Padosiyon Ke 20 Huqooq In Islam |
पड़ोसियों के एक दुसरे पर 20 हुक़ूक़
इमाम ग़ज़ाली (रहमतुल लाहि अलैह) ने अपनी किताब “इह्याउल उलूम” में बताया है कि पड़ोसियों से कैसे बरताव करना चाहिए और एक पड़ोसी का दुसरे पड़ोसी पर क्या हक़ है, ( Padosiyon Ke 20 Huqooq In Islam ) फरमाते हैं कि एक पड़ोसी का दुसरे पड़ोसी पर ज़रूरी है कि……
1.सलाम में पहल करना
यानि उसके सलाम का इन्तेज़ार न करके ख़ुद सलाम करना
2. उकता देने वाली लम्बी गुफ्तगू न करना
आम तौर से कुछ लोग फुर्सत में रहते हैं तो वो हर निकलने वालों को बातों में लगा कर उनका वक़्त बरबाद करते हैं और ये ध्यान में नहीं रखते कि सामने वाला बहुत मसरूफ आदमी है इसलिए इसका ख्याल ज़रूर रखें
3. हाल चाल खबर मालूम करते रहना
खैरियत मालूम करते रहने से ये फ़ायदा होगा कि पड़ोसी को कोई ज़रुरत पेश आ गयी तो बगैर किसी दिक्क़त के वो इज़हार कर सकता है
4. बीमार है तो उसकी मुलाक़ात के लिए जाना
हदीस में बीमार शख्स की खैरियत मालूम करने और मुलाक़ात के लिए जाने पर बहुत बड़े सवाब की खुशखबरी सुनाई गयी है ख़ास कर जब वो पड़ोसी हो तब तो अपनी ज़िम्मेदारी भी बनती है कि उसके पास खैर खबर के लिए जाया जाये
5. मुसीबत में हो तो उससे हमदर्दी का इज़हार करना
कई बार ऐसा होता है कि कोई बंदा किसी मुसीबत में गिरफ्तार है और उस मुसीबत को टालने की किसी के अन्दर ताक़त नहीं है तो कम से कम उससे हमदर्दी के दो अलफ़ाज़ ही कह दे और उसे ये महसूस कराये कि मैं उसके साथ हूँ
6. तकलीफ़ के दिनों या पड़ोस में मौत या इन्तेक़ाल के वक़्त उसका पूरा साथ देना
पड़ोस में किसी का इन्तेक़ाल हो जाये तो उसकी और उसके मेहमानों की खबरगीरी करना हर पड़ोसी की ज़िम्मेदारी है
7. अगर कोई खुशी उसे हासिल हो तो उसको मुबारकबाद देना
पड़ोसी की ख़ुशी में शामिल होना और उसकी इस ख़ुशी के लिए बरकत की दुआ करना एक अच्छे पड़ोसी की निशानी है
8. उसकी गलतियों को माफ़ करना
कभी अगर साथ रहते हुए कोई बात हो जाये तो उस बात को बतंगड़ न बना कर अल्लाह के लिए दर गुज़र कर देना जिससे झगडा न हो
9. अपनी छत से उसके मकान में न झांकना
कोई पड़ोसी कहता नहीं लेकिन ये उसके लिए बहुत तकलीफ़देह बात है कि छत पर से उसके घर के अन्दर कोई झांके
10. अपना परनाला उसके मकान की तरफ न करना
यानि अपनी छत के पानी का रास्ता उसके घर से हटा कर करना
11. कूड़ा करकट उसके मकान की तरफ़ न डालना
घर के सामने कूड़ा करकट डालने से दिलों में मैल आ जाते है और फिर बात झगड़े तक पहुँच जाती है
12. उसके मकान का रास्ता तंग न करना
अपना घर इस तरह न बनाना या कोई सामान इस तरह न रखना कि पड़ोसी को निकलने में तकलीफ़ हो
13. वो जो कुछ अपने मकान में ले जा रहा हो उसको गौर से न देखना
थैली में कुछ भी हो लेकिन इस तरह मत देखना कि उसको तकलीफ़ हो
14. उसकी कमजोरियों को छिपाना और उसकी परदापोशी करना
हर इन्सान के अन्दर कमजोरी होती है तो अगर आप उसकी कमजोरियों पर पर्दा दाल देते हैं तो अल्लाह आप की खताओं पर पर्दा दाल देते हैं
15. ज़रुरत के वक़्त उसका पूरा साथ देना
हर पड़ोसी अगर अपने पड़ोसी की ज़रुरत के वक़्त काम में आने लगे तो कोई परेशान न रह जाये
16. जिन दीनी या आम बातों से वो बेख़बर हो उसमें उसकी रहनुमाई करना
कोई दीनी बात तुम्हें मालूम है और उसे नहीं तो उसे बताना या कोई दुनियावी खबर जो उसे न मिल सकी तो इस बात में भी रहनुमाई करना
17. उसकी ग़ैर मौजूदगी में उसके घर का ख़याल रखना
पड़ोसी अगर मौजूद नहीं तो उसके घर वालों की इज्ज़त और ज़रुरत का ख़याल रखना
18. उसके खिलाफ न कोई चुगली या गीबत करना और न सुनना
पीठ पीछे बुराई तो वैसे ही हराम है और पड़ोसियों में ऐसा करना न इत्तेफाकी पैदा करता है
19. उसकी औरतों की तरफ़ से निगाहें झुकाए रखना
पड़ोस की औरतें न महरम हैं इसलिए अपनी नज़रें झुकाए रखना
20. उसके बच्चों से भाई या औलाद की तरह मुहब्बत रखना
अपने बच्चों की तरह ही पड़ोसी बच्चों से मुहब्बत से पेश आना
अल्लाह हम सबको अपनी जिम्मेदारियां पूरी करने की तौफ़ीक़ अता फरमाए