Financial Problem Hindi | रिज़्क़ में तंगी क्यों होती है

रिज़्क़ में तंगी क्यों होती है

 

1. किसी के माल में खयानत करना यानी अमानत के तौर पर रखी हुई किसी की चीज़ को हड़प कर जाना या चुरा लेना

ख़यानत का एक वाक़िया

एक बुज़ुर्ग के लश्कर में हाथी का जो निगरान था वो हाथी के हक़ में खयानत करता था, यानी हाथी के लिये जितना खर्चा उसको मिलता था नहीं खिलाता था बल्कि आधा हड़प कर जाता था, बुज़ुर्ग साहब को ये बात पता चली तो वो उससे मना करते उससे पहले ही वो आकर अपने रिज़्क़ की तंगी की शिकायत करने लगा, और कहा कि मेरा खर्च पूरा नहीं पड़ता लिहाज़ा आप मेरे लिए दुआ करे तो बुज़ुर्ग साहब ने उससे कहा : तुम हाथी का रिज़्क़ उसको पूरा खिलाओ इंशा अल्लाह कुछ ही दिनों में खूब रोज़ी मिलेगी तो उसने खयानत से तौबा की चंद दिनों में वो मालामाल हो गया |

2. कभीकभार किसी गुनाह की वजह से रिज़्क़ में तंगी  जाती है इसलिए अगर इस्तिग़फ़ार का मामूल बना लिया जाए और सदक़ा वगैरा दिया जाए तो तो वो तंगी दूर हो सकती है
3. फज्र के बाद सूरज निकलने से पहले सोना, फज्र की नमाज़ क़ज़ा करना,
4. क़र्ज़ लेकर वापस ना लौटाना ,
5. अल्लाह के सिवा किसी और पर भरोसा रखना कि वो हमें रिज्क देगा
wazifa

रिज़्क़ में तंगी की क़िस्मे

1.मालो असबाब की इतनी कमी कि अहम् ज़रूरियात भी पूरी हो ये भी रिज़्क़ की तंगी है
2.दिल में इतनी लालच पैदा हो कि जितना भी मिले कम मालूम हों ये भी रिज़्क़ की तंगी है
3.माल बहुत हो मगर उस माल से कोई फायदा न हो सारा माल एक कारोबार के बाद दुसरे कारोबार में लग जाता होऔर माल के मालिक को उस माल से कोई आराम हो बल्कि उलटे तकलीफ परेशनी और थकावट हो ये भी रिज़्क़ की तंगी है
4. रिज़्क़ तो पूरा मिले मगर फ़ुज़ूल खर्चीऔर लापरवाही की आदत हो जिसकी वजह से क़र्ज़ों पर क़र्ज़े चढ़तेजाएं और इंसान दूसरो के सामने रुस्वा होता रहे ये भी रिज़्क़ की तंगी है
5. माल मौजूद हो मगरदिल में इतना बुख़ल ( कंजूसी ) पैदा हो जाए कि हर रुपया खर्च करने पर तकलीफ हो और उसकी वजह से अपनी और अपनी फैमिली की ज़रूरियात पूरी  कर सकता हो ये भी रिज़्क़ की तंगी है

One Comment on “Financial Problem Hindi | रिज़्क़ में तंगी क्यों होती है”

  1. बार बार कारोबार में नुक्सान हो और घर की जरूरियात पूरी ना हो ऊपर से क़र्ज़ का बोझ बढ़ता जाये। ये भी रिज़्क़ की तंगी है क्या?

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