमंड में लोगों के हक़ मार लेता था वही इंसान लोगों को ढूंढ ढूंढ कर हक़ पहुँचाने वाला बन गया, एक इंसान जो ख़ुद को और दूसरों को नुक़सान पहुँचाने से बिलकुल बाज़ नहीं आता था, वो फ़ायदा पहुँचाने वाला बन गया, दुनिया से ज़्यादा आख़िरत की तयारी में लग गए |
खैर ! अगर मैं उस पाक ज़िन्दगी के बारे में लिखूं तो मेरा क़लम थक जायेगा, क़लम की रोशनाई ख़त्म हो जाएगी, लेकिन क्या मजाल है कि नबी की ज़िन्दगी मुकम्मल बयान हो सके, यहाँ पर मैं सिर्फ़ अपने नबी का आख़िरी ख़ुत्बा बयान करूंगा जिसमें एक एक बात पर मुसलमानों का अमल होना चाहिए
Nabi Ka Akhiri Khutba Hindi Me
वो आख़िरी ख़ुत्बा जो नबी पाक (सल्लल लाहु अलैहि वसल्लम) ने अपने आखिरी हज में तक़रीबन सवा लाख सहाबा के सामने मैदाने अराफ़ात में दिया था जिसमें आप ने पूरे इस्लाम का ख़ुलासा बयान कर दिया था और तारीख 9 ज़िल्हिज्जा 10 हिजरी थी
तो आज उस पूरे ख़ुत्बे में से सिर्फ़ 15 अहम् बातें हम आपके सामने बयान करेंगे
1. ए लोगों ! सुनो, मुझे नहीं लगता अगले साल मैं यहाँ तुम्हारे बीच मौजूद रहूँगा, इसलिए मेरी बातों को गौर से सुनो, और उन लोगों तक पहुँचाओ जो लोग यहाँ नहीं पहुँच सके
2. ए लोगों ! जिस तरह आज का ये दिन, ये महीना, और ये जगह इज्ज़त और हुरमत वाले हैं बिलकुल इसी तरह हर मुसलमान की ज़िन्दगी इज्ज़त और माल इज्ज़त और हुरमत वाले हैं ( तुम उस में छेड़ छाड़ नहीं कर सकते )
3. लोगों के माल और उनकी अमानतें उन को वापस करो
4. किसी को तंग न करो और न ही किसी का कोई नुक़सान करो, ताकि तुम भी हिफ़ाज़त से रहो
5. याद रखो ! तुम ने अल्लाह से मिलना ,है और अल्लाह तुम से तुम्हारे आमाल के बारे में सवाल करेंगे
6. अल्लाह तआला ने सूद को ख़त्म कर दिया है, इस लिए आज से सूद का लेनदेन ख़त्म कर दो
7. तुम औरतों पर हक़ रखते हो, और वो तुम पर रखती हैं, जब वो हुक़ूक़ पूरे कर रही हैं तो तुम पर ज़रूरी है कि तुम उनकी जिम्मेदारियां पूरी करो
8. औरतों के बारे में नर्म रवैया रखो, क्यूंकि वो शराकत दार ( पार्टनर) हैं और बेंइतेहा खिदमत गुज़ार होती हैं
9. कभी जिना के क़रीब भी मत जाना
10. “ए लोगों ! सिर्फ़ अल्लाह की इबादत करो, 5 फ़र्ज़ नमाज़े पढ़ो, रमज़ान के रोज़े रखो और ज़कात अदा करते रहो, इस्तिता अत हो तो हज भी करो
11. हर मुसलमान दूसरे मुसलमान का भाई है तुम सब अल्लाह की नज़र में बराबर हो
12. याद रखो ! तुम सबको एक दिन अल्लाह के सामने अपने आमाल की जवाब दही के लिए पेश होना है
13. ख़बरदार रहो ! मेरे बाद गुमराह न हो जाना, और याद रखना मेरे बाद कोई नबी नहीं आने वाला, और ना ही कोई नया दीन लाया जायेगा
14. और याद रहे ! मैं तुम्हारे दरमियान दो चीज़ें छोड़ कर जा रहा हूँ एक है क़ुरान और दूसरी है सुन्नत (हदीस), अगर तुमने इनकी पैरवी की तो तुम कभी गुमराह नहीं होगे
15. सुनो ! तुम में से जो लोग यहाँ मौजूद हैं वो ये बात अगले लोगों तक पहुंचाएं फ़िर वो अगले लोगों तक पहुंचाएंगे,
फ़िर मुहम्मद स.अ. ने अपना चेहरा आसमान की तरफ़ उठा कर फ़रमाया : ए अल्लाह ! गवाह रहना मैंने तेरा पैग़ाम तेरे बन्दों तक पहुंचा दिया
हम पर भी ये फ़र्ज़ है कि इस पैग़ाम को सुन कर इस पर अमल करें और इसको दूसरों तक पहुंचाएं