Hadees Shareef | Pyare Nabi Ki Batein | हमारे नबी की 10 वासिय्यतें

Pyare Nabi Ki Batein

Hadees Shareef | Pyare Nabi Ki Batein

हमारे नबी की 10 वासिय्यतें

वसिय्यत का मतलब : वसिय्यत के असल मानी ये हैं कि किसी को खैर की बात बताना, नसीहत करना या अच्छी सलाह देना

लेकिन वसिय्यत की जब बात आती है तो हमारे ज़हन में आता है कि किसी के बाप ने मरते वक़्त उसको इतने माल की या इस बात की वसिय्यत की है, लेकिन क्या आपने ये जानने की कोशिश की है कि हमारे प्यारे नबी मुहम्मदुर रसूलुल लाह स.अ. ने हम सब के लिए और पूरी उम्मत के लिए क्या वसिय्यत की है, ये मौक़ा उस वक़्त का है जब हज़रत मआज़ र.अ. नबी स.अ. के साथ थे तब आप ने हज़रत मआज़ र.अ. को ये वासिय्यतें कीं |

Pyare Nabi S.A. Ki 10 Nasihaten

हज़रत मआज़ र.अ. फरमाते हैं कि मुझे हुज़ूर स.अ. ने 10 बातों की वसिय्यत फ़रमाई :

1.अल्लाह के साथ किसी को शरीक न करना चाहे तुम्हें क़त्ल कर दिया जाये या जला दिया जाये

यानि ये पेशानी झुकेगी तो सिर्फ अल्लाह के सामने झुकेगी रिज्क, मौत, मुश्किल, आसानी सब अल्लाह देता है इसमें किसी दुसरे का कोई दखल नहीं है |

2. वालिदैन की नाफ़रमानी न करना चाहे वो तुम को घर से निकाल दें

इमाम ग़ज़ाली र.अ. ने लिखा है कि एक जुर्म ऐसा है कि जिस की सज़ा आख़िरत में तो है ही दुनिया में भी मिलती है वो वालिदैन की बेअदबी है और एक नेकी ऐसी है जिसकी जज़ा आख़िरत में तो है ही दुनिया में भी उसका सिला मिलता है वो है वालिदैन का अदब, जिसने अपने वालिदैन की नाफ़रमानी की आप उसको ज़लील और रुसवा होता ज़रूर देखेंगे, और जिसने फरमाबरदारी की तो आप उसकी पुरसुकून ज़िन्दगी पर रश्क करेंगे |

3. फ़र्ज़ नमाज़ जान बूझ कर न छोड़ना जो शख्स फ़र्ज़ नमाज़ जान बूझ कर छोड़ देता है, अल्लाह का ज़िम्मा उससे बरी है |

जब अल्लाह अपना ज़िम्मा लोगों से उठा लेता है तो ज़ाहिर है कि रुसवाई उसका मुक़द्दर बन जाएगी, अल्लाह की रहमत और उसकी ज़िम्मेदारी में रहना एक बहुत बड़ी नेअमत है |

Pyare Nabi Ki Batein

4. शराब न पीना कि ये हर बुराई और फहाशी की जड़ है

5. अल्लाह की नाफ़रमानी न करना कि इससे अल्लाह का क़हर और अज़ाब नाज़िल हो जाता है

जब कोई चीज़ आपके सामने करने, देखने, सुनने वाली आए तो तो पहले हमें ये देखना है कि इस में अल्लाह की फरमा बरदारी है या नाफ़रमानी, अगर अल्लाह खुश न हों तो नाराज़ भी न हो |

6. लड़ाई में न भागना, चाहे सब साथी मर जाएँ

मतलब ये है कि अल्लाह से लड़ाई, आज़माइश, बीमारी, मुश्किल न मांगो बल्कि आफ़ियत मांगो लेकिन अगर पड़ जाये तो पीठ फेर कर भागने के बजाये बहादुरी से मुकाबला करो यही एक मोमिन की शान है |

7. अगर किसी जगह वबा फ़ैल जाये जैसे ताऊन वगैरह तो वहां से न भागना

ताऊन एक ऐसी बीमारी थी जो एक दुसरे से फैलती थी जैसे आज कल Corona Virus है तो इसके बारे में नबी स.अ. का फरमान है कि अगर किसी जगह ऐसी बीमारी फ़ैल गयी और तुम वहां पर हो तो वहां से न निकलना और जो वहां नहीं है वो उस न जगह जाये |

ये हमारे नबी स.अ. ने इस लिए बताया क्यूंकि बीमारी वाली जगह का आदमी अगर दूसरी जगह जायेगा तो उस बीमारी को और ज्यादा फैलाएगा इसलिए सब्र का इज़हार करते हुए वो वहीँ पर रुक जाये और दूसरों को इस बीमारी से बचाए रखे |

8. अपने घर वालों पर ख़र्च करना

जितनी तुम्हारी इनकम है उसके हिसाब से अपने घर वालों पर खर्च करो कंजूसी और बुख्ल से काम न लो और फुजूलखर्ची न करो |

9. तम्बीह और अदब  सिखाने के लिए उन पर से लकड़ी न हटाना

यानि औलाद को पता होना चाहिए कि कोई नाफ़रमानी की तो हो सकता है वालिद साहब नाराज़ हो जाएँगे और लकड़ी से हमें मारेंगे और ये सख्ती सिर्फ आदाब सिखाने के लिए है बच्चों को मेंटली टार्चर करने के लिए नहीं |

10. अल्लाह से उनको डराते रहना

अपने अहलो अयाल के दिलों में अल्लाह का खौफ़ पैदा करते रहो क्यूंकि यही एक कुंजी है जो तमाम गुनाहों से निकाल कर नेकी के रास्ते पर लाएगी |

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