Namaz Me Sana Kab Padhen | नमाज़ में सना कब पढ़ी जाती है ?

namaz men sana kab padhen

Namaz Me Sana Kab Padhen

नमाज़ में सना कब पढ़ी जाती है ?

सना | Sana

सुब हानकल लाहुम्मा व बिहमदिका, व तबा रकस्मुका, व तआला जददुका, वला इलाहा गैरुक

ए अल्लाह ! तेरी ज़ात पाक है और ख़ूबियों वाली है, और तेरा नाम मुबारक है, और तेरी शान ऊंची है, और तेरे सिवा कोई माबूद नहीं

ये अल्लाह की तारीफ के अलफ़ाज़ हैं जो नमाज़ के शुरू में ही कहे जाते हैं लेकिन ये कब पढ़ें और कब ना पढ़ें इसके बारे में काफ़ी लोग कंफ्यूज रहते हैं इसलिए यहाँ पर इस कंफ्यूजन का हल हम आपके लिए लेकर आये हैं इसे ध्यान से समझ लें |

सना क्यूँ पढ़ते हैं ?

क्यूंकि अल्लाह के दरबार में हम हाज़िर होते हैं, और एक अहम् इबादत नमाज़ के लिए अल्लाह के सामने खड़े होते हैं  तो इसलिए उसकी शुरुआत अल्लाह की तारीफ बड़ाई और हम्दो सना से करते हैं

सना पढ़ना वाजिब है या सुन्नत ?

सना सुन्नत है

ये किसके लिए पढ़ना ज़रूरी है ?

ये इमाम के लिए पढ़ना भी ज़रूरी है, और मुक्तदी (इमाम के पीछे पढने वाले) के लिए भी और जो अकेला नमाज़ पढ़ रहा हो उसके लिए भी ज़रूरी है

जब इमाम के साथ ही नियत बाँधी है 

नमाज़ खड़ी हुई, नमाज़ में शुरू से ही आप शरीक हो गए, और इमाम ने अल्लाहु अकबर कहकर सना पढ़नी शुरू की तो आप भी सना पढ़ना शुरू कर दें

Namaz Me Sana Kab Padhen

नमाज़ में लेट पहुंचे इमाम सना पढ़ चूका था तो ….

जब आप मस्जिद पहुंचे इमाम सना पढ़ कर अलहम्दु शरीफ़ भी पढ़ चूका था या पढ़ रहा था तो आपको ये दो बातें ध्यान में रखनी हैं

  1. अगर नमाज़ सिर्री है यानि जिसमें इमाम धीरे धीरे पढता है जैसे जुहर और असर की नमाज़ तो आप सना पढ़ सकते हैं
  2. अगर नमाज़ जहरी है यानि जिसमें इमाम ज़ोर से पढ़ता है जैसे फज्र, मगरिब, ईशा तो आपको सना नहीं पढ़ना है बल्कि चुपचाप इमाम की किरत यानि जो सूरतें पढ़ रहा है उसको सुनना है

अगर दूसरी या तीसरी रकात में आया और सना छूट गयी तो क्या करे ?

अगर आप दूसरी या तीसरी रकात में आये, और सना छूट गयी तो जब इमाम के सलाम फेरने के बाद आप अपनी छूटी हुई रकातें पूरी करेंगे तो उस वक़्त खड़े होते ही पहले सना पढ़ लें फिर अऊजुबिल्लाह और बिस्मिल्लाह के बाद अलहम्दु शरीफ़ और कोई सूरत पढ़ें |

अगर सना पढ़ना भूल गए तो क्या सजदा सह्व करें ?

अगर सना पढ़ना भूल गए तो सजदा सह्व नहीं करेंगे क्यूंकि सना सुन्नत है और सजदा सह्व वाजिब छूटने पर होता है

अल्लाह हमारी गलतियों को माफ़ फरमाए

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