Healthy Life Ke Islamic Tips
हेल्थी ज़िन्दगी गुजरने के इस्लामी टिप्स
इस्लाम हर दौर और हर जगह का मज़हब है और इस्लामी कानूनों पर अमल करके दुनिया भर में मुसलमान न सिर्फ़ रोहानियत हासिल करते हैं बल्कि सेहत की दौलत के साथ दूसरी सभी अजमतों की बलंदी से मालामाल होते हैं। Science कहती है कि Islamic Teachings में हमारे लिए बहुत सारे Health Benefits हैं
इस्लामी तालीमात से मिलने वाले सेहत के बहुत सारे फ़ायदे हैं उन में से कुछ हम यहाँ बयान करते हैं
पांच नमाज़ों का वक़्त पर अदा करना
वक़्त पर रेगुलर पाँचों नमाज़ें अदा करें। नमाज़ का हक़ीक़ी मक़सद अल्लाह की इबादत करना और रोहानियत हासिल करना है, लेकिन इसके जिस्मानी फ़ायदे भी हैं। जो लोग दिन में पांच बार नमाज़ अदा करते हैं वे स्वस्थ रहते हैं क्योंकि इस से हलकी वर्जिश होती रहती है और ब्लड सर्कुलेशन जारी रहता है, अगर नमाज़ तमाम क़ायदे कानून के साथ अदा की जाती है तो |
वजू करना
जिस्म के सभी ज़ाहिरी पार्ट ( हाथ, पैर, चेहरे, मुंह, नाक) वगैरह को दिन में 5 बार वजू में धोना, अच्छी सेहत के लिए एक बेहतरीन procedure है।
कुरआन पढ़ना
रोज़ाना कुरआन की तिलावत से जिस्म, दिमाग और दिल को शिफ़ा बख्शता है।
अल्लाह (SWT) पाक है और पाकी को पसंद करता है। वह साफ-सुथरा है और सफाई पसंद करता है। इस्लाम धर्म में सफाई ईमान का आधा हिस्सा है। इसलिए, हमें न सिर्फ़ जिस्मानी रूप से बल्कि रोहानी तौर से भी स्वच्छ रहना चाहिए।
मुर्दा जानवर का गोश्त न खाना
अल्लाह तआला अपनी मख्लूक़ से इतना प्यार करता है कि वह इस बात की भी रहनुमाई करता है कि हम क्या खाएं और क्या नहीं । इसीलिए अल्लाह ने हमारे लिए किसी मुर्दे का गोश्त , खून और सूअर का मांस खाने से मना किया है क्यूंकि इस से सेहत पर बड़े कातिलाना असरात पड़ते हैं ।
शराब न पीना
शराब इस्लाम धर्म में हराम है। शराब पर पाबन्दी एक जाएज़ वजह से है क्यूंकि कई बीमारियां इस से जुड़ी हुई हैं जैसे कि अपच संबंधी परेशानी, पेप्टिक अल्सरेशन, कैंसर पेट, सिरोसिस लिवर, विटामिन की कमी और कोरोनरी हृदय रोग, ये सबसे मशहूर ड्रिंक है जो इस्लाम में हराम है |
सुवर ( पोर्क ) का गोश्त न खाना
दुनिया भर में सबसे ज़्यादा खपत सुवर के गोश्त की है, लेकिन फिर भी इस्लाम उस गोश्त को हमें खाने से रोकता है क्यूंकि उस का मांस जिस्म में कई तरह के वायरस और बैक्टीरिया पैदा करता है जो उल्टी, बुखार, दस्त, पेट में ऐंठन और पानी की कमी की वजह बनता है, जो आगे चल कर जानलेवा साबित हो सकते हैं।
खाना कम या ज्यादा न खाना
इस्लाम हमें अपने खाने में दरमियानी चाल चलने को बताता है यानि न बहुत ज़्यादा और न बहुत कम । जब हमारे रोज़ाना के खाने की बात आती है, तो यह वैज्ञानिक रूप से साबित हो चुका है कि बहुत ज़्यादा खाने से वजन बढ़ने, मोटापे और सेहत से रिलेटेड दूसरी समस्या हो सकती है । इसी तरह, बहुत कम खाने से हमारे जिस्म को वो गिज़ा नहीं मिल पाती जो एक इंसान को जीने के लिए ज़रूरी होती है, यही वजह है कि इस्लाम ने खाने में मॉडरेशन पर जोर दिया।
खून का इस्तेमाल न करना
इस्लाम हमें किसी भी मामले में खून के इस्तेमाल से रोकता है। क्यूंकि खून में Iron बड़ी मिक़दार में पाया जाता है; और इंसान के हाजमे का निज़ाम इस क़ाबिल नहीं कि वो बड़ी मात्रा में खून को सम्भाल सके । Iron (लोहे) की ज्यादा मिक़दार से जिगर का नुक़सान, फेफड़ों में पानी की कमी, low blood pressure, और nervous disorders हो सकता है।
कलोंजी ( kalonji ) काले बीज का इस्तेमाल करना
इस्लामी शिक्षाएँ इस बात पर ज़ोर देती हैं कि काले बीज ( kalonji ) हमारे रोज़ाना की ख़ुराक का एक हिस्सा होना चाहिए। काले बीज (कलोंजी) मोटापा कम कर सकते हैं, हाजमें में मदद करते हैं, हाजमे से रिलेटेड कई बीमारियों का इलाज और ब्लडप्रेशर को कम करते हैं । जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करने में कलौंजी का तेल बहुत कारगर साबित हुआ है।
शहद ( Honey ) का इस्तेमाल करना
कुरान पाक में, अल्लाह तआला ने शहद को इंसान के लिए तन्दुरुस्ती बनाया है । शहद हमारे जिस्म और सेहत के लिए अविश्वसनीय एंटीसेप्टिक, एंटीऑक्सिडेंट और प्रतिरक्षा बढ़ाने वाले गुण प्रदान करता है।
खाना जल्दबाजी में न खाना
इस्लामिक शिक्षाएँ अपने अपने मानने वालों को खाने और पीने को जल्दबाजी में खाने और खाने को निगलने से रोकती हैं। मुसलमानों को धीरे-धीरे और चबा कर खाने के लिए उभारा जाता है ।
मुख़्तसर ये , हमारा सेहतमंद जिस्म अल्लाह तआला की जानिब से एक गिफ्ट है। हमें इसका दुरुपयोग नहीं करना चाहिए और ज़िन्दगी को भरपूर जीने के लिए अपनी हेल्थ का भरपूर ख़याल करना चाहिए जो कि इस्लाम की तालीमात में छुपा हुआ है ।
अल्लाह हम सबको जिस्मानी और रोहानी तरक्क़ी दे! अमीन