Dua kaise kare | Etiquettes Of Dua
दुआ कैसे करें | दुआ के 13 आदाब
दुआ इबादत है और मोमिन का हथियार है जहाँ सारी तदबीरें नाकाम हो जाती हैं और दुनिया के सारे झूठे खुदा नाकाम हो जाते हैं वहां फिर वो हक़ीक़ी मालिक से की गयी दुआ ही काम आती है जो कायापलट कर देती है |
लेकिन आम तौर से कुछ लोग कहते हैं कि मेरी दुआ क़ुबूल नहीं होती तो उसकी वजह ये है कि जिस तरह हमें अपने बड़ों से बात सलीके और आदाब से करते हैं तो वो अल्लाह जो तमाम ज़मीनों और आसमानों का मालिक है क्या उससे बेसलीक़ा बात की जा सकती है ज़ाहिर सी बात नहीं, तो पहले कुछ दुआ के आदाब सीख लें ताकि हमारी कोई दुआ रद न हो |
हदीस : अल्लाह के नज़दीक दुआ से ज्यादा अज़मत वाला कोई अमल नहीं
हदीस : दुआओं से तकदीर बदलती है
हदीस : दुआ सब आफतों और मुसीबतों जो नाजिल हो चुकी और होने वाली हैं सब के लिए नफाबख्श है इसलिए अल्लाह के बन्दों दुआ करो
हदीस : तुम्हारा रब बड़ा हया करने वाला है और बड़ा सखी और देने वाला है इसलिए जब बंदा जब उसके सामने हाथ फैलाता है तो अल्लाह को शर्म आती है कि मैं कैसे इसको खाली जाने दूं
तिरमिज़ी की रिवायत में है कि एक शख्स आया, उसने दो रकात नमाज़ पढ़ी, नमाज़ के बाद दुआ की “ए अल्लाह ! मेरी मगफिरत कर मुझ पर रहम कर” तो नबी स.अ. ने फ़रमाया : इसकी दुआ कुबूल नहीं हुई तो सहाबा ने अर्ज़ किया या रसूलल लाह ! क्यूँ क़ुबूल नहीं हुई तब नबी स.अ. ने फ़रमाया : कि जब भी दुआ करो तो सब से पहले अल्लाह की हम्दो सना ( तारीफ़ ) करो उसके बाद मुझ पर (नबी स.अ.) दुरूद भेजो फिर अपनी जो ज़रुरत है वो अल्लाह के सामने बयान करो |
Etiquettes Of Dua | दुआ के आदाब
1. दुआ की कुबूलियत का यक़ीन हो
इस बात का यक़ीन हो कि इस दर से कोई न खाली गया है न जायेगा और यहीं से मेरी ज़रुरत पूरी होगी |
2. पूरी तवज्जो और यक्सू होकर दुआ करो
जिस वक़्त दुआ कर रहे हो आपकी पूरी तवज्जो सिर्फ अल्लाह ही की तरफ हो, ये न हो कि दुआ अल्लाह से मांग रहे हैं और ध्यान दूकान या मकान में लगा है |
3. दुआ करते समय क़िबला का सामना करें
आप किबला का रुख बैठ जाएँ जिस रुख पर नमाज़ पढ़ते हैं |
4. दुआ के लिए हाथ उठाना
दुआ के लिए हाथ उठाना सुन्नत है लेकिन अगर बगैर हाथ उठाये ही दुआ कर रहा है तो भी ठीक है, लेकिन जब बंदा हाथ उठा कर कुछ मांगता है तो ज़्यादा बेबसी और आजिज़ी ज़ाहिर होती है इसलिए हाथ उठाकर ही दुआ करें |
5. आसानी और तकलीफ दोनों में दुआ करें
आम तौर से होता है कि जब हम आसानी में होते हैं ख़ुशी का मौक़ा रहता है तो दुआ तो छोड़ो खुदा ही को भूले रहते हैं, ऐसा नहीं होना चाहिए हर हाल में अल्लाह से लौ लगा के रखना चाहिए |
6. अपने गुनाहों का एतराफ करे
दुआ में सीधे अपनी ज़रुरत न रखे बल्कि अपने गुनाहगार होने का एतराफ करे और अपनी गलतियों पर शर्मिंदा हो |
7. खास ख़ास दुआओं को तीन बार दोहराए
इब्ने माजा की रिवायत में है कि नबी स.अ. ने जब जन्नत की तलब और जहन्नम से पनाह मांगी तो 3 बार कहा “ए अल्लाह मुझे जन्नत से नवाज़ दे और जहन्नम से पनाह दे दे”
8. पहले अपने लिए दुआ मांगे
जब कभी किसी दुसरे के लिए दुआ के लिए हाथ फैलाना हो तो पहले अपने लिए दुआ मांगे फिर दुसरे के लिए मांगे तिरमिज़ी की रिवायत में है कि “पहले अपने लिए मांगे फिर दुसरे के लिए मांगे”
9. मामूली से मामूली चीज़ भी अल्लाह ही से मांगे
तिरमिज़ी शरीफ़ की एक हदीस में आया है कि “तुम में से हर एक को चाहिए कि अपनी ज़रुरत अल्लाह से मांगे यहांतक कि जूते का तस्मा ( डोरी ) भी टूट जाये तो वो भी अल्लाह से मांगे”
ये नहीं कि घर में नमक नहीं है तो इसे मैं खुद ही ला सकता हूँ, आने वाले वक़्त में कुछ भी हो सकता है इसलिए पहले अल्लाह से ज़रूर कहो कि मुझे इसकी ज़रुरत है |
10. अल्लाह को उसका नाम या उसकी सिफ़ात से पुकारना
दुआ में इस तरह कहे कि ए अल्लाह, ये नाम है उसकी सिफ़ात यानि जो अल्लाह के 99 नाम है वही उसकी सिफ़ात है जैसे या रहमान या रहीम वगैरह
11. अल्लाह के डर से रोना
अल्लाह के सामने जब बंदा आंसुओं को बहाता है तो अल्लाह को अपने बन्दे पर प्यार आता है और अपनी रहमत में ढांप लेता है |
12. आमीन कहना
जब कोई शख्स किसी दुसरे की दुआ सुन रहा होता है, तो उसे अमीन कहना चाहिए, जिसका मतलब है ए अल्लाह! क़ुबूल कर ले ।
13. पहले अल्लाह की तारीफ, नबी दुरूद पढ़े
दुआ शुरू करने से पहले और अपनी ज़रुरत रखने पहले अल्लाह की तारीफ़ करे जैसे सूरह फातिहा, फिर नबी स.अ. पर दुरूद शरीफ़ पढ़े उसके बाद अपनी ज़रुरत रखे |
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Agar hindu dharm ke logo ko allah se duwa magnu hai tho ham kese mag sakte hai
Is duniya har ek cheez allah rabbul izzat ki banayi hui hai so aap sab ke liye dua karein.
agar aap ek allah me yaqeen rakhte hai to khoob dil laga kar use pukare apne dard kii duhai de agar aapki talab sachchi hai to inshaallah aapki dua zaroor qubool hogi
Dear sister, Allah bhagwan god sab ek h, sabka malik ek h, log alag alag naam se pukarte h.
Aap kisi peacefull and clean place , mai bethiy, or bas mann mai kahiye * hey uper wale , jisne hume paida kia, hume bnaya, us ek rabb se mangiye jo hume banane wala h, or jo bhe apki preshani, khushi, jarurat jo bhe h, us khuda se share kijiy, or jaise ek bacha apne maa baap se jidd krke mangta h koi chij waise maang lijiy,
mashaallah aap ne dua par achi jankari di hain allah aap ko kamiyabi de aameen
Allah kisi dharm ki hukumat nahi he Allah sabka he bus start ye he ki aapko manna padega ki allah he or aapne hatho ko buland karke pehle ye kahe ki allah mere sare vo gunha maaf kar de me dua ko qubool hone se rok rahe he or phir kahe agar ye mere haq me behtar he to puri kar nahi to is musibat se nikalne ka rasta dikha fir aapni sari dua mango jese ki hum aapne maa baap se mangte he ro ro ke zid kar ke Q ki allah aapne bando ko 70 maa se jyada pyaar karta hai…