Baitul Khala Ki Sunnaten | 7 Mistakes In Toilet |
बैतुल ख़ला की सुन्नतें
इन्सान दुनिया में आता है तो उसके साथ ही कई ज़रूरतें साथ आती हैं, और ऐसी ज़रूरतें जो वक़्त पर पूरी न हों तो इन्सान जीने मरने की कगार पर आ जाता है और इन्ही तमाम ज़रूरतों में वाशरूम या टॉयलेट जाना (पैखाना या पेशाब करना)
लेकिन उस वक़्त जब आप इन ज़रूरतों से फ़ारिग हो रहे हों तब आप ने कुछ बातों का ध्यान नहीं दिया तो आगे चल कर बहुत नुकसान हो सकता है इसलिए इस्लाम ने यहाँ भी रहनुमाई की है कि एक मुसलमान को वाशरूम जाते वक़्त और उसके अन्दर और निकलते वक़्त किन किन चीज़ों का ख़याल करना चाहिए
तो यहाँ पर हम उन 7 ग़लतियों का ज़िक्र करेंगे जो हम आम तौर से टॉयलेट के वक़्त करते हैं
पहली ग़लती : दुआएं न पढ़ना
जब हम दुआएं पढ़ लेते हैं तो अन्दर मौजूद शयातीन और हमारे बीच एक पर्दा बन जाता है जिससे हम किसी भी तरह का नुक़सान से बच जाते हैं, जैसा कि आप जानते हैं कि फलां पर कुछ आसीब का असर हो गया है, तो कई बार इसी लापरवाही की वजह से होता है इसलिए दुआओं का ख़ास एहतिमाम रखें
दूसरी ग़लती : सर न ढंकना
हमारे नबी (सल्लल लाहु अलैहि वसल्लम) की ये आदते शरीफ़ा थी कि सर ढक कर बैतुल खला जाते थे क्यूंकि सर ढक कर जाने में कई बीमारियों से हिफ़ाज़त रहती है जैसे उलमा ने लिखा है कि जो सर ढक कर न जाये तो उसको भूलने की बीमारी पैदा हो जाती है और एक दूसरी बीमारी ये भी है कि बाल झड़ने लगते हैं और ये दोनों बीमारियाँ आजकल आम हैं इसलिए सर ढक कर वाशरूम जाना हमारा रूटीन होना चाहिए
तीसरी ग़लती : किबले की तरफ़ मुंह या पीठ करना
किब्ला यानि जिस तरफ़ रुख करके हम नमाज़ पढ़ते हैं उस तरफ़ मुंह या पीठ करके वाशरूम में नहीं बैठना चाहिए, चाहे आप मैदान में हों, खुले में हों या किसी बिल्डिंग में हों हर हाल में आपको किबले की तरफ़ न रुख करना है और न ही पीठ करना है
चौथी ग़लती : इत्मिनान से फ़ारिग न होना
आम तौर से नौजवानों में एक मसअला ये होता है कि जींस और पेंट पहने होते हैं जिस से इस्तिन्जा करते वक़्त ठीक से बैठ नहीं पाते हैं और जल्दी से उठ खड़े होते हैं हालांकि जब तक ये इत्मिनान हासिल हो न जाये कि एक भी क़तरा नहीं बचा उस वक़्त तक रुके रहना चाहिए और फिर पानी का इस्तेमाल करके बाहर निकालना चाहिए
पांचवी ग़लती : गुस्ल्खाने में पेशाब करना
जिस जगह हम नहाते हैं उस जगह हमको पेशाब नहीं करना चाहिए नबी पाक (सल्लल लाहु अलैहि वसल्लम) की हदीस है कि ऐसा करने से वस्वसे की बीमारी पैदा हो जाती है इसलिए इससे बचना चाहिए
अगर बाथरूम पक्का है तो अलग बात है पानी डालने से बह जायेगा लेकिन बेहतर है उस जगह को पेशाब करने की जगह न बनाये और अगर बाथरूम कच्चा है फिर तो बिलकुल ऐसा करने से बचना चाहिए
छठी ग़लती : खड़े खड़े पेशाब करना
हमारे नबी पाक स.अ. हमेशा बैठ कर ही फ़ारिग होते थे इसलिए यही तरीक़ा हर मुसलमान का होना चाहिए कि वो बैठ का ही पेशाब करे लेकिन ऐसी जगह पर है जहाँ खड़े होकर करना मजबूरी है तो कर ले लेकिन इस बात का ख़याल रखे कि कपड़ों में गन्दगी न लगने पाए
सातवीं ग़लती : बाहर निकलने की दुआ न पढ़ना
जिस तरह हम अन्दर जाते वक़्त दुआ पढ़ते है उसी तरह बाहर निकलते भी दुआ पढ़ना चाहिए क्यूंकि इस दुआ में अल्लाह का शुक्र और आफियत भी है कि कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनको फ़ारिग होने के लिए दवाइयां खानी पड़ती हैं इसलिए ए अल्लाह तूने मुझे सेहत अता की जिस से आसानी से तकलीफदेह चीज़ अलग हो गयी