Ikhlas Ki 4 Nishaniyan
4 निशानियां कि नेक अमल अल्लाह के लिए या दिखावे के लिए
इख्लास ऐसा लफ्ज़ है जो ये तय करता है कि हमारा अमल अल्लाह के यहाँ कुबूल होगा कि नहीं क्यूंकि करने को तो अच्छे काम बहुत लोग करते हैं लेकिन वो खालिस अल्लाह के लिए करते हों ये ज़रूरी नहीं
यहाँ पर मैं एक मिसाल आपको देता हूँ कि जब आप दूध या कोई और चीज़ लेने जाते हैं तो चाहते हैं कि खालिस और pure मिले कोई मिलावट न हो उसी तरह अल्लाह त आला हमसे ऐसे अमल चाहते हैं जिसमें दिखावे जैसी कोई मिलावट न हो, आप नमाज़ पढ़ें या किसी कि मदद करें उसमें दिखावा नहीं होना होना चाहिए वो खालिस अल्लाह के लिए हो
और जो सिर्फ अल्लाह के लिए करता है यानि इख्लास के साथ अमल करता है तो उसे मुखलिस कहा जाता है यहाँ पर चार निशानियाँ हम बताएँगे जिस से आप को पता चलेगा कि आप मुखलिस हैं कि नहीं यानि आप अल्लाह के लिए अमल और इबादत करते हैं या सिर्फ दिखावा है
1. कोई तारीफ करे या बुराई गुस्सा न होना
कोई आप की किसी कमी की तरफ इशारा करके कहे कि आप ग़लत कर रहे हो तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए तो गुस्सा नहीं होना चाहिए क्यूंकि ज़रूरी नहीं है कि वो आपका बुरा चाह रहा हो, हो सकता है वो आपकी भलाई चाहता हो और शैतान आप को इस बात के लिए बहका रहा हो कि ये तुम्हारी बुराई कर रहा है और तुम्हारा बुरा चाह रहा है
अल्लाह के नबी स.अ. के सहाबा ( साथियों ) में से जब किसी की तारीफ की जाती तो बजाये इस के कि वो अपने आप को बड़ा क़ाबिल समझने लगते बल्कि वो ये तीन बातें कहते
- ए अल्लाह ! मैंने इनसे अपनी तारीफ करने के लिए नहीं कहा इस लिए मेरी पकड़ न करना
- मेरे बारे में इनका अच्छा गुमान है ए अल्लाह इनके गुमान से भी बेहतर मुझे बना
- ए अल्लाह ! कुछ बाते ये नहीं जानते लेकिन तु जानता है तो जिनके बारे मे तू जानता है उन गुनाहों को माफ़ फरमा
और अगर कोई बुराई करता तो…
हज़रत अबू बकर सिद्दीक र.अ. जिन्हें जन्नत की खुशखबरी मिल चुकी थी और नबी के बाद सब से बड़ा मक़ाम हज़रत अबू बकर सिद्दीक र.अ. का ही है लेकिन उनसे किसी आदमी ने कहा : बहुत बुरे आदमी हो तो इस बात पर उन्होंने बुरा मानने के बजाये कहा : तुम ने सही बात कही
2. नेकी करके भूल जाना
यानि अल्लाह तआला ने आपको किसी नेकी की तौफ़ीक़ दी, और आप ने एक नेक काम किया फिर अपने दोस्तों और जानने वालों में उसका ढिंढोरा पीट रहे हैं, तो ये बात साबित हो गयी कि ये नेकी दुनिया को दिखाने के लिए की न कि अल्लाह के लिए, इसलिए इस बात को अच्छी तरह समझ लेना चाहिए कि “नेकी कर दरिया में डाल” उसके तज्करे लोगों में न कर |
3. अमल का अजर ( सवाब ) अल्लाह से लेने की ख्वाहिश करना
ये बात अपने ज़हनो दिमाग में अच्छी तरह बसा लेनी चाहिए कि मैंने जो नेक काम किया है इसका सवाब अल्लाह ने लिख लिया है वो इसका अजर देगा, बेशक वो किसी नेक काम को जाया नहीं करता और नेक बन्दे को बे यारो मददगार नहीं छोड़ता, ये बात आप के दिल में बैठ गयी तो….
1. आप अपनी नेकियों को लोगों से उसी तरह छुपायेंगे जिस तरह अपने गुनाहों को छिपाते हैं
2. फिर नेक कामों में एक सुरूर ( ख़ुशी ) मिलने लगेगा
3. गुनाहों से बचने में मदद मिलेगी
4. ज़्यादा से ज़्यादा नेक काम करने को दिल चाहेगा
और जो अमल करके दुनिया के सामने ऐलान करता फिरता है तो उसका अमल बस दुनिया में ही रह जायेगा और आख़िरत में उसके सवाब से महरूम रह जायेगा ( अल्लाह हमें अपनी हिफ़ाज़त में रखे )
4. बुराई करो या अच्छाई काम में बराबर लगा रहना
हज़रत अली र.अ. फरमाते हैं कि मुखलिस ( जिस के अन्दर इख्लास हो ) वो होता है जिसकी तारीफ की जाये या बुराई वो अपने काम में लगा रहता है उसकी रफ़्तार धीमी नहीं पड़ती
और रियाकार ( दिखावा करने वाला ) वो होता है कि जब तक उसकी तारीफ की जाये तब तक काम करेगा और जैसे ही उसके मिज़ाज के खिलाफ कोई बात हुई वो काम छोड़ देता है इसलिए कि उसका मक़सद ख़त्म हो गया और जो अल्लाह के लिए करता है उसका मक़सद ख़त्म ही नहीं होता
( अल्लाह हम सबको ख़ालिस अपने लिये नेक अमल करने कि तौफ़ीक़ अता फरमाए )