Chikungunya Aur Sari Bimariyon Se Hifazat | चिकनगुनिया और सारी बीमारियों से हिफ़ाज़त
चिकनगुनिया ( Chikungunya ) एक ऐसी वायरल बीमारी है, जो ख़ास कर मच्छरों के ज़रिए फैलती है और जब ये बीमारी किसी को लग जाये तो इसमें शदीद जोड़ो का दर्द और बुखार होता है। और इन्सान कुछ दिन के लिए एकदम बेबस हो जाता है और जल्दी शिफ़ा मिलना मुश्किल हो जाता है ऐसे वक़्त में जहाँ इस तरह की परेशान कुन बीमारियाँ आबो हवा में फैली हुई हैं तो इसी को सामने रखते हुए आज की इस पोस्ट में हम आपके साथ एक ऐसी दुआ शेयर करेंगे जो आपको चिकनगुनिया और सारी बीमारियों से हिफ़ाज़त ( Chikungunya Aur Sari Bimariyon Se Hifazat ) पाने के लिए पढ़नी चाहिए।
चिकनगुनिया से बचने की दुआ
यह दुआ, जो हज़रत मोहम्मद ﷺ ने तमाम उम्मत को सिखाई, जो हर तरह की बीमारियों से पनाह माँगने के लिए पढ़ी जाती है। अगर आप दुनिया में फैली वबाओं से बिमारियों से नजात चाहते हैं तो इसे अपनी ज़िन्दगी के रूटीन में ज़रूर शामिल करें ।
Hindi : अल्लाहुम्मा इन्नी अऊ ज़ुबिका मिनल ब-रसि वल जूनून, वल जुज़ाम, व सैयिइल अस्क़ाम
तर्जुमा
English : Allahumma inni auzu bika minal barasi, wal jununi, wal juzaami, wa sayyi’il-asqami
Translation :
“ऐ अल्लाह! मैं तुझसे पनाह माँगता हूँ सफेद दाग (बरस), दीवानगी (जुनून), कोढ़ (जज़ाम) और दूसरी खतरनाक बीमारियों से ‘
इस दुआ की एहमियत :
1. नुकसानदेह बीमारियों से हिफ़ाज़त:
यह दुआ खतरनाक बीमारियों से हिफ़ाज़त के लिए माँगी जाती है, जिसमें चिकनगुनिया और दूसरी वायरल बीमारियाँ भी शामिल हैं।
2. अल्लाह से पनाह तलब करना
इस दुआ के ज़रिए हम इस बात का एतराफ़ करते हैं कि अल्लाह ही हमें इन आफ़तों से बचा सकता है। यह हमारे भरोसे और अल्लाह की रहमत पर यकीन को मज़बूत करता है।
3. सुन्नत-ए-रसूल पर अमल
यह दुआ सीधा हज़रत मोहम्मद ﷺ की तालीमात से ली गई है, जिसे पढ़ना सुन्नत भी है। इसलिए यह रूहानी और जिस्मानी दोनों तरह की हिफ़ाज़त के लिए अहम है।
दुआ को कब और कितनी बार पढ़ें?
आप इस दुआ को:
• फ़र्ज़ नमाज़ों के बाद
• दिन की शुरुआत में या सोने से पहले
• या जब भी हिफ़ाज़त की ज़रूरत महसूस हो
जितनी बार चाहें पढ़ सकते हैं। एक बार पढ़ना भी फायदेमंद है, लेकिन इसे अपनी आदत बना लेना और लगातार पढ़ते रहना बेहतर है।
नतीजा
यह दुआ बीमारियों से बचाने वाली एक ढाल के तौर पर काम करती है और हमारे दिल में अल्लाह की कुदरत और रहमत का एहसास पैदा करती है। इसे अपनी ज़िंदगी का हिस्सा बनाकर, हम अपनी इमानी ताक़त को मज़बूत कर सकते हैं।
अल्लाह हम सबकी हिफ़ाज़त फरमाए और हमें हर तरह की आफ़तों से महफूज़ रखे। आमीन।