Dua Kab Aur Kis Waqt Qubool Hoti Hai |
दुआ कब और किस वक़्त क़ुबूल होती है
जिस तरह से नमाज़, रोज़ा, ज़कात, हज एक इबादत है, ठीक वैसे ही दुआ करना भी एक इबादत ही है, और हर एक इन्सान जो अल्लाह के सामने उम्मीद के साथ हाथ फैलाता है तो उसकी दुआ क़ुबूल होती है, लेकिन कुछ ख़ास ऐसे वक़्त हैं या ऐसी जगह हैं जिसमें अगर दुआ की जाये तो कुबूलियत का इमकान ज़्यादा होता है, और कुछ लोग भी ऐसे हैं जो अगर दुआ करें तो उनकी दुआ रद नहीं होती |
तो यहाँ इस पोस्ट में हम आपके सामने ज़िक्र करेंगे कि दुआ कब और किस वक़्त क़ुबूल होती है ( Dua Kab Aur Kis Waqt Qubool Hoti Hai ) और वो लोग जिनकी दुआएं कभी रद नहीं कि जातीं |
Dua Qubool Hone Ki jagah | वो जगह जहाँ दुआएँ क़ुबूल होती हैं
- मताफ
- मुलतज़म, हजर असवद और काबा के दरवाज़े के बीच का हिस्सा।
- मीज़ाब के नीचे
- बैतुल्लाह ( काबे ) के अंदर
- जम जम के कुएं पर
- सफा और मरवह की पहाड़ियों पर
- सफा और मरवह के बीच का वह इलाक़ा जहां सई की जाती है
- मकाम-ए-इब्राहीम के पीछे
- अरफा, मुजदलिफा, मिना और जमरात में, जहां शैतान को कंकरियां मारी जाती हैं
- पैगंबर मुहम्मद स.अ. के रौज़े मुबारक में
Dua Qubool Hone Ka Waqt | कौन कौन से वक्तों में दुआ कुबूल होती है
1. अज़ान के वक़्त
2. अज़ान और इक़ामत के दरमियान
3. हय्या अलस सलाह और हय्या अलल फलाह के बाद (ख़ास कर उस शख्स के लिए जो किसी मुसीबत में जकड़ा हुआ हो उस वक़्त दुआ करना बहुत फायदेमंद है)
4.फ़र्ज़ नमाज़ों के बाद
5. सजदे की हालत में ( नमाज़ों के अलावा सजदा )
6. कुरान की तिलावत के बाद ( ख़ास कर कुरान के ख़त्म करने के बाद )
7. आबे ज़मज़म पीते वक़्त
8. मुर्ग के आवाज़ करते वक़्त
9. मुसलमानों के किसी दीनी सिलसिले में इकठ्ठा होने के वक़्त (जहाँ मुसलमान बड़ी तादाद में हों)
10.अल्लाह के ज़िक्र की मजलिसों में
11. बारिश के वक़्त
12. जब काबे पर पहली नज़र पड़े
13.कुरान पाक मुकम्मल होने के बाद
14. जुमा के दिन अस्र से मगरिब के दरमियान
Log Jinki Dua Qubool Hoti Hai | इन 5 लोगों की दुआ हमेशा क़ुबूल होती है
1. एक बीमार शख्स की दुआ
कोई शख्स बीमार हो और तकलीफ़ में मुब्तिला हो तो उसकी दुआ ज़रूर कुबूल होती है|
2. एक रोज़ेदार शख्स की दुआ
रोज़ेदार शख्स की दुआ बहुत जल्द क़ुबूल होती है, उलमा ने रोज़े की हालत में दुआ करने और नमाज़ पढने को सुनहरा वक़्त बताया है।
3. अपने बच्चों के लिए बाप की दुआ
एक बाप को अपने परिवार का ज़िम्मेदार इस्लाम ने ठहराया है तो एक ज़िम्मेदार की और एक बाप की हैसियत से जब भी कोई बाप अपने बच्चों के लिए दुआ करता है तो ज़रूर कुबूल होती है ।
4. किसी शख्स की दुआ दुसरे शख्स के लिए उसकी ग़ैरहाज़िरी में
जैसे साजिद ने हामिद के लिए दुआ की जब हामिद वहां मौजूद नहीं था और हामिद को पता भी नहीं कि साजिद मेरी बेहतरी के लिए दुआ कर रहा है, तो में अल्लाह तआला उस दुआ को कभी नहीं ठुकराते और यक़ीनी तौर पर कुबूल करते हैं ।
5. सफ़र करते वक़्त मुसाफ़िर की दुआ
इसी तरह, जब कोई सफ़र कर रहा हो और उन ही सफ़र की मशक्क़तो के बीच दुआ करता है तो अल्लाह उसको ज़रूर कुबूल करते हैं ।
Dua QUbool Hone Wale Kaam | इन 7 कामों से दुआ कुबूल होती है
1. मुहसिनीन ( नेक काम करने वालों ) में शामिल होना
मुहसिनीन का मतलब : वो लोग जो अल्लाह के हुक्म का पालन करते हैं और बताये हुए तरीके पर चलते हैं तो ऐसे लोगों की दुआ ज़रूर क़ुबूल होती है
2. नफ्ली इबादत करते रहना
नफ्ल नमाज़ अगर आप न पढ़ें तो अज़ाब नहीं है लेकिन फिर भी आप अल्लाह की मुहब्बत में उसके सामने हाथ बांधे खड़े रहते हैं तो ऐसे में आप अल्लाह के बहुत ही क़रीबी बन्दों में शामिल हो जायेंगे आपकी दुआएं क़ुबूल की जाएँगी
3. ख़ुशहाली में दुआ ज़्यादा करना
हज़रत अबू हुरैरा र.अ. से रिवायत है कि रसूलुल लाह स.अ. ने फ़रमाया : जो ये पसंद करता है कि अल्लाह तआला उसे सख्तियों और परेशानियों में उसकी दुआ कुबूल करे तो उसे चाहिए कि खुशहाली में दुआ ज्यादा करे |
मतलब ये है कि जब हम पर मुसीबत आती है तब हम अल्लाह के हुज़ूर पेश होकर दुआ करते हैं जबकि हम पर कोई मुसीबत न हो तब भी दुआ करते रहना चाहिए इससे दुआ मुसीबत के वक़्त में जल्द कुबूल होती है |
4. हर दुआ से पहले कोई नेक काम करना
हज़रत अबू बक्र सिद्दीक़ र.अ. से रिवायत है कि नबी स.अ. ने फ़रमाया : बंदा कोई गुनाह करता है फिर वुज़ू करता है फिर दो रकातें पढता है, फिर अल्लाह तआला से गुनाह की माफ़ी तलब करता है तो अल्लाह तआला उसे माफ़ फरमा देते है |
5. वालिदैन के साथ अच्छा सुलूक करना
हज़रत उमर बिन ख़त्ताब र.अ. ने हज़रत उवैस करनी रहमतुल्ला अलैह से से कहा :
मैंने रसूलुल लाह स.अ. को ये फरमाते हुये सुना है कि तुम्हारे पास यमन के लोगों में से कबीला करन से एक शख्स उवैस बिन आमिर आयेगा उसकी वालिदा हैं जिसके साथ वो हुस्ने सुलूक करता है अगर वो अल्लाह तआला पर क़सम खाए तो अल्लाह तआला उसको पूरा फरमा देते हैं अगर तुम्हारे लिए उस से दुआ करवाना मुमकिन हो तो ज़रूर करवाना |
6. अल्लाह के बारे में हमेशा अच्छा गुमान रखना
हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल लाहु अल्लाहू अन्हू से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया : मेरा बंदा मेरे बारे में जैसा गुमान करता है मैं उसके साथ वैसा ही मामला करता हूं और जब भी मेरा जिक्र करता है तो मैं उसके साथ होता हूं
7. दुआ से पहले हम्द और दुरूद शरीफ
इमाम तिरमिजी ने रिवायत नकल की है उन्होंने बयान किया कि रसूल (सल्लल लाहू अलैहि वसल्लम) तशरीफ़ फरमा थे कि एक शख्स आया और उसने नमाज पढ़ी और कहने लगा
“अल्लाहुम्मग फ़िरली वर हम्नी”
“ए अल्लाह ! मुझे माफ कर दीजिए और मुझ पर रहम फरमाइये”
यह सुनकर ही नबी स.अ. ने फरमाया : ए नमाज़ी तूने जल्दी की, बल्कि जब तुम नमाज पढ़ो और बैठो, तो शान ए इलाही के मुताबिक पहले उसकी तारीफ करो, फिर उस से दुआ करो इसके बाद एक और शख्स ने नमाज पढ़ी, तो उसने अल्लाह तआला की हम्द बयान की और नबी स.अ. पर दुरूद पढ़ा तो आप ने फरमाया : ए नमाज़ी दुआ करो पूरी की जाएगी |
जजाकल्लाह भाईजान आप ने हम लोगो दिन की बात सिखाई आप की पोस्ट पढ़ कर मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला दिन का इल्म हासिल हुआ अल्लाह आप को इसका बेहतरीन बदला अता फरमाए आमीन आप ऐसे ही इसलामिक पोस्ट लिखते रहे
अपनी दुआ में याद रक्खे.
aameen, bhai allah aapki duaon aur tamannaon ko qubool farmaye