Dua Kaise Qubool Hoti Hai ?
इन 7 आमाल से दुआ कुबूल होती है
जब बच्चा परेशान होता है तो वो माँ बाप की तरफ़ दौड़ता है, लेकिन एक बंदा परेशान होता है और टूट चुका होता है तो वो अपने रब की तरफ दौड़ता है, अब बंदा लाख गुनाहगार हो सत्तर मांओं से ज्यादा मुहब्बत करने वाला रब उसे अपनी रहमत के दामन में समेट लेता है
हाँ दोस्तों ! दुआ ( यानि अल्लाह को पुकारना ) एक इबादत है और इन्सान को ख़ुशी हो या ग़म हर हाल में सहारा देने वाली है, ऐसे में आपको मालूम होना चाहिए कि कैसे दुआ करें, और वो क्या चीज़ें हैं जो दुआ को कुबूल करवाने में असरदार होती हैं
यहाँ पर हम कुरान और हदीस के हवाले से 7 बातें ज़िक्र करेंगे जिनसे दुआ कुबूल होती है
1. मुहसिनीन ( नेक काम करने वालों ) में शामिल होना
अल्लाह तआला ने सूरह आराफ़ में फ़रमाया है कि : उस से खौफ़ और उम्मीद के साथ दुआ करो यक़ीनन अल्लाह तआला की रहमत मुहसिनीन के करीब है
मुहसिनीन का मतलब : वो लोग जो अल्लाह के हुक्म का पालन करते हैं और बताये हुए तरीके पर चलते हैं
2. नफ्ली इबादत करते रहना
इमाम बुखारी ने हज़रत अबू हुरैरा र.अ. से रिवायत नकल की है कि रसूलुल लाह स.अ. ने फ़रमाया :
यक़ीनन अल्लाह तआला फ़रमाते हैं जिस ने मेरे किसी दोस्त से दुश्मनी की, तो मेरी तरफ से उसके खिलाफ ऐलाने जंग है और मेरा बंदा मेरे तय किये हुए फराइज़ से ज़्यादा किसी चीज़ से मेरे क़रीब नहीं होता और मेरा बंदा नफ्ली इबादत के ज़रिये मेरे करीब होता रहता है, यहाँ तक कि मैं उस से मुहब्बत करता रहता हूँ और जब मैं उस से मुहब्बत करता हूँ तो उसका कान बन जाता हूँ जिसे वो सुनता है, उसकी आँख बन जाता हूँ जिससे वो देखता है, उसका हाथ बन जाता हूँ जिससे वो पकड़ता है, उसका पांव बन जाता हूँ जिससे वो चलता है, और अगर वो मुझ से सवाल करेगा तो मैं उसे ज़रूर दूंगा, और अगर वो मुझ से पनाह तलब करे तो यक़ीनन मैं उसे ज़रूर पनाह दूंगा |
3. ख़ुशहाली में दुआ ज़्यादा करना
अबू हुरैरा र.अ. से रिवायत है कि रसूलुल लाह स.अ. ने फ़रमाया : जो ये पसंद करता है कि अल्लाह तआला उसे सख्तियों और परेशानियों में उसकी दुआ कुबूल करे तो उसे चाहिए कि खुशहाली में दुआ ज्यादा करे | ( कहने का मतलब ये है कि जब हम पर मुसीबत आती है तब हम अल्लाह के हुज़ूर पेश होकर दुआ करते हैं जबकि हम पर कोई मुसीबत न हो तब भी दुआ करनी चाहिए इससे दुआ मुसीबत के वक़्त में जल्द कुबूल होती है |
4. हर दुआ से पहले कोई नेक काम करना
हज़रत अबू बक्र सिद्दीक़ र.अ. से रिवायत है कि नबी स.अ. ने फ़रमाया : बंदा कोई गुनाह करता है फिर वुज़ू करता है फिर दो रकातें पढता है, फिर अल्लाह तआला से गुनाह की माफ़ी तलब करता है तो अल्लाह त आला उसे माफ़ फरमा देते है |
5. वालिदैन के साथ अच्छा सुलूक करना
हज़रत उमर बिन ख़त्ताब र.अ. ने हज़रत उवैस करनी रहमतुल्ला अलैह से से कहा :
मैंने रसूलुल लाह स.अ. को ये फरमाते हुये सुना है कि तुम्हारे पास यमन के लोगों में से कबीला करन से एक शख्स उवैस बिन आमिर आयेगा उसकी वालिदा हैं जिसके साथ वो हुस्ने सुलूक करता है अगर वो अल्लाह तआला पर क़सम खाए तो अल्लाह तआला उसको पूरा फरमा देते हैं अगर तुम्हारे लिए उस से दुआ करवाना मुमकिन हो तो ज़रूर करवाना |
6. अल्लाह के बारे में हमेशा अच्छा गुमान रखना
हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल लाहु अल्लाहू अन्हू से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया :
जैसा मेरा बंदा मेरे बारे में गुमान करता है मैं उसके साथ वैसा ही मामला करता हूं और जब भी मेरा जिक्र करता है तो मैं उसके साथ होता हूं
7. दुआ से पहले हम्द और दुरूद शरीफ
इमाम तिरमिजी ने हजरत फ़ुजाला बिन उबैद से रिवायत नकल की है उन्होंने बयान किया कि रसूल सल्लल लाहू अलैहि वसल्लम तशरीफ़ फरमा थे कि एक शख्स आया और उसने नमाज पढ़ी और कहने लगा
“अल्लाहुम्मग फ़िरली वर हम्नी”
“ए अल्लाह ! मुझे माफ कर दीजिए और मुझ पर रहम फरमाइये”
यह सुनकर ही नबी स.अ. ने फरमाया : ए नमाज़ी तूने जल्दी की, बल्कि जब तुम नमाज पढ़ो और बैठो, तो शान ए इलाही के मुताबिक उसकी तारीफ करो, फिर उस से दुआ करो इसके बाद एक और शख्स ने नमाज पढ़ी, तो उसने अल्लाह तआला की हम्द बयान की और नबी सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम पर दुरूद पढ़ा तो नबी स.अ. ने फरमाया : ए नमाज़ी दुआ करो पूरी की जाएगी |
Akho ke Roshni ke liye Duw bataye
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