Jinnat Ya Jin Kaun Hai ? |
3 बातें जिनसे जिन आपके अन्दर दाखिल होता है
जिन या जिन्नात, एक ऐसा नाम है जिसके बारे में आप ने ज़रूर सुना होगा लेकिन ज़रूरी नहीं कि उनपर आपका यक़ीन हो क्यूंकि उनके बारे में हर किसी की राय अलग है, और हर किसी का यक़ीन भी इस मामले में अलग अलग है। कुछ लोग कहते हैं कि वो इस दुनिया में होते हैं और कुछ लोग कहते हैं कि नहीं होते हैं, और इस बात पर भी लोगों में इख्तिलाफ़ है कि वो किसी इंसानी जिस्म में घुस सकते है या नहीं लेकिन सही बात कुछ ही लोगों को मालूम है कि Jinnat Ya Jin Kaun Hai ?|
खैर, लोगों की इस मामले में तो राय अलग अलग है लेकिन जहाँ तक इस्लाम का ताल्लुक़ है, तो वो जिन्न या जिन्नात के वुजूद और असर को मानता है, और इसकी दलील कुरआन में आपको कई जगह मिल जाएगी जहाँ पर इंसानों के साथ जिन्नात का भी ज़िक्र किया गया है । और हदीस में भी इसका ज़िक्र मिलता है जहाँ पर अल्लाह के रसूल हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा (सल्लल लाहु अलैहि वसल्लम) एक जिन की वादी पर गुज़रे तो उनको इस्लाम की दावत भी दी |
इससे पता चला कि जिन्नातों की भी एक दुनिया है और उनमें इंसानों की तरह अच्छे भी होते हैं और बुरे भी होते हैं, और बुरों से नुकसान पहुँचने का खदशा इन्सान को हमेशा रहता है, लेकिन डरने की कोई बात नहीं, ये हर वक़्त और हर किसी के ऊपर अपना असर नहीं छोड़ सकते और न ही किसी को परेशान कर सकते हैं
लेकिन कुछ बातें होती हैं जिनकी वजह से एक जिन किसी इन्सान के जिस्म में घुस कर उसको परेशान कर सकता है, इस बारे में शेखुल इस्लाम इब्न तैमियह (र.अ.) ने इशारा दिया है कि जिन्न आपके अन्दर तीन तरीकों से दाख़िल हो सकता है
1. जिन्न को आपसे प्यार है
जिन्नातों में से कोई आपको किसी वजह पसन्द करने लगा तो ऐसा हो सकता है देखा जाता है कि आम तौर से हमारे घरों में औरतें जब कपडे वगैरा बदल रही होती हैं तो बिस्मिल्लाह नहीं पढ़ती, जबकि हो सकता कोई जिन्नात उनको देख रहा हो और जब वो किसी जिस्म को बगैर कपड़ों के देखता है तो ऐसा हो सकता है कि उसको ये जिस्म भा जाये और वो उसके जिस्म में दाखिल होकर ग़लत हरकत करने लगे
यही वजह है कि इस्लाम ने जिस तरह हर काम के शुरू करने से पहले बिस्मिल्लाह पढने को कहा है और अल्लाह का नाम लेना बताया है ठीक उसी तरह अपने कपड़े उतारने से पहले बिस्मिल्लाह पढ़ने का हुक्म दिया है क्यूंकि जिस काम से पहले बिस्मिल्लाह पढ़ लिया जाये उसमें बरकत होती है अल्लाह की मदद शामिल होती है और इन्सान नुक़सान से बच जाता है और दुश्मन की हसद, जलन, और ज़ुल्म ज्यादती और आने वाली बला और मुसीबत से उसकी हिफ़ाज़त की जाती है
2. जिन्न आपको पसंद नहीं करता
जिन्न बहुत हद तक इंसानों जैसे ही होते हैं अगर किसी वजह से आपको पसन्द कर सकते हैं तो मुमकिन है कि आपको ना पसन्द करने लगे और अगर कोई किसी वजह से उनको ना पसन्द हो गया तो बदले की फ़िराक में वो नुक़सान पहुँचाने और परेशान करने में हद कर देते हैं और उनसे किसी भी किस्म की ज्यादती की उम्मीद की जा सकती है
3. अनजाने में आपने जिन को नुकसान पहुँचाया
चूँकि हम लोग जिनों को अपनी आँखों से नहीं देख पाते हैं, नतीजा क्या होता है कि अनजाने में हमारे किसी अमल से किसी जिन्नात को चोट लग गयी या कोई नुक़सान पहुँच गया तो इसकी वजह से जिन पीछे पड़ जाता है और नुक़सान पहुंचाता रहता है इसलिए फिर मैं वही बात कहूँगा कि किसी भी काम को करने से पहले बिस्मिल्लाह को ज़रूर पढ़ लें ताकि इस तरह के नुक़सान से बच सकें ।
जिन्नात से कैसे बचें ?
कुरआन सुन्नत की पाबन्दी करना
नमाज़ के पाबन्द रहना
हुज़ूरे अकरम (सल्लल लाहु अलैहि वसल्लम) से मन्कूल दुआओं को पढ़ते रहना
अल्लाह से हमेशा शैतान की पनाह मांगना ख़ास कर
बैतुल खला जाते वक़्त,
اَللّٰہُمَّ اِنِّیْ اَعُوْذُبِکَ مِنَ الْخُبُثِ وَالْخَبَآئِثِ۔
गुस्से के वक़्त,
أَعُوْذُ بِاللَّهِ مِنَ الشَّيْطَانِ الرَّجِيمِ
जिमा ( बीवी से हमबिस्तरी के वक़्त ) के वक़्त,
بِسْمِ اللَّهِّ اللَّهُمَّ جَنِّبْنَا الشَّيْطَانَ وَجَنِّبِ الشَّيْطَانَ مَا رَزَقْتَنَا
अल्लाह के ज़िक्र में मशगूल रहना
गुनाहों से बचते रहना
अल्लाह हमें हर तरह की बलाओं से महफ़ूज़ रखे