Qaza E Umri Namaz Ka Asan Tareeqa
क़जाए उमरी कैसे अदा करें ?
क़जाए उमरी ( Qaza E Umri ) का मतलब : अपनी पिछली उम्र भर की छूटी हुई नमाज़ों को अदा करना
कैसे पता चले कि इतनी नमाज़ें क़ज़ा हुईं ?
एक शख्स है जो 30 साल का हो गया और उसने एक नमाज़ भी नहीं पढ़ी, फिर उसे अपनी ग़लती का अहसास हुआ, तो वो जब से बालिग़ हुआ है उस वक़्त से लेकर 30 साल ( अपनी उम्र ) तक की नमाज़ें क़ज़ा करेगा, क्यूंकि बालिग़ होने से पहले नमाज़ फ़र्ज़ नहीं है
मुझे नहीं मालूम मैं कब बालिग़ हुआ तो क्या करूं ?
अगर आपको याद नहीं है कि आप कब बालिग़ हुए तो 15 साल की उम्र से हिसाब लगा लें 15 साल की उम्र के बाद जितनी उम्र आपकी हुई है उतने साल की नमाज़ क़ज़ा करें जैसे आप 30 साल के हैं तो 15 साल की उम्र के हिसाब से 30 साल तक 15 साल की नमाज़ें छूटी हैं ऐसे ही आप अंदाज़ा लगा लें |
कभी नमाज़ पढता रहा और कभी छोड़ता रहा तो कैसे हिसाब लगायें ?
एक शख्स वो है जो कभी नमाज़ पढता रहा और कभी छोड़ता रहा तो वो अपने दिल से पूछे कि कितनी नमाज़ें छूटी है, दिल जितनी नमाज़ों पर मुतमइन हो जाये 5 साल हो या 7 साल बस उतनी नमाज़ों की क़ज़ा कर ले | बेहतर ये होगा कि हिसाब लगा कर लिख लें कितनी नमाज़ें छूटी हैं फिर पढ़ते जाएँ और काटते जाएँ ऐसे आप भूलेंगे नहीं |
क़जाए उमरी की नियत कैसे करें ?
उनकी नियत इस तरह करनी है कि जो सब से पहली मेरी फ़ज्र, (ज़ुहर, असर, मगरिब या ईशा) नमाज़ छूटी है उसको अदा करने जा रहा हूँ
जब ये नमाज़ अदा हो जाएगी तो इसके बाद वाली नमाज़ खुद ब खुद पहले नंबर पर आ जाएगी तो जब आप अगली बार नियत करेंगे तो फिर यही कहेंगे जो सब से पहली मेरी फ़ज्र, (ज़ुहर, असर, मगरिब या ईशा) नमाज़ छूटी है उसको अदा करने जा रहा हूँ
जैसे आपकी 100 नमाज़ें छूटी हैं तो जब 100 वीं नमाज़ अदा कर लेंगे और वो अपने जिम्मे से हट जाएगी तो 99 वीं नमाज़ खुद पहले नंबर पर आ जाएगी |
क़ज़ा नमाज़ों को अदा करने का आसान तरीक़ा
जब आप फ़ज्र नमाज़ पढ़ें तो पिछली एक फज्र की क़ज़ा कर लें, और जब जुहर नमाज़ पढ़ें तो पिछली एक ज़ुहर की क़ज़ा पढ़ लें इसी तरह पाँचों नमाज़ों में करें
अगर आप ऐसी ही पूरे साल करते रहे तो आपको पता भी नहीं चलेगा और एक साल की क़ज़ा पढ़ चुके होंगे इसी तरह जितने साल आप पढ़ते रहेंगे आप उतने ही साल की क़ज़ा भी पढ़ चुके होंगे |
क्या तरतीब से सिलसिलेवार नमाज़ पढना ज़रूरी है ?
नहीं, अगर आप चाहें तो पहले सिर्फ सारी छूटी हुईं फज्र की ही क़ज़ा पढ़ लें फिर ज़ुहर और फिर बाद में अस्र
और अगर आप चाहे तो दिन भर की नमाज़ पहले पढ़ें जैसे फज्र, जुहर, अस्र, मगरिब, ईशा उसके बाद अगले दिन की नमाज़ पढ़ें
अगर आप चाहें तो एक ही दिन में कई दिन की क़ज़ा पढ़ना चाहें पढ़ सकते हैं और अगर आपके पास वक़्त था आपने सोचा कि पाँचों वक़्त की नमाज़ें पढ़ लूं तो ये भी कर सकता हूँ
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