Ham Dekhenge Nazm Faiz Ahmad Faiz | लाज़िम है कि हम भी देखेंगे

Ham Dekhenge Nazm Faiz Ahmad Faiz

Ham Dekhenge Nazm Faiz Ahmad Faiz

लाज़िम है कि हम भी देखेंगे

हम देखेंगे

लाज़िम है कि हम भी देखेंगे

वो दिन कि जिस का वादा है

जो लौहे अज़ल पे लिखा है

हम देखेंगे…..

जब ज़ुल्मो सितम के कोहे गरां

रूई की तरह उड़ जायेंगे

हम महकूमों के पाँव तले

ये धरती धड़ धड़ धड्केगी

और अहले हकम के सर ऊपर

जब बिजली कड़ कड़ कड़केगी

हम देखेंगे…..

Ham Dekhenge Nazm

जब अरज़े ख़ुदा के काबे से

सब बुत उठवाये जायेंगे

हम अहले सफा मरदूदे हरम

मसनद पर बिठाये जायेंगे

सब ताज उछाले जायेंगे

सब तख़्त गिराए जायेंगे

हम देखेंगे…..

 

Ham Dekhenge Nazm

बस नाम रहेगा अल्लाह का

जो गायब भी है हाज़िर भी

जो नाज़िर भी है मंज़र भी

उठेगा अनल हक़ का नारा

जो मैं भी हूँ और तुम भी हो

और राज करेगी खल्के ख़ुदा

जो मैं भी हूँ और तुम भी हो

Ham Dekhenge Nazm

मुश्किल अलफ़ाज़ के मानी

लाज़िम : ज़रूरी

लौह : तख्ती

अज़ल : शुरुआत

लौहे अज़ल : जब इस दुनिया को बनाया गया उस वक़्त दुनिया की किस्मत की तख्ती पर जो लिखा गया है

सितम : ज़ुल्म

कोहे गरां : बड़े बड़े पहाड़

महकूम : जिन पर हुकूमत की जाये पब्लिक

अहले हकम : रूलर, हुकूमत करने वाले

अरज़े ख़ुदा : ज़मीनी ख़ुदा, जो ज़मीन पर ख़ुदा बने बैठे हैं

सफा : साफ़

मरदूद : धुत्कारे हुए निकाले हुए

हरम : पाक जगह

मरदूदे हरम : जिन अच्छे लोगों को पाक जगह से ज़ुल्म करके निकाल दिया गया था

मसनद : कुर्सी, जिस पर बैठ कर हुकूमत की जाये

नाज़िर : देखने वाला

मंज़र : जिसे देखा जाये

अनल हक़ : मैं ही सच हूँ

खल्क : जिस को खुदा ने पैदा किया है

One Comment on “Ham Dekhenge Nazm Faiz Ahmad Faiz | लाज़िम है कि हम भी देखेंगे”

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