Islamic Stories Hindi
मेरा बेटा हार नहीं सकता क्यूंकि…
एक शहज़ादा जंग में गया तो उसकी खबर ये मिली कि “वो हार गया है” तो सब ने मान लिया कि वो हार गया लेकिन उस शाहज़ादे की माँ ने कहा कि “वो हार नहीं सकता और ये खबर ग़लत है”
बादशाह ने कहा “ मेरे पास एक यकीनी खबर आई है कि वो हार गया है और तुम कह रही हो कि ये खबर ग़लत है ”
लेकिन शाहज़ादे की माँ अपनी बात पर अड़ी रही लेकिन कुछ देर गुजरी तो फिर से खबर आई कि शहज़ादा जंग जीत कर वापस आ रहा है
बादशाह जल्दी से उसकी माँ के पास आया और पूछने लगा कि “जब शाहज़ादे के हारने की खबर आई थी तो तुम अपने घर में एकदम पुरसुकून होकर बैठी थी और कह रही थी कि ये खबर ग़लत है, इसकी क्या वजह है”
पाक रहना और हलाल गिज़ा की अहमियत
शाहज़ादे की माँ ने कहा : “वो बात बताने की तो नहीं, लेकिन आप पूछ रहे हैं तो बता देती हूँ, बात ये हैं कि जिस वक़्त शहज़ादा मेरे पेट में था उसी वक़्त मैंने तय कर लिया था कि हराम तो हराम है, मैं कोई शक शुबहे वाला लुक्मा भी मुंह में न डालूंगी ताकि कहीं ऐसा न हो कि उस हराम लुकमे की वजह से ये शहज़ादा बुजदिल पैदा हो |
इसलिए कि मुझे पता था कि “हराम गिज़ा से इंसान का दिल कमज़ोर और बुजदिल हो जाता है और हलाल गिज़ा से दिल दिलेर और ताक़तवर हो जाता है” और आखिर तक मैं इसी की पाबन्द रही
माँ का बावुजू और सूरह यासीन पढ़ते हुए दूध पिलाना
फिर जब ये पैदा हो गया तो मैंने दो बातों की पाबंदी की एक ये कि मैंने उसको नापाकी की हालत में कभी दूध नहीं पिलाया जब भी दूध पिलाया बावुजू होकर पिलाया और दुसरे जब भी दूध पिलाया सूरह यासीन पढ़ते हुए पिलाया |
और उसके दूध पीने के ज़माने में भी मैं हराम और शक शुबहे वाली चीज़ों से बचती रही कि कहीं ऐसा न हो कि हराम लुक्मा मेरे पेट में जाये और उस लुकमे से जो दूध बने वो मेरे बच्चे के पेट में जाये जिस से उसकी अंदरूनी ताक़ते खराब हो जाएँ और उसका दिल कमज़ोर हो जाये |
चूंकि मैंने इन बातो का एहतेमाम किया था इसलिए मुझे यक़ीन था कि शहज़ादा बुजदिल नहीं हो सकता, और लड़ाई में अपनी बहादुरी दिखा कर ये जीत कर ही आयेगा इसीलिए मैंने उसके हारने की खबर को ग़लत कह दिया था |
सलाम हो ऐसी माँ पर और उसकी तरबियत पर