Qaza Roze Kaise Rakhen
रोजों की क़ज़ा कब ज़रूरी है ?
आप ने पिछली पोस्ट में रोज़े के कफ्फारे के बारे में पढ़ा लेकिन कुछ चीज़ें और आपको समझनी हैं वो ये हैं कि हर जगह कफ्फारा नहीं देना पड़ता है बल्कि कुछ जगहों पर सिर्फ़ क़ज़ा करनी होती है यानि एक रोज़े के बदले में एक रोज़ा ही रखना होता है | यहाँ आप जान लीजिये कि क़ज़ा हो जाना यानि छूट जाना |
कफ्फारे का मतलब : इसमें एक रोज़ा तोड़ने के बदले या तो गुलाम या बांदी आज़ाद करे या 60 रोज़े बगैर नागा किये हुए रखे या 60 मिसकीनों को खाना खिलाये |
रोजों की क़ज़ा : इसमें एक रोज़े के बदले सिर्फ एक रोज़ा रखना होता है
रोजों की क़ज़ा कब ज़रूरी है ?
यहाँ पर हम उन वजहों को बयान करेंगे जिन में सिर्फ क़ज़ा करनी होगी यानि एक रोज़ा रखना होगा कफ्फारा अदा नहीं करना होगा
1. भूल से खाने के बाद जानबूझकर खाया
भूल कर खाने से रोज़ा नहीं टूटता लेकिन भूल कर खाया पिया, फिर याद आने पर उसने सोचा कि मेरा रोजा टूट गया और फिर खाना खा लिया तो इस सूरत में क़ज़ा है कफ्फारा नहीं |
2. बीवी के साथ बोसो किनार की वजह से इन्ज़ाल
अगर बीवी के साथ गुश्गावार लम्हात में इन्जाल हो गया ( यानि मनी निकल आई ) तो रोज़ा टूट जायेगा उसकी क़ज़ा करनी पड़ेगी कफ्फारा नहीं |
3. एह्तेलाम (नाईट फाल ) के बाद खाना पीना
नाईट फाल से रोज़ा नहीं टूटता है लेकिन अगर किसी ने गलती से यह समझा कि नाईट फाल की वजह से रोजा टूट गया और उसने खा पी लिया तो रोज़ा टूट जायेगा और इसकी क़ज़ा करनी होगी कफ्फारा नहीं |
4. सख्त बीमारी की वजह से रोजा तोड़ना
अगर किसी ने बहुत बीमारी की वजह से रोजा तोड़ दिया तो सिर्फ क़जा करे कफ्फारा नहीं |
5. मुंह में पान या गुटखा दबाकर रखना
कोई शख्स मुंह में पान या गुटखा दबा कर सो गया और सहरी में आंख नहीं खुली, सुबह आंख खुली तो रोजा नहीं हुआ अब सिर्फ क़ज़ा करे, कफ्फारा वाजिब नहीं
6. कुल्ली करते वक्त पानी अंदर जाना
कुल्ली करते वक्त अचानक पानी चला गया और उसको याद था कि आज उसका रोजा है तो रोजा टूट जाएगा सिर्फ क़ज़ा होगी कफ्फारा नहीं |
7. नाक में दवा डालना
अगर किसी ने रोजे की हालत में नाक में दवा डाली तो रोजा टूट जाएगा और सिर्फ कज़ा होगी |
8. हुक्का या बीड़ी पीना
बीड़ी सिगरेट पीने से रोजा टूट जाता है लेकिन सिर्फ क़ज़ा वाजिब होती है
9. मुसाफिर ने रोज़ा तोड़ दिया
अगर कोई शख्स अपने घर में रोज़ा रख कर सफ़र में गया और सफ़र में रोज़ा तोड़ दिया तो सिर्फ क़ज़ा वाजिब होगी कफ्फारा नहीं
10. मुश्त्ज़नी करना ( Masturbation )
मुश्त्ज़नी करना बहुत बड़ा गुनाह है और इस्लाम में इसकी इजाज़त नहीं अगर किसी ने रोज़े की हालत में मुश्त्ज़नी की तो रोज़ा टूट जायेगा और सिर्फ क़ज़ा वाजिब होगी कफ्फारा नहीं
नोट : रोजा टूटने के बाद भी रोजेदार की तरह रहे यानि रमजान में अगर किसी का रोजा टूट गया तो बाकी दिन भी रोजेदारों की तरह रहे खाने पीने में मशगूल ना हो जाए |
रोजों की क़ज़ा कैसे करें
अगर किसी का रमज़ान का रोज़ा छूट जाये तो ईद के बाद से अगला रमज़ान आने से पहले पहले ही उसे ज़रूर रख ले वरना गुनाहगार होगा और क़ज़ा में एक रोज़े के बदले एक ही रोज़ा रखना होता है |