20 kaam Jo Nekiyon ko Kha Jate Hai |
20 काम जो नेकियों को खा जाते हैं
हम और आप की ज़िन्दगी का असल मक़सद अल्लाह की रज़ा हासिल करना और नेकियों के ज़रिये आखिरत में कामयाबी पाना है। मगर कई बार ऐसा होता है कि हम जाने-अनजाने में कुछ ऐसे काम कर बैठते हैं जिससे हमारी नेकियां मिट जाती हैं और हमारी तमाम कोशिशें बेकार हो जाती हैं। कुरआन और हदीस में इस बात पर बार-बार तवज्जो दिलाई गई है कि इंसान अपने आमाल की हिफाज़त करे और उन चीज़ों से बचे जिससे नेक कामों का सवाब ज़ाया हो जाता है। नीचे वो 20 काम जो नेकियों को खा जाते हैं ( 20 kaam Jo Nekiyon ko Kha Jate Hai ) उन का तज़्किरा किया गया है , इनसे बचना हर मोमिन के लिए निहायत ज़रूरी है।
20 kaam Jo Nekiyon ko Kha Jate Hai
1.कुफ़्र (अल्लाह का इनकार करना )
सबसे पहला अमल यह है इंसान अल्लाह (जुल जलाल) की जात के साथ कुफर करे,अल्लाह का इंकार करें और उसकी सिफात का इंकार करें, अल्लाह (जुल जलाल) की रबूबियत का इंकार कर दे, उलूहियत का इंकार कर दे तो ऐसे शख्स की नेकियाँ बेकार हो जाएँगी और उसके ज़िन्दगी में किये हुए नेक आमाल का कोई सवाब नहीं मिलेगा |
2. शिर्क ( अल्लाह के साथ किसी को शरीक करना )
दूसरा अमल जिससे कि जिंदगी की नेकियां जाया होती हैं वो है कि जब इंसान शिर्क करता है, शिर्क इन्सान कब करता है जब
• अल्लाह के मुकाबले में किसी को बिगड़ी बनाने वाला समझता है
• किसी के बारे में ये तसव्वुर बना लेता है कि ये औलाद देगा
• किसी के बारे में यह समझता है कि रिज्क़ दे देगा
• किसी के बारे में यह समझ लेता है कि यह मुझे नुकसान से बचाएगा
• या किसी के बारे में ख़याल करना कि इससे फायदा मिलेगा
जात के एतबार से किसी को शरीक करना, अल्लाह के नामों के एतबार से शरीक करना, सिफात के ऐतबार से किसी को शरीक बना लेना इससे जिंदगी के सारी नेकियां और नेक आमाल बरबाद हो जाते हैं
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3 : अल्लाह की आयतों का इनकार करना
अल्लाह (जुल जलाल) की आयतों का इंकार करने वाला अपनी सारी नेकियां जाया कर देता है, क्यूंकि कुरान मजीद में इस बात को साफ़ तौर पर बयान किया गया है कि जो लोग हमारी आयतों का इंकार करते हैं और आखिरत के दिन का इंकार करते हैं उनकी जिंदगी के सारे आमाल जाया हो जाएंगे
4 : अल्लाह की रहमत से मायूस होना
जब अल्लाह (जुल जलाल) की रहमत से एक मोमिन मायूस होता है तो उससे इंसान की जिंदगी के आमाल जाया हो जाते हैं, क्यूंकि मायूस होना गुमराहों का तरीका है मोमिन का नहीं, उस पर आसानी आती है तो वो शुक्र करता है और तकलीफ आती है तो सब्र करता है, और उसे यह मालूम है कि हमेशा रात नहीं रहती हर रात के बाद ज़रूर निकलता है इसी तरह हर तंगी के बाद आसानी ज़रूर आती है
5 : अल्लाह तआला की नाराज़गी वाले काम करना
अल्लाह (जुल जलाल) की नाराजगी के काम करना, झूठी कसम उठा लेना, झूठ बोलने की आदत बना लेना, सूद और बयाज का काम शुरू कर देना | अल्लाह तआला कुराने मजीद में फरमाते हैं “ऐसे भी बदनसीब है जो फौत होते हैं तो फरिश्ते उनकी पुश्तो पे भी मारते हैं उनके चेहरों को भी पीटते हैं क्यूंकि उन्होंने अल्लाह तआला को नाराज करने वाले कामों को ही पसंद किया है जिससे उनके आमाल और नेकियाँ बरबाद हो गयीं
6 : इन्साफ का क़त्ल करना
वो लोग जो अंबिया के कातिल हैं या अदल इंसाफ की बात करने वाले, और अदल इंसाफ पर जमे रहने वाले, इंसाफ के साथ फ़ैसला करने वालों को कत्ल करते हैं तो ऐसे लोगों को अल्लाह तआला ने कुराने मजीद में सारी की सारी नेकियां बरबाद होने की और दर्दनाक अजाब की खुशखबरी सुनाई है
7 : सुन्नत को पसन्द न करना
ये भी एक अमल है जिससे इंसान की सारी नेकियां जाया हो जाती हैं जो शख्स अल्लाह जुल जलाल की उतारी हुई किताब को और अल्लाह के रसूल की सुन्नत को पसंद नहीं करता उसके भी आमाल जाया हो जाते बरबाद हो जाते हैं |
8 : नाफरमानी पे डट जाना
जो अल्लाह और उसके रसूल की इताअत नहीं करता बल्कि नाफरमानी पे डटा हुआ है तो क़यामत के दिन उसके ये थोड़े बहुत किये हुए अच्छे काम उसके कोई काम नहीं आएंगे इसलिए अल्लाह और उसके रसूल की इताअत करो, पैरवी करो, इतबा करो, बात मान लो, अमल बजा लाओ, दिल की खुशी से काम करोगे तो बच जाओगे अगर अपनी मनमानी पर अड़े रहे तो याद रखना ! तुम्हारी जिंदगी के सारे आमाल जाया हो जाएंगे
9 : नबी की आवाज पर अपनी आवाज को बुलंद करना
कुरआन में ज़िक्र है कि अल्लाह के रसूल स.अ. की बात आ जाए तो अपनी बात उस पर बुलंद करना और कुछ जगह लिखा हुआ है कि जो अपनी बात को अपनी ख्वाहिश को आगे रखता है और हदीस की बात को पीछे छोड़ देता है वह भी इस में शामिल है, यानि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) तो दुनिया से जा चुके लेकिन आप स.अ. की जुबान मुबारक से निकले हुए वो अलफ़ाज़ जिनको हदीस कहा जाता है, वह भी तो अल्लाह के रसूल की ही बात है उस बात पे अपनी ख्वाहिश को आगे रखना और मुक़द्दम करना यह ऐसा जुर्म है जिससे जिंदगी के सारे आमाल बरबाद हो जाते हैं
10 : रियाकारी करना (दिखावा करना)
रसूलल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया : रियाकारी करने वाले शख्स के सारे आमाल जाया हो जाएंगे कोई नेकी काम नहीं आएगी यानि कोई नेक अमल करना लेकिन अल्लाह के बजाये उसको लोगों को दिखाने की नियत से करना अल्लाह की रज़ा हासिल करने के बजाये लोगों की रज़ा चाहना तो ज़ाहिर है कि ये रियाकारी है और दिखलावा है जो कि नेक आमाल को जाया कर देता है |
11 : खुदकुशी करना
जो इंसान अल्लाह की रहमत से मायूस होता है और ज़िन्दगी के हालात का मुक़ाबला करने में हिम्मत हार बैठता है और बुज़दिली की ये इन्तेहा कि खुदकुशी कर लेता है तो ऐसा शख्स नेकियाँ तो कर चुका होगा लेकिन ये सब कुछ काम नहीं आयेंगी ज़िन्दगी अल्लाह की दी हुई नेअमत है इसको अपने हाथों ख़त्म करने की इजाज़त नहीं है |
12 : तन्हाई में ग़लत काम करना
रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अल वसल्लम) ने फरमाया कुछ लोग तिहामा के पहाड़ों जितनी नेकियां लेके आएंगे लेकिन अल्लाह उन तमाम पहाड़ों जैसी नेकियों को धूल बना के उड़ा देंगे, पुछा गया “या रसूलल लाह स.अ., ऐसे बदबख्त लोग कौन हैं,” फरमाया : यह वो लोग हैं जो तुम्हारे जैसे होंगे, नमाज भी पढ़ने वाले, रात को भी अल्लाह के सामने खड़े होने वाले, लेकिन जैसे ही उन्हें मौका मिलेगा और वो अकेले होंगे तो अल्लाह की हुरमतो को पामाल करने में कोई शर्म नहीं महसूस करेंगे और ग़लत कामों से कोई परहेज़ नहीं करेंगे |
13 : असर की नमाज़ छोड़ देना
किसी की असर की नमाज का वक़्त निकल गया और नमाज़ अदा नहीं की तो उसकी जिंदगी के आमाल बरबाद हो जाते हैं उसका हाल बिलकुल ऐसा हो जाता है जैसे उसका ना माल बचा, ना अहलो अयाल बचा, सब बर्बाद हो गया इसलिए असर की नमाज की हिफाजत करने का हुकम है उसका जाया करना मतलब अपना सब कुछ जाया कर देना है |
14 : मुनाफ़िक़ होना
आमाल बरबाद तब भी होते हैं जब इंसान मुनाफिक हो, मुनाफिक की दो किस्में हैं (1) अकीदे का मुनाफ़िक़ (2) अमल का मुनाफ़िक़, अकीदे का मुनाफ़िक़ ये है कि दीन को दिल से पसन्द न करे दीनदारों को दिल से पसन्द न करे और दीनदारों को तकलीफ़ें देना पसन्द करे तो ऐसा मुनाफ़िक़ जहन्नम में काफ़िरों से भी नीचे होगा, अमल का मुनाफ़िक़ ये है कि झगड़ा हो तो गाली देना, अमानत में खयानत करना, वादा करके मुकर जाना दिल में कुछ ज़ुबान पे कुछ तो ये बातें इन्सान को किसी लायक़ नहीं छोड़तीं |
15 : झूटी क़समें उठाना
यह दुनिया के चंद टको के पीछे झूठी कसम उठाने से रुक जाओ, बाज आ जाओ, यह जमीने साथ नहीं जानी, यह माल साथ नहीं जाना, आज वक्त है अपने आप को सिरात मुस्तकीम पर ले आओ, यह नमाज यह रोजे, मस्जिद में यह पहली सफ में बैठना किसी काम नहीं आएगा अगर झूठी कसमें उठाई तो इसके बारे में हदीस पाक में क्या वईद आई है
रसूलल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया एक शख्स रोजा रखता है फिर भी झूठ नहीं छोड़ता और ना ही बुरे आमाल छोड़ता है तो अल्लाह को ऐसे शख्स की कोई जरूरत नहीं कि वह खाना पीना छोड़ दे वह तो ऐसे ही अपने आप को मुसीबत में डाल रहा है क्योंकि ऐसा अमल अल्लाह के यहां कबूल नहीं है
17 : गाली देना, किसी को मारना, कत्ल करना, उसका माल खाना और इल्जाम लगाना,
कयामत के दिन उन लोगों की लाइने लगी होंगी जिन जिन के साथ ये ज्यादतियां की होंगी, तो अब बदला कैसे दे तो इसकी नेकियां उठा कर उन लोगों में तकसीम की जाएंगी जिनके साथ ज्यादतियां हुई हैं आख़िर तकसीम होते होते नेकियां खत्म हो जाएंगी
अब क्या होगा, हुक़ूक लेने वालों की बुराइयां इसके सर पर रखी जाएंगी और इसके सर पर डाल कर इसे मुजरिम बना कर जहन्नम में धकेल दिया जाएगा, अब बताइए वो नमाज और रोज़ा और जकात सब कहां गया वो सारी नेकियां तो इसे देनी पड़ी तो ऐसी ज्यादतियां मत करो वरना बदला कैसे दोगे, बदला चुकाते चुकाते सारी जिंदगी के आमाल जाया हो जाएंगे |
18 : दुनिया में मस्त हो जाना
जो दुनिया की रंगीनियों में इस तरह धुत हो जाए कि ना नमाज ना रोजा बस नाम का मुसलमान है और दीन के अंदर तरह तरह की बातें बनाना दीनदार की मुखालिफत करना और दीन के अंदर ऐब टटोलना और निकालना तो ऐसे शख्स ने अगर कुछ नेकियाँ की होंगी तो वो बेकार हो जायेंगे कुछ काम न आयेंगी
19 : दीन के सामने रुकावट बनना
दीन के सामने रुकावट बनने वाला जी हाँ ! इस इस बात को गौर से सुन और समझ लेना चाहिए कि अगर दीन का काम नहीं कर रहे हैं तो कम से कम उन दीन के कामों में रुकावट न बने क्यूंकि एक वह तबक़ा जो काफिर हैं वह तो दीन में रुकावट बनते ही बनते हैं, दूसरा वह तबक़ा जो काफ़िर नहीं है लेकिन अल्लाह के दीन के सामने रुकावट बनते हैं, मुश्किलात पैदा करते हैं, बल्कि उनकी ख्वाहिश यही होती है कि यह दीन का काम ना हो तो ऐसे मुजरिम याद रखें उनकी जिंदगी के सारे आमाल अल्लाह तआला जाया कर देंगे |
20 : पड़ोसियों को तकलीफ़ पहुँचाना
एक औरत जो बड़ी तहज्जुद गुजार है, बड़े नफली रोजे रखने वाली है, ख़ूब सदका देने वाली है लोगों में उसके दीनदार होने की शोहरत है लेकिन उसकी जुबान से पड़ोसी तंग है, परेशान हैं तो याद रखना उसकी तहज्जुद और रोजे और सदके अपनी जगह लेकिन यह औरत जहन्नमी है
लेकिन एक ऐसी औरत जो फर्ज नमाज की पाबंद तो है लेकिन तहज्जुद नहीं पढ़ती, और नफली रोजे भी ज्यादा नहीं रखती, माल भी कुछ ज्यादा नहीं, मक्खन की टिकिया कभी कभार तोहफे में पड़ोसियों को भेज देती है लेकिन असल बात यह है कि उसकी जुबान से पड़ोसियों को तकलीफ नहीं पहुंचती तो अल्लाह के रसूल स.अ. ने फरमाया यह औरत जन्नत में जाएगी
अल्लाह तआला हमें ऐसे 20 आमाल से महफूज रखे जिनसे हमारी नेकियां जाया और बरबाद हो जाती हैं