Lailatul Qadr Ya Shabe Qadr Kya Hai ?
लैलतुल क़द्र या शबे क़द्र क्या है ?
लैलतुल क़द्र क्या है ?
शबे क़द्र या लैलतुल क़द्र एक रात है जो हज़ार महीनों से अफज़ल है
Shabe qadr Ki Fazilat | शबे क़द्र या लैलतुल क़द्र की फ़ज़ीलत
कुरान पाक की सूरह क़द्र में अल्लाह तआला फरमाते हैं कि “लैलतुल क़द्र हज़ार महीनों से बेहतर है“
इसका मतलब है कि हज़ार महीने तक जो आप नफ्ली इबादत करेंगे उस से ज्यादा सवाब इस सिर्फ़ इस एक रात में होता है इससे आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि कितनी अहम् रात है |
Lailatul Qadr Kab Hoti Hai | लैलतुल क़द्र कब होती है ?
शबे क़द्र रमज़ान की पांच रातें में से कोई एक हो सकती है 21वीं, 23वीं, 25वीं, 27वीं और 29वीं
यानि 20 वें रोज़े को जो रात होती है वही 21 वीं रात है और 22 वें रोज़े की जो रात होती है वो 23 वीं रात है इसी तरह आप आगे भी समझ लें |
Shabe qadr Ki Ibaadat |कौन सी इबादत इस रात में करें ?
आप नफ्ल नमाज़ जैसे सलातुत तस्बीह इस रात में पढ़ लें, कुरान की तिलावत कर लें, तस्बीह पढ़ लें या क़ज़ा नमाज़ अदा कर लें क्यूंकि इस रात के लिए कोई ख़ास नमाज़ नहीं है |
शबे क़द्र की ख़ास दुआ
Dua In Hindi : अल्लाहुम्मा इन्नका अफुव्वुन तुहिब्बुल अफ्वा फ़अ’फु अन्नी
Translation : ए अल्लाह ! बेशक तू माफ़ करने वाला है, माफ़ करने को पसंद करता है तो मुझे भी माफ़ फरमा दे
Shabe Qadr Ko Kaise Pahchane | लैलतुल क़द्र की 6 निशानियाँ
वैसे तो लैलतुल क़द्र छिपा दी गयी है उसको हम पहचान नहीं सकते, लेकिन इसकी कुछ निशानियाँ बता दी गयी हैं
1. उस रात कुछ अनोखी सी रौशनी होती है
शहर में आम तौर से इसका अंदाज़ा कर पाना मुश्किल है क्यूंकि वहां पर लाईट ही इतनी होती है, हाँ देहात जैसे इलाक़ों में इसका अंदाज़ा किया जा सकता है |
2. इस रात इंसान को एक दिली सुकून मिलता है
इस रात इबादत में इंसान को जो दिली सुकून मिलता है वो आम तौर से दूसरी रातों में नहीं मिलता है
3. गर्मी और सर्दी न होकर एक दरमियानी मौसम रहता है
उस रात हर चीज़ एक दरमियानी राह पर होगी न ज़्यादा गर्मी और न ज़्यादा सर्दी, और हवा की रफ़्तार भी दरमियानी होगी
4. नेक लोगों को पहले ही ख्वाब में दिख जाती है
अल्लाह त आला कुछ नेक लोगों को ख्वाब में इसके होने की खबर दे देते हैं जैसे कुछ सहाबा को दिखाया था और अल्लाह के रसूल स.अ. को भी पहले ही बता दिया गया था कि ये लैलतुल क़द्र की रात है |
5. इस रात इबादत की लज्जत बढ़ जाती है
जब लैलतुल क़द्र होती है तो उस दिन इबादत का जो मज़ा और लज्ज़त होती है वो पूरे रमज़ान में भी नहीं मिलती |
6. सूरज बगैर किरनों के निकलता है
अगले दिन जब सूरज निकलता है तो उसमें किरनें नहीं होतीं बस सफेदी नज़र आती है, और जब सूरज ज़रा और ऊंचा होता है तभी उसमें किरनें होती हैं |
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