Asmaul Husna Ke Benefits Part 4 ( Allah Ke Naam )
अल्लाह के नाम के फ़ायदे
यक़ीनन अल्लाह हर मुमकिन और नामुमकिन सब चीज़ पर क़ादिर है, वो बस कह देता है हो जा तो वो चीज़ हो जाती है, उसके क़ब्ज़े और क़ुदरत में सारी कायनात है वो जिसको चाहे जिला दे जिसको चाहे मार जिसको चाहे शिफ़ा दे और जिसको चाहे मरीज़ बना दे, उसका नाम शिफ़ा है उसका कलाम शिफ़ा है उसका ज़िक्र शिफ़ा है और उसकी याद शिफ़ा है
तो आप ने इस से पहले अस्माउल हुस्ना के फ़ायदे (Asmaul Husna Ke Benefits) यानि अल्लाह के नाम और उनके फ़ायदे (Allah Ke Naam) पढ़े हैं अब बाक़ी बचे 30 यहाँ पर हम ज़िक्र करने जा रहे हैं
71. अल मुक्तदिरू (Al-Muqtadiru)
पूरी क़ुदरत रखने वाला
जो सोकर उठने के बाद खूब या कम से कम 20 बार अल्लाह तआला के इस नाम की तस्बीह पढ़ा करे इंशाअल्लाह उस के तमाम काम आसान हो जायेंगे
72. अल मुक़द्दिमु (Al-Muqaddimu)
( आगे रखने वाला )
अगर कोई अल्लाह के इस नाम को 9 बार पढ़ कर किसी को खिलाये तो वो उससे मुहब्बत करने लगेगा – लेकिन नाजायेज़ और ग़लत मक़सद के लिए ये अमल करना न सिर्फ नाजायेज़ बल्कि हराम भी है और नुक़सान दह है
73. अल मुअख्खिरू (Al-Muakhkhiru)
( पीछे रखने वाला )
अल्लाह के इस नाम की तस्बीह अगर कोई शख्स करता है तो इंशाअल्लाह उसे सच्ची तौबा नसीब होगी
अल्लाह तआला का ये नाम अगर सौ बार पाबन्दी से रोज़ाना पढ़ा जाये तो इंशाअल्लाह अल्लाह की ऐसी क़ुरबत नसीब होगी कि उसके बगैर चैन नहीं आएगा
74. अल अव्वल (Al-Awwalu)
( सब से पहला )
किसी की औलाद न होती हो और बेऔलादी की ज़िन्दगी गुज़र रही हो तो उसे चाहिए कि अल्लाह का ये नाम चालीस बार पढ़ा करे तो इंशाअल्लाह उसकी मुराद पूरी होगी
कोई शख्स अगर सफ़र की हालत में हो और घर जल्द वापस लौटना चाहता हो तो उसे चाहिए कि जुमा के दिन एक हज़ार बार अल्लाह के इस नाम को पढ़े इंशाअल्लाह बहुत जल्द खैरियत से वतन वापस आ जायेगा
75. अल आखिरू (Al-Akhiru)
( सब से पिछला )
अल्लाह के इस नाम को ईशा की नमाज़ के बाद अगर सौ बार पढने की आदत बना ली जाये तो इंशाअल्लाह उसकी बाद की उम्र पहली उम्र से बेहतर होगी
76.अज़ ज़ाहिरु (Az-Zahiru)
( ज़ाहिर व आशकार )
अगर कोई शख्स इशराक़ की नमाज़ पढ़े और उसके बाद अल्लाह के इस नाम को पांच सौ बार पढ़े इंशाअल्लाह अल्लाह तआला उसके दिल में नूर और रौशनी अता फ़रमाएंगे
77. अल बातिनु (Al-Batinu)
( पोशीदा व पिन्हा )
जो शख्स दो रकात नमाज़ अदा करने के बाद “हुवल अव्वलु वल आखिरू वज़ ज़ाहिरु वल बातिनु वहुवा अला कुल्लि शै इन क़दीर” पढ़ा करे इंशाअल्लाह उसकी तमाम ज़रूरतें पूरी हो जाएँगी
78. अल वाली (Al-Wali)
( मालिक और मुतवल्ली )
अगर कोई अल्लाह के इस नाम को ख़ूब पढ़े तो इंशाअल्लाह वो अचानक आने वाली आफ़तों से महफूज़ हो जायेगा
79. अल मु तआली (Al-Muta Aali)
( सब से बलन्द बरतर )
कोई औरत अगर इस नाम को अपने हैज़ ( माहवारी ) के दिनों में पढ़ा करे तो इंशाअल्लाह तकलीफ़ दूर हो जाएगी
80. अल बर्रू (Al-Barru)
( अच्छा सुलूक करने वाला )
जो शख्स शराब पीने, जिना करने जैसी बदकारियों में गिरफ़्तार हो तो उसे चाहिए कि हर रोज़ सात बार अल्लाह तआला के इस नाम को पढ़ा इंशाअल्लाह गुनाहों की चाहत दिल से खत्म हो जाएगी
बच्चे की पैदाइश के बाद ही अगर कोई सात बार इस नाम को पढ़ कर दम करे और अल्लाह के सुपुर्द कर दे वो बालिग़ होने तक इंशाअल्लाह तमाम आफ़तों से महफूज़ हो जायेगा
81. अत तव्वाब ( At-Tawwab)
( तौबा क़ुबूल करने वाला )
अगर कोई शख्स “या तव्वाबु” चाश्त की नमाज़ के बाद 360 बार पढ़े इंशाअल्लाह उसे सच्ची तौबा नसीब होगी
82. अल मुन्तक़िमु (Al-Muntaqim)
( बदला लेने वाला )
अगर कोई शख्स हक़ पर हो लेकिन दुश्मन उससे ताक़त वर हो और उससे बदला लेने की ताक़त उसके अन्दर न हो तो उसे चाहिए कि तीन जुमे तक खूब “या मुन्तक़िमु” की तस्बीह पढ़े इंशाअल्लाह अल्लाह तआला उस से ख़ुद इन्तेकाम लेंगे
83. अल अफुव्वु (Al-Afuwwu)
( बहुत ज़्यादा माफ़ करने वाला )
अल्लाह के इस नाम को जो शख्स खूब पढ़ता है तो अल्लाह तआला उसके गुनाहों को माफ़ फरमा देंगे और नेक अमल की तौफ़ीक़ अता फ़रमाएंगे
84. अर रऊफु (Ar-Raufu)
( बहुत महरबान )
अगर किसी पर गुस्सा सवार हो तो उसे चाहिए कि दस बार दुरूद शरीफ़ के साथ दस बार अल्लाह के इस नाम को पढ़ ले इंशाअल्लाह गुस्सा ख़त्म हो जायेगा ( अगर किसी दुसरे शख्स पर भी पढ़ कर दम कर दे तो वो भी गुस्से से बाहर आ जाये )
85. मालिकुल मुल्क
( मुल्कों का मालिक )
जो शख्स “या मालिकुल मुल्क” की तस्बीह हमेशा पढ़ता रहेगा तो अल्लाह त आला उसको गनी और बेनियाज़ फरमा देंगे और वो किसी का मुहताज नहीं रहेगा
86. ज़ुल जलालि वल इकराम
( अज़मत व जलाल और इनआम व इकराम वाला )
अगर कोई शख्स सौ बार “या ज़ल जला लिवल इकराम बि-यदिकल खैर व अन्ता अला कुल्लि शैइन क़दीर” पढ़ कर पानी पर दम करे और उस पानी को किसी बीमार को पिला दे तो इंशाअल्लाह बीमार शिफ़ा पायेगा
87. अल मुक्सितु
( इन्साफ क़ायम करने वाला )
अगर कोई अल्लाह तआला के इस नाम को सौ बार पढ़ता रहेगा तो इंशाअल्लाह वो शैतानी वस्वसों से महफूज़ हो जायेगा
किसी ख़ास और जाएज़ मक़सद के लिए सात सौ बार इस नाम को पढ़ेगा तो इंशाअल्लाह उसका मक़सद हासिल होगा
88. अल जामिउ (Al-Jamiu)
( सब को जमा करने वाला )
जाएज़ मुहब्बत के लिए अगर कोई ये दुआ पढ़े तो इंशाअल्लाह बेमिसाल फ़ायदा होगा “अल्लाहुम्मा या जामिअन नासि लियौमिल ला रैबा फ़ीहि इजमअ’ दाल्लती”
89. अल ग़निय्यु (Al-Ganiyyu)
( बड़ा बेनियाज़ और बेपरवा )
रोज़ाना “ या गनिय्यु “ सत्तर बार अगर कोई शख्स पढ़ लिया करे तो इंशाअल्लाह उसके माल में बरकत होगी और वो किसी का मोहताज न रहेगा
90. अल मुग्नी (Al-Mugni)
( बेनियाज़ और गनी बनाने वाला )
कोई बहुत ग़रीब हो तो उसे चाहिए कि फ़ज्र की नमाज़ के वक़्त फ़र्ज़ और सुन्नतों के दरमियान दो सौ बार, ज़ुहर असर और मगरिब के बाद दो सौ बार, और ईशा की नमाज़ के बाद तीन सौ बार ये नाम पढ़े तो इंशाअल्लाह वो ग़रीब और मोहताज नहीं रहेगा और गनी हो जायेगा
जिस्म में जिस जगह दर्द या तकलीफ़ हो उस जगह इस नाम को पढ़कर दम करने से इंशाअल्लाह तकलीफ़ जाती रहेगी
91. अल मानिउ (Al-Maniu)
( रोक देने वाला )
शौहर का बीवी से किसी बात पर झगड़ा हो जाये या आपस में नाराज़गी हो जाये तो बिस्तर पर लेटते वक़्त बीस बार अल्लाह के इस नाम को पढ़ लिया करे इंशाअल्लाह नाराज़गी ख़त्म हो जाएगी
92. अद दार्रू (Ad-Darru)
( नुक़सान पहुँचाने वाला )
जुमे की रात में सौ बार अल्लाह के इस नाम को अगर कोई शख्स पढ़ेगा तो इंशाअल्लाह ज़ाहिरी और बातिनी आफतें उस से रोक दी जाएँगी
93. अन नाफ़िउ (An-Nafiu)
( नफ़ा और फ़ायदा पहुँचाने वाला )
किसी काम के शुरू करते वक़्त अगर “ या नाफ़िउ “ इक्तालीस बार पढ़ ले तो इंशाअल्लाह वो काम बिगड़ने से बच जायेगा और अपनी मंशा के मुताबिक़ होगा
गाड़ी या किसी सवारी पर सवार हो जाने के बाद अल्लाह के इस नाम को जो पढ़ता रहेगा तो इंशाअल्लाह हाद्सों और आफ़तों से महफूज़ रहेगा
94. अन नूरु (An-Nooru)
( रौशन करने वाला )
जो शख्स जुमा की रात में पहले सात बार पहले सूरह नूर पढ़े फिर एक हज़ार बार अल्लाह के इस नाम को पढ़े तो इंशाअल्लाह उसका दिल अल्लाह के नूर से रौशन और मुनव्वर हो जायेगा
95. अल हादियु (Al-Hadiyu)
( हिदायत देने वाला )
अगर कोई सफ़र में हो और रास्ता तलाश करने पर भी न मिल रहा हो तो उसे ये पढ़ना चाहिए “या हादी इहदि” इंशाअल्लाह रास्ता मिल जायेगा
सीधे रास्ते से अगर कोई भटका हुआ हो और लेकिन उसे सही रास्ते की तलाश हो तो उसे चाहिए ईशा की नमाज़ के बाद ग्यारह सौ बार पढ़े “या हादी इह्दिनस सिरातल मुस्तक़ीम” इंशाअल्लाह सीधे रास्ते की हिदायत मिलेगी
96. अल बदीउ (Al-Badeeu)
बेमिसाल चीज़ों को इजाद करने वाला
अगर अल्लाह तआला के इस नाम की तस्बीह खूब पढ़े तो अल्लाह की जानिब से उसके लिए इल्म हिकमत के दरवाज़े खोल दिए जायेंगे और उसकी ज़ुबान पर ऐसी इल्म की बातें जारी होंगे जो इस से पहले उसने सोचा भी नहीं था
अगर किसी को कोई तकलीफ़ गम या मुसीबत पेश आये तो उसे पढ़ना चाहिए या बदीअस समावाति वल अरदि पढ़े तो इंशाअल्लाह मुश्किलों का हल ज़रूर निकलेगा
97. अल बाक़ी (Al-Baqi)
( हमेशा बाक़ी रहने वाला )
अगर कोई शख्स जुमे की रत में एक हज़ार बार इस नाम को पढ़ेगा तो अल्लाह त आला उसे तमाम आमाल क़ुबूल करेंगे और ग़मों से छुटकारा नसीब होगा
98. अल वारिसु (Al-Warisu)
( तमाम चीज़ों का हक़ीक़ी व असली मालिक )
अगर कोई अल्लाह के इस नाम की तस्बीह पढ़ेगा तो इंशाअल्लाह उसके काम आसान हो जायेंगे और माल में बरकत होगी
99. अर रशीदु (Ar-Rasheedu)
( सही राह दिखाने वाला )
किसी को अपना मक़सद या काम की तदबीर समझ में न आती हो तो उसे चाहिए कि मगरिब और ईशा की नमाज़ के बाद “या रशीदु” एक हज़ार बार पढ़े इंशाअल्लाह ख्व़ाब में तदबीर नज़र आ जाएगी
100. अस सबूरू (As-Sabooru)
( बहुत बर्दाश्त करने वाला )
अगर कोई शख्स किसी मुसीबत में घिर गया हो और निकलना चाहता हो तो उसे चाहिए कि एक हज़ार बीस बार इस नाम को पढ़े इंशाअल्लाह नजात मिलेगी और दिल को सुकून मिलेगा
कोई भी ज़रुरत अगर पेश आ जाये तो अल्लाह का ये नाम 298 बार पढ़ें
अल्लाह हमें अपने नामों की दौलत से मालामाल फ़रमाए