jamat Se Namaz Ke Masail | Imamat Kaise Kare | जमात से नमाज़ के मसाइल

jamat Se Namaz Ke Masail

jamat Se Namaz Ke Masail | Imamat Kaise Kare

जमात से नमाज़ के मसाइल

ये बात हर मुसलमान अच्छी तरह जानता और समझता है कि सेहतमन्द हो या मरीज़, मुसाफिर हो या मुक़ीम, बूढ़ा हो या जवान, ग़रीब हो या अमीर, मर्द हो या औरत, हर शख्स पर हर हालत में इस्लाम ने नमाज़ फ़र्ज़ कर दी है और ये हुक्म दिया है कि सारे मुसलमान पूरे दिन में अल्लाह की इबादत के लिए 5 वक़्त नमाज़ क़ायम करें

जमात के साथ नमाज़ 27 गुना ज़्यादा अफज़ल है

हर नमाज़ अपने अपने वक़्त पर अदा करना फ़र्ज़ है लेकिन उन नमाज़ों में जो रकातें फ़र्ज़ हैं उनको जमात के साथ अदा करने का हुक्म फ़रमाया है, और उसकी फ़ज़ीलत और अहमियत नबी करीम (सल्लल लाहु अलैहि वसल्लम) ने कुछ इस तरह बयान फ़रमाई है कि “नमाज़ जमात के साथ अदा करना अकेले नमाज़ अदा करने से 27 गुना ज़्यादा अफज़ल है”

लेकिन जमात में शामिल न होने वालों पर आप ने कुछ इस तरह नाराज़गी जताई है कि “मेरा दिल चाहता है कि मैं उन लोगों के घरों को आग लगा दूं जो घरों में ही नमाज़ पढ़ लेते हैं और जमात के लिए मस्जिदों में नहीं आते हैं”

इस से जमात से नमाज़ की अहमियत का पता चलता है कि नबी जो इंसानों के लिए रहमत बना कर भेजे गए उन्हें इस अमल के छोड़ने पर घर जलाने जैसे अलफ़ाज़ इस्तेमाल करने पड़े तो अगर कोई रुकावट न हो तो जैसे सख्त बारिश, बीमारी, लॉकडाउन तो फ़र्ज़ नमाज़ हर हाल में जमात के साथ मस्जिद में ही आकर अदा करें जैसा कि नबी करीम स.अ. का तरीक़ा है

jamat Se Namaz Ke Masail | जमात से नमाज़ के मसाइल

लेकिन जमात के साथ नमाज़ की बात हो तो यहाँ पर कई मसअले खड़े हो जाते हैं, कि अगर ज़्यादा लोग न हों सिर्फ़ दो ही लोग हों तो जमात कैसे बनायें ?, और जमात हो रही हो और तीसरा आदमी आ जाये तो क्या करें ? आदमियों के अलावा औरत भी हो तो जमात की तरतीब कैसे बनायें ? तो इन तमाम सवालों के जवाब आपको यहाँ मिल जायेंगे

जब तीन या उस ज़्यादा लोग हों तो जमात कैसे बनायें ?

जब इमाम को मिलाकर सिर्फ़ तीन लोग हों या उस से ज़्यादा हों, तब इमाम उसी तरह आगे खड़ा होकर नमाज़ पढ़ायेगा जैसे आम तौर पर जब ज़्यादा लोग होते हैं तो इमाम आगे खड़ा होकर नमाज़ पढ़ाता है

jamat Se Namaz Ke Masail

जब दो ही लोग हों तो जमात कैसे बनायें ?

दो ही लोग हों तो एक इमाम बन जाये और और दूसरा मुक्तदी बन जाये

मुक्तदी इमाम की दायीं तरफ़ थोडा सा पीछे हट कर इस तरह खड़ा हो कि मुक्तदी की उँगलियाँ और इमाम की एड़ियाँ बराबर आ जाएँ और देखने से पता चले कि जमात के साथ नमाज़ हो रही है

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लेकिन अगर नमाज़ के दौरान तीसरा आ जाये तो…

दो लोग इमाम और मुक्तदी बन कर नमाज़ पढ़ रहे थे कि तीसरा शख्स आ गया और वो भी जमात में शामिल होना चाहता है, तो इमाम अब नमाज़ की ही हालत में थोड़ा सा आगे बढ़ जायेगा और ये दोनों पीछे, और इमाम वैसे ही आगे हो जायेगा जैसे आम नमाज़ों में आगे खड़ा होता है

क्या इमाम के दायें जानिब खड़े होना ज़रूरी है ?

हाँ, मुक्तदी का इमाम के दायें जानिब खड़ा होना ज़रूरी है और बाएं जानिब खड़ा होना मकरूह और गुनाह है

“हज़रत हुज़ैफ़ा र.अ. से रिवायत है कि वो जब नबी करीम स.अ. के बाएं जानिब खड़े हुए तो नबी करीम स.अ. ने उन्हें अपने दायें जानिब खड़ा किया”

इमाम के साथ औरत हो तो …

अगर इमाम के साथ कोई औरत हो तो उसको अपने पीछे खड़ा करे दायें जानिब नहीं, क्यूंकि इस से नमाज़ फासिद हो (टूट) जायेगी

इमाम के साथ एक औरत और एक मर्द हो ….

जब इमाम के साथ मर्द और औरत दोनों हों, तो ऐसे में मर्द को अपने दायें जानिब खड़ा करेगा और औरत को अपने पीछे खड़ा करेगा

अगर बहुत सारे मर्द, औरतें और बच्चे हों तो…

लेकिन अगर मर्दों औरतें, बच्चे जमात के लिए आ जाएँ, तो वो लोग सफ़ इस तरह बनायेंगे कि पहले मर्दों की सफ़ बनायीं जाएगी, उसके बाद बच्चों की, फ़िर इनके बाद औरतों की सफ़ बनेगी

अल्लाह हमें दीन की सही समझ अता फरमाए 

अमीन

2 Comments on “jamat Se Namaz Ke Masail | Imamat Kaise Kare | जमात से नमाज़ के मसाइल”

  1. मुझे उम्मिद है के आप सजदे साहू का भी मसाला तहरीर फरमाएंगे

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