Ramzan Me Allah Ke 7 Gifts |
रमज़ान में अल्लाह के 7 अनमोल तोहफे
जब रमज़ान (Ramzan ) की पहली रात आती है, तो यह सिर्फ़ एक नई तारीख़ की शुरुआत नहीं होती, बल्कि रहमत, बरकत और मग़फ़िरत के दरवाज़े खुल जाते हैं। यह रात एक नई रूहानी सफ़र की शुरुआत है, जब अल्लाह तआला अपने बंदों के लिए नेकियों का रास्ता आसान कर देते हैं। यह वह मुबारक घड़ी है जब शैतान कैद कर दिए जाते हैं, जन्नत के दरवाज़े खोल दिए जाते हैं, और जहन्नम के दरवाज़े बंद कर दिए जाते हैं।
इसके अलावा रमज़ान में अल्लाह के 7 अनमोल तोहफे (Ramzan Me Allah Ke 7 Gifts) हर बन्दे को मिलते हैं, जो किसी दुसरे महीने में नहीं मिलते, तो आइए जानें कि रमज़ान में कौन-कौन सी बड़ी चीजें होती हैं, जो हमारी ज़िंदगी को संवारने का ज़रिया बन सकती हैं।
1. बड़े शैतानों को कैद कर दिया जाता है**
नबी करीम ﷺ ने फरमाया:
“जब रमज़ान की पहली रात आती है, तो शैतानों और अवज्ञाकारी जिन्नों को जंजीरों में जकड़ दिया जाता है।”**
**(सहीह बुख़ारी: 1899, सहीह मुस्लिम: 1079)
रमज़ान में शैतानों के कैद होने का मतलब है कि इंसान को गुनाहों की ओर ले जाने वाली ताक़त कमज़ोर हो जाती है। यह अल्लाह की रहमत है कि वह इस महीने में हमें गुनाहों से बचाने के लिए ऐसा इंतज़ाम करता है। हाँ, यह ज़रूर है कि हमारी अपनी नफ्स (इच्छाएं) अभी भी मौजूद होती हैं, लेकिन बड़े शैतानों के कैद होने से हमें नेकी की ओर बढ़ने का बेहतरीन मौका मिलता है।
2. जहन्नम के दरवाज़े बंद कर दिए जाते हैं
नबी करीम ﷺ ने फरमाया:
“रमज़ान आते ही जहन्नम के सारे दरवाज़े बंद कर दिए जाते हैं।”
(सहीह बुख़ारी: 1899, सहीह मुस्लिम: 1079)
इस महीने में अल्लाह अपने बंदों को जहन्नम से बचाने के लिए ख़ास रहमतें बरसाता है, इस लिए हर बन्दे के लिए भरपूर तौबा और माफ़ी का मौका है। अगर हम सच्चे दिल से तौबा करें, तो अल्लाह हमें जहन्नम से निजात दे सकता है।
3. जन्नत के दरवाज़े खोल दिए जाते हैं
नबी पाक ﷺ ने फरमाया:
“रमज़ान आते ही जन्नत के दरवाज़े खोल दिए जाते हैं।”**
(सहीह बुख़ारी: 1899, सहीह मुस्लिम: 1079)
रमज़ान के महीने में नेकी की ओर बढ़ने के रास्ते आसान कर दिए जाते हैं। क्यूंकि अल्लाह चाहता है कि हम इस महीने में ज़्यादा से ज़्यादा नेकी करें और जन्नत के हक़दार बनें। इसीलिए इस महीने में हर नेकी का सवाब कई गुना बढ़ा दिया जाता है, जिससे एक नेकी करना भी हमें अल्लाह और जन्नत के करीब ले जाता है।
4. रोज़ाना लाखों लोगों को जहन्नम से आज़ादी
नबी करीम ﷺ ने फरमाया:
“अल्लाह रमज़ान की हर रात हज़ारों लोगों को जहन्नम से आज़ाद करता है।”
(मुस्नद अहमद: 7562)
रमज़ान की हर रात अल्लाह हज़ारों लोगों को जहन्नम से आज़ाद करता है। यह उन लोगों के लिए है जो सच्चे दिल से तौबा करते हैं और अपने गुनाहों से बचने की कोशिश करते हैं। अगर हम सच्चे दिल से तौबा करें, तो हम भी इस रहमत के साए में अपनी जगह बना सकते हैं।
5. नेकियों का सवाब कई गुना बढ़ जाता है
नबी करीम ﷺ ने फरमाया:
“रमज़ान में हर नेकी का सवाब कई गुना बढ़ा दिया जाता है।”
(सहीह बुख़ारी: 1899, सहीह मुस्लिम: 1079)**
रमज़ान में हर छोटी-बड़ी नेकी का सवाब कई गुना बढ़ा दिया जाता है। फ़र्ज़ नमाज़ का सवाब 70 गुना तक बढ़ जाता है, और नफ़्ल इबादत का सवाब फ़र्ज़ के बराबर हो जाता है। यह अल्लाह का अपने बन्दों पर करम है कि इनामों की बौछार छोटी छोटी चीज़ पर पूरे महीने चलती रहती है, तो हम सबको चाहिए कि इस महीने का एक लम्हा भी बरबाद न करें ।
6. फ़रिश्ते की पुकार: “ऐ नेकी चाहने वाले, आगे बढ़ो!”**
नबी करीम ﷺ ने फरमाया:
“रमज़ान की हर रात एक फ़रिश्ता पुकार कर कहता है: ‘ऐ नेकी चाहने वाले, आगे बढ़ो! और ऐ बुराई चाहने वाले, रुक जाओ!'”
(तिर्मिज़ी: 682, इब्न माजा: 1642)
यह पुकार इंसानों के लिए अल्लाह की ओर लौटने और गुनाहों से बचने का पैग़ाम है। रमज़ान में अल्लाह हमें नेकी की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करता है और गुनाहों से बचने की ताक़त देता है।
7. बुरी आदतों से छुटकारा पाने का सुनहरा मौका
“रमज़ान में अगर कोई शख़्स अपनी बुरी आदतों को छोड़ना चाहे, तो यह सबसे अच्छा मौका है।”
रमज़ान का महीना बुरी आदतों को छोड़ने और अपने आप को सुधारने का सबसे अच्छा मौका है। इस महीने में शैतानों की ताक़त कमज़ोर हो जाती है, जिससे हमें गुनाहों से बचने में आसानी होती है। अगर हम सच्चे दिल से तौबा करें और अपनी बुरी आदतों को छोड़ने की कोशिश करें, तो अल्लाह हमें तौबा क़बूल करने की तौफ़ीक़ देता है।
माहे रमज़ान का सबक़
नेकी की ओर बढ़ें: रमज़ान में हर नेकी का सवाब बढ़ा दिया जाता है, इसलिए हमें इस मौके का पूरा फ़ायदा उठाना चाहिए।
गुनाहों से तौबा करें: अल्लाह इस महीने में तौबा करने वालों को माफ़ कर देता है।
रमज़ान के बाद भी नेकी जारी रखें: असली कामयाबी यह है कि रमज़ान के बाद भी हम गुनाहों से बचें और नेकी करते रहें।
“अल्लाह हमें इस रमज़ान की बरकतों से फ़ायदा उठाने की तौफ़ीक़ दे और हमें अपनी रहमत से नवाज़े। आमीन!”