Idul Adaha 2020 : ईद के दिन के मसनून आमाल | Eid ke Masnoon Amal

ied ke masnoon amaal

Eidul Adaha 2020

ईद के दिन के मसनून आमाल जो ज़रूर करने चाहिए

Eid ke Masnoon Amal

रसूलुल लाह सल्लल लाहू अलैहि वसल्लम जब मक्का हिजरत करके मदीना तशरीफ़ लाये तो वहाँ लोग इन दिनों खेल कूद करते और खुशियाँ मनाते नबी स.अ. ने पुछा ये दोनों दिन कैसे हैं और इन में तुम खुशियाँ क्यूँ मानते हो ? तो उन्होंने बताया कि हम इस्लाम लाने से पहले इन दिनों खुशियाँ मनाया करते थे तो अल्लाह के रसूल स.अ. ने फ़रमाया कि अल्लाह ने तुम को इन के बदले इन से बेहतर दो दिन अता किये हैं

1. इदुल फ़ित्र और 2. इदुल अज़हा

 

दुसरे मजहबों में ईद का दिन किसी वाकिये की यादगार में मनाया जाता है और उसको रंग रलियों व फुजूल कामों में बर्बाद कर दिया जाता है जबकि मुसलमान ईद की शुरुआत इबादत यानि नमाज़ पढ़ कर शुरुआत करते हैं और उस दिन नबी स.अ. ने कुछ अमल ऐसे बताये हैं जिस को पूरा करके मुस्लमान अपना अक्सर वक़्त इबादत में गुज़ार सकता है |

 

याद रखें : नबी की हर सुन्नत पर अमल करना इबादत है चाहे वो सुन्नत छोटी हो या बड़ी

 

चलिए जान लेते हैं कि ईद के दिन के वो आमाल जो सुन्नत हैं ( Eid ke Masnoon Amal )

सुबह जल्दी उठना :

नमाज़े फज्र के लिए आम दिनों में जिस वक़्त उठते हैं उस से ज़रा पहले उठना ताकि नमाज़े फज्र वक़्त पर अदा हो और उसके बाद गुस्ल और दूसरी ज़रूरीयात से फारिग़ हो जाएँ | सहाबा किराम का मामूल था कि फज्र में ही ईद की नमाज़ के लिए फारिग हो जाया करते थे |

गुस्ल करना :

ईद के दिन पूरे एहतमाम के साथ गुस्ल करना सुन्नत है |

मिस्वाक करना :

वैसे तो मिस्वाक वजू के वक़्त सुन्नत है और ईद के दिन जबकि काफी लोग इकठ्ठा होते हैं तो ऐसे में पूरी तरह से सफाई सुथराई का हुक्म दिया गया है इसलिए मिस्वाक को मुंह की सफाई के लिए ज़रूर इस्तेमाल करना चाहिए |

पाक साफ़ उम्दा कपडे पहनना :

अपने पास मौजूद कपड़ों में से जो अच्छा हो उसे पहनना सुन्नत है नया हो तो बेहतर है वरना धुला हुआ और पाक साफ़ हो |

खुशबू लगाना :

खुशबू हमारे नबी स.अ. की पसंदीदा चीज़ों में से एक है इसलिए ईद के दिन अपनी हैसियत के मुताबिक़ कोई अच्छी खुशबू जो आसानी से मिल जाये उसका इस्तेमाल सुन्नत है |

नमाज़ के लिए जल्द जाना :

नबी स.अ. ईदगाह जल्द तशरीफ़ ले जाया करते थे लिहाज़ा हम सबको इस सुन्नत पर अमल करना चाहिए |

ईदगाह पैदल जाना :

अगर ईदगाह करीब हो तो पैदल चलना अफज़ल (ज्यादा बेहतर) है वरना सवारी का इस्तेमाल कर सकते हैं |

रास्ते में तकबीर कहना :

इदुल अज़हा के दिन आते जाते वक़्त बलंद आवाज़ से तकबीर कहना |

तकबीर ये है :

अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर

ला इलाहा इल्लल लाहु

वल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर

वलिल लाहिल हम्द

 

Takbeer In English

Allahu Akbar Allahu Akbar

La Ilaha Illal Lahu

Wallahu Akbar Allahu Akbar

Walillahil Hamd

आने जाने का रास्ता बदल लेना :

यानि एक रास्ते से जाना और दुसरे रास्ते से वापस आना और यही नबी स.अ.का मामूल था कि वापसी के वक़्त रास्ता बदल कर घर तशरीफ़ लाते थे |

नमाज़ से पहले कुछ न खाना :

ईद की नमाज़ से पहले कुछ न खाना बल्कि वापसी पर अपनी क़ुरबानी के गोश्त में से खाना मुस्तहब है

( मुस्तहब का मतलब है कि अगर कर ले तो सवाब मिलेगा लेकिन न करने पर गुनाह नहीं होगा )

ईद की नमाज़ ईदगाह में पढना:

नबी स.अ. ईद की नमाज़ के लिए ईदगाह तशरीफ़ ले जाया करते थे |

नमाज़ के बाद दोनों खुतबे सुनना :

नमाज़ के बाद इमाम दो ख़ुत्बे पढता है जिनको सुने बगैर नही उठना चाहिए बल्कि खुतबे सुन कर ही वापस घर आना चाहिए |

मोहताजों का ख़याल करना :

मोहताजों और ज़रूरतमंदों का ख़याल रखना और ईद की खुशियों में उनको भी शामिल करना |

 

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