Qurbani Ki Dua | Qurbani Ka Tareeqa
क़ुरबानी का तरीक़ा और दुआ
आप ने हज़रत इब्राहीम अ.स. का एक मशहूर वाक़िया ज़रूर सुना होगा जिसमें उन्होंने अल्लाह के हुक्म से अपने बेटे हज़रत इस्माईल अ. स. को ज़बह करने का इरादा किया, लेकिन अल्लाह तआला ने जन्नत से क़ुरबानी के लिए एक मेंढा भेज दिया क्यूंकि अल्लाह तआला अपने नबी को सिर्फ आज़माना चाह रहे थे कि उनके अन्दर मेरी मुहब्बत ज्यादा है या अपने बेटे की, यहीं से क़ुरबानी कि शुरुआत हुई |
Meaning Of Qurbani In Hindi | क़ुरबानी को क़ुरबानी क्यूँ कहते हैं ?
क़ुरबानी लफ्ज़ कुर्बान से बना है मतलब है कि किसी चीज़ के ज़रिये अल्लाह कि कुर्बत चाहना अल्लाह के करीब होने कि तमन्ना रखना
अब क्यूंकि इन्सान इस अमल ( जानवर ज़बह ) से भी अल्लाह के करीब होना चाहता है इसलिए इसको भी क़ुरबानी कहा गया
Qurbani Ka Tareeqa |क़ुरबानी का तरीक़ा और दुआ
1. छुरी तेज़ कर लें ( ताकि जानवर को ज्यादा तकलीफ न हो )
2. जानवर को किबला रुख लिटायें
3. फिर ये दुआ पढ़ें ( Qurbani Ki Dua )
4. फिर कहें अल्लाहुम्मा तक़ब्बल्हू मिन्का व लका
5. फिर बिस्मिल्ला अल्लाहु अकबर कह कर ज़बह करें
6. ज़बह के बाद ये दुआ पढ़ें
अगर अपने नाम से क़ुरबानी कर रहा हो तो ( ऊपर वाली दुआ में ) मिन्नी कहे लेकिन अगर दुसरे के नाम से कर रहा हो तो मिन्नी की जगह मिन कह कर उस का नाम लेले |
क़ुरबानी किस दिन करनी चाहिए ? Qurbani Ke Din Kaun Se Hai
जिल हिज्जा की 10 11, 12, तारीख इस तीन दिनों में किसी दिन भी क़ुरबानी कर सकते है हाँ पहले दिन यानि 10 जिल हिज्जा को क़ुरबानी करना अफज़ल है |
क्या क़ुरबानी के बदले सदक़ा खैरात करने से क़ुरबानी अदा हो जायेगी ?
नहीं ! क्यूंकि क़ुरबानी एक बाक़ायदा इबादत है जैसे नमाज़ पढने से रोज़ा और रोज़ा रखने से नमाज़ अदा नहीं होती और ज़कात अदा करने से हज अदा नहीं होता, ऐसे ही सदक़ा खैरात करने से क़ुरबानी अदा नहीं होती |
लेकिन तीन दिन गुज़र गए क़ुरबानी न कर सका तो..
अगर क़ुरबानी के तीन दिन यानि 10, 11, 12, गुज़र गए और गफलत में क़ुरबानी न कर पाया तो क़ुरबानी की कीमत गरीबों पर सदक़ा करना वाजिब है लेकिन क़ुरबानी के दिनों में सदके से काम नहीं चलेगा |
Qurbani Ka Gosht | क़ुरबानी का गोश्त
गोश्त के तीन हिस्से करें
1. एक हिस्सा अपने घर वालों के लिए रखें
2. एक दोस्तों व रिश्तेदारों के लिए रखें
3. और एक गरीब व मिस्कीन के लिए रखें
Qurbani Ki Khaal | क़ुरबानी की खाल
क़ुरबानी के जानवर की खाल को अपने इस्तेमाल में लाना जाएज़ है जैसे मुसल्ला या डोल वगैरा बना लिया, लेकिन अगर उसको बेच लिया तो उसकी कीमत अपने इस्तेमाल में लाना जाएज़ नहीं बल्कि उसका सदक़ा करना ज़रूरी है |
अल्लाह हम सबको अमल करने और सही बात को दूसरों तक पहुँचाने कि तौफ़ीक़ अता फरमाए