Dua Kab Qubool Hoti Hai
कब और किस वक़्त दुआ कुबूल होती है
कुछ ऐसे ख़ास वक़्त और टाइम होते हैं जिन में दुआ कुबूल होती है , सही मानों में दुआ की कुबूलियत तो हर वक़्त हो सकती है जब भी पूरे दिल और यकीन के साथ अगर मांगी जाये लेकिन कुछ खास घड़ियाँ ऐसी होती हैं जिन को अल्लाह तआला ने दुआ कुबूल करने के लिए ख़ास फ़रमाया है और और जिस में दुआ रद नहीं की जाती |
चलिए ज़रा जान लेते हैं कि वो कौन से ख़ास लम्हे हैं जो हमारी ज़िन्दगी और आखिरत को बदलने का फ़ैसला कर सकते हैं |
कौन कौन से वक्तों में दुआ कुबूल होती है
1. अज़ान के वक़्त
2. अज़ान और इक़ामत के दरमियान
3. हय्या अलस सलाह और हय्या अलल फलाह के बाद ( ख़ास कर उस शख्स के लिए जो किसी मुसीबत में जकड़ा हुआ हो उस वक़्त दुआ करना बहुत फायदेमंद है )
4.फ़र्ज़ नमाज़ों के बाद
5. सजदे की हालत में ( नमाज़ों के अलावा सजदा )
6. कुरान की तिलावत के बाद ( ख़ास कर कुरान के ख़त्म करने के बाद )
7. आबे ज़मज़म पीते वक़्त
8. मुर्ग के आवाज़ करते वक़्त
9. मुसलमानों के इकठ्ठा होने के वक़्त (जहाँ मुसलमान बड़ी तादाद में हों)
10.अल्लाह के ज़िक्र की मजलिसों में
11. बारिश के वक़्त
12. जब काबे पर पहली नज़र पड़े
दुआ कैसे मांगें ?
नोट : यहाँ पर ये बात ध्यान रखें कि जब आप अल्लाह के सामने हाथ फैलाएं तो आपकी हालत बिलकुल एक मांगने वाले की होनी चाहिए ऐसे मांगने वाले की जो यहाँ से उस वक़्त तक नहीं जायेगा जब तक उसे अपनी मुराद न मिल जाये |
और ये यक़ीन होना चाहिए कि देने वाली ज़ात अल्लाह ही की है और किसी के बस में मेरी मुश्किल का हल नहीं सिवाए अल्लाह के, जब ये हालत आप पर तारी होगी तो कोई भी दुआ अल्लाह के सामने हाज़िर होकर आपकी सिफ़ारिश करेगी | और अल्लाह तआला जब दुआ कुबूल करते हैं तो ये नहीं कि जो हम मांग रहे हैं वो ही दे दें बल्कि वो देते हैं जो हमारे लिए बेहतर होता है |
दुआ की क़ुबूलियत पर ये तीन चीज़ें होती हैं
- या तो जो दुआ मांगी है वो ही दे देते हैं
- या तो आने वाली कोई बला या मुसीबत टाल देते हैं
- या फिर आख़िरत में उसके बदले एक दरजा बढ़ा देते हैं
इसलिए अगर कोई चीज़ अल्लाह से मांगे और वो न मिले तो ये नहीं समझना चाहिए कि मेरी दुआ क़ुबूल नहीं हुई बल्कि हो सकता है इसके बदले अल्लाह ने वो दे दिया हो जो मेरे लिए बेहतर था जैसे एक बाप बच्चे को वो ही दिलाता है जो उसके लिए बेहतर होता है ये नहीं कि बचपन में ही उसने उसने मोटरसाइकिल की ज़िद की तो वो उसे तुरंत दे दे बल्कि वही कुछ लाकर देता है जो उसके लिए बेहतर हो क्यूंकि बच्चा अभी नासमझ है |
तो अल्लाह के सामने हमारी ख्वाहिशे और उम्मीदें बिलकुल इसी बच्चे की तरह हैं वो जब हमारे लिये जो बेहतर समझेगा हमें अता करेगा बस उस से मांगने में बिलकुल कोताही मत कीजियेगा क्यूंकि लोगों से माँगने वालों से वो जितना नाराज़ होता है उतना ही जब उस से मांगो तो वो खुश होता है |
अल्लाह आपकी हर जाएज़ दुआ क़ुबूल करे आमीन
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Agar woh kuch bhi kar sakta hai toh woh nabehatri ko behtar karde aur jo hame chahiye woh bhi dede uske liye kya namumkin.