Namaz Ki Sunnaten Kitni Hai ?
नमाज़ में सुन्नतें कितनी हैं ?
इस्लाम ने मुसलमानों को जितने कामों का हुक्म दिया है वो हुक्म चाहे रोज़े का हो, नमाज़ का हो, या हज हो या इसके अलावा कोई और दूसरा हुक्म हो, सब में कुछ बातें फ़र्ज़ होती हैं कुछ बातें वाजिब होती हैं और कुछ सुन्नत होती हैं, इस से पहले हम ने नमाज़ के फ़र्ज़, नमाज़ के वाजिबात, पर बात कर ली अब इंशाअल्लाह नमाज़ की सुन्नतें ( Namaz Ki Sunnaten ) बयान करेंगे |
कोई सुन्नत अमल छूटने से नमाज़ होती है या नहीं ?
और आप तो जानते ही होंगे कि नमाज़ इस में कुछ बातें फ़र्ज़ हैं कुछ वाजिब और कुछ सुन्नत हैं अगर कोई फ़र्ज़ छूटता है तो नमाज़ फ़िर से पढ़नी पड़ती है, अगर कोई वाजिब छूटता है तो सज्दये सह्व करना पड़ता है लेकिन अगर कोई सुन्नत छूटती है तो नमाज़ हो जाती है बस सुन्नत के ख़िलाफ़ काम करने से या सुन्नत अमल छूट जाने से सवाब कम हो जाता है
इसी तरह नमाज़ में फ़र्ज़ और वाजिब के अलावा जो सुन्नतें हैं उनको हम यहाँ पर बयान करेंगे ताकि हर नमाज़ पढ़ने वाला इन बातों को अच्छी तरह जान ले और इस में जो चीज़ें सुन्नत हैं उनको भी उसी तरह अदा करे जैसे फ़र्ज़ और वाजिब अदा करता है
Namaz Ki Sunnaten | नमाज़ की सुन्नतें
1. अज़ान और इक़ामत
पाँचों नमाज़ के वक़्त अज़ान कहना और इक़ामत कहना सुन्नत है, यानि नमाज़ से पहले अज़ान और फ़िर नमाज़ के लिए खड़े होने पर जो तकबीर कही जाती है ( जिसको इक़ामत कहा जाता है ) वो सुन्नत है
2. तक्बीरे तहरीमा के वक़्त दोनों हाथ उठाना
नमाज़ के शुरू में मर्द के लिए दोनों हाथ कानों तक उठाना और औरत के लिए कन्धों तक हाथ उठाना सुन्नत है
3. हाथ उठाते वक़्त उँगलियाँ अपने हाल पर रखना
तकबीर के लिए हाथ उठाते वक़्त उँगलियाँ न तो सख्ती से मिलाना चाहिए और न ही पूरी तरह फैलानी चाहिए बल्कि उन्हें अपनी हालत पर छोड़ देनी चाहिए यही सुन्नत है
4. इमाम का तकबीर बलन्द आवाज़ से कहना
इमाम तक्बीरें तेज़ आवाज़ से कहेगा जोकि सुन्नत है
5. सना पढ़ना
सना “सुब हानकल लाहुम्मा व बिहमदिका व तबा रकस्मुका व तआला जददुका वला इलाहा गैरुक” पढ़ना सुन्नत है
6. अऊज़ुबिल्लाह पढ़ना
सना पढ़ने के बाद “अऊज़ुबिल्लाहि मिनश शैतानिर रजीम” पढ़ना सुन्नत है
7. बिस्मिल्लाह पढ़ना
अऊज़ुबिल्लाह के बाद “बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम” पढ़ना सुन्नत है
8. आमीन कहना
सूरह फातिहा ( अलहम्दु शरीफ़ ) पढ़ने के बाद आमीन कहना सुनना है
9. सना, अऊज़ुबिल्लाह, बिस्मिल्लाह, आमीन को आहिस्ता (धीरे) से पढ़ना
ऊपर बताई गए तीनों अज्कार (सना, अऊज़ुबिल्लाह, बिस्मिल्लाह, आमीन ) को धीरे से पढ़ना सुन्नत है
10. हाथ बांधते वक़्त दायाँ हाथ ऊपर और बायाँ हाथ नीचे रखना
कयाम में जब हाथ बांधें तो दायाँ हाथ ऊपर रहना चाहिए और बायाँ नीचे यही सुन्नत तरीक़ा है
11. मर्द और औरत के हाथ बाँधने की जगह
मर्द के लिए हाथ बाँधने की सुन्नत जगह नाफ के नाचे है, और औरत के लिए हाथ बाँधने की सुन्नत जगह सीने पर है यानि मर्द नाफ के नीचे और औरत सीने पर हाथ बांधेगी
12. तक्बीरें कहना
नमाज़ में जो तक्बीरें कही जाती हैं वो सुन्नत हैं वो चाहे रुकू में जाने के लिए हो या सज्दे में जाने और उठने के लिए हो
13. रुकू में तस्बीह पढ़ना
रुकू में कम से कम तीन बार तस्बीह “ सुब्हाना रब्बियल अज़ीम” पढ़ना सुन्नत है
14. सज्दे में तस्बीह पढ़ना
कम से कम तीन बार सज्दे में तस्बीह “ सुब्हाना रब्बियल आला” पढ़ना सुन्नत है
15. रुकू में दोनों हाथों से घुटनों को पकड़ना
रुकू में दोनों हाथों को सिर्फ़ घुटनों पर रखना नहीं है बल्कि घुटनों को पकड़ना सुन्नत है (हाँ ! औरतें सिर्फ़ हाथ रखेंगी उन्हें घुटनों को पकड़ना नहीं है )
16. क़अदह में बैठने का सुन्नत तरीक़ा
मर्द के लिए बैठने का सुन्नत तरीक़ा ये है कि बाएं पैर को बिछा कर उस पर बैठ जाएँ और दायाँ क़दम इस तरह उठा कर रखे कि पैर की उँगलियाँ किब्ले की तरफ़ हों, और औरत के लिए सुन्नत तरीक़ा ये है कि वो दोनों पैरों को बाएं जानिब निकाल कर सिमट कर बैठेगी
17. आख़िरी क़अदह में तशहहुद के बाद दुरूद शरीफ़ पढ़ना
आख़िरी रकात पर बैठना आख़िरी क़अदह कहलाता है और उस में अत्तहिय्यात के बाद दुरूद शरीफ़ पढ़ना सुन्नत है
दुरूद शरीफ़
अल अहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदिव व अला आलि मुहम्मद
कमा सल लैता अला इब्राहीम व अला आलि इब्राहीम इन्नका हमीदुम मजीद
अल लाहुम्मा बारिक अला मुहम्मदिव व अला आलि मुहम्मद
कमा बारकता अला इब्राहीम व अला आलि इब्राहीम इन्नका हमीदुम मजीद
18. आख़िरी क़अदह में दुरूद शरीफ़ के बाद दुआए मसूरा पढ़ना
अल लाहुम्मा इन्नी ज़लम्तु नफ्सी ज़ुलमन कसीरा
वला यग फिरूज़ ज़ुनूबा इल्ला अन्ता फग फिरली
मग फिरातम मिन इन्दिका वर हमनी इन्नका अंतल गफूरुर रहीम
19. शहादत के वक़्त ऊँगली उठाना
अत तहियात पढ़ते वक़्त “अश हदु अल ला इलाहा इल्लल लाहु” पर ऊँगली उठाना सुन्नत है
ये तमाम बातें नमाज़ में सुन्नत हैं आप इनको अच्छी तरह समझ लें और इनको सही तरीक़े से अदा करने की कोशिश करें
अल्लाह आपका और हमारा हामी और मददगार हो
jumma ki namaz ki niyat kaise kare tafseel se bataye
I feel relax in this deenibaatein Allah hum sab ko hidayad dey or sahi raha dikhay ameen ……