Ramadan 2020
चार आदमी जिन की बखशिश रमज़ान में भी नहीं होगी
रमज़ानुल मुबारक ( Ramzanul Mubarak ) में जैसा कि हर रात दस लाख ऐसे आदमियों की बखशिश की जाती है कि जिन पर जहन्नम वाजिब हो चुकी थी, और उन से फरमा दिया जाता है कि जाओ आज़ाद किया, और रमज़ानुल मुबारक की आखिरी रात में इतने लोगों को माफ़ किया जाता है जितने लोगों को पहले रमज़ान से आख़िरी रमज़ान तक,
अल्लाहु अकबर ! इतने लोगों को माफ़ किया जाता है रमज़ानुल मुबारक में, ऐसा लगता है जैसे रहमतों का सैलाब हो जो बन्दों के गुनाहों को बहा कर ले जाता है, लेकिन चार आदमी ऐसे हैं जिनकी बखशिश रमज़ानुल मुबारक और शबे क़द्र में भी नहीं होती इसलिए इन से बढ़ कर और बदक़िस्मत और कौन हो सकता है |
1. वो शराबी जिस ने तौबा न की हो
शराब इतनी गन्दी चीज़ है कि दिल को गन्दा करती है, जिस तरह पेशाब एक गन्दगी है उसी तरह शराब भी लोग पेशाब से तो घिन करते हैं लेकिन इससे और भी ज्यादा करना चाहिए, क्यूंकि ये तमाम खबासतों की जड़ है |
तो जो लोग रमज़ान में अपने गुनाहों की माफ़ी के तलबगार हैं, उन्हें चाहिए कि शराब से तौबा कर लें, हदीस शरीफ़ में आता है कि एक बार शराब पीने से चालीस दिन तक नमाज़ कुबूल नहीं होगी |
2. वालिदैन की नाफ़रमानी करने वाला
दूसरा आदमी जिसकी मगफिरत नहीं होती वो है वालिदैन की नाफ़रमानी करना, ज़रा सोचिये ! जिस माँ ने नौ महीने बच्चे को पेट में रखा हो फिर जिस हालत में उसको पैदा किया वो सिर्फ उसकी माँ से पूछो, फिर दो साल तक उसे अपने जिगर का खून पिलाया जिसे “दूध” कहते हैं फिर अगर कहीं वो बीमार हो गया, तो उसकी फ़िक्र में माँ और बाप दोनों ने जाग कर रात काटी,
इन मुहब्बतों और अजमतों का हक तो औलाद किसी भी हाल में अदा कर ही नहीं सकती, फिर इस पर वालिदैन की नाफ़रमानी करना ये तो इतना बड़ा जुर्म है जिसकी माफ़ी रमज़ान में भी नहीं जब तक अपने वालिदैन का फरमाबरदार न बन जाये |
3. रिश्तों को तोड़ने वाला
तीसरा वो शख्स जिसने अपने अज़ीज़ रिश्तेदारों से ताल्लुक़ तोड़ रखा हो, ये ऐसा जुर्म है जिसकी सज़ा दुनिया में ही मिलना शुरू हो जाती है, एक हदीस में इरशाद है कि रिश्तों को तोड़ने वाला जन्नत में नहीं जायेगा, अल्लाहु अकबर ! इतना बड़ा गुनाह कि जन्नत से ही महरूम कर दिया जायेगा और शबे क़द्र में बखशिश भी नहीं होगी |
4. कीना रखने वाले का गुनाह
जिस शख्स के दिल में किसी मुसलमान की तरफ से कीना कपट हो, उन लोगों की मगफिरत इस रमज़ान की अहम् रात शबे क़द्र में भी नहीं होगी इसलिए हर किसी की तरफ से दिल साफ़ रखना ज़रूरी है |
आखिर में मैं इतना कहूँगा कि अगर हमें ये रमज़ान मिला है तो इसको अल्लाह की रहमत समझो, वरना पता नहीं अगला रमज़ान मिले न मिले, इसलिए अगर शराब का आदी हो, वालिदैन का नाफरमान हो, रिश्तेदारों से ताल्लुक़ तोड़ रखा हो या किसी मुसलमान से हसद, जलन और कीना रखते हों तो अल्लाह के हुज़ूर तौबा कर लें अल्लाह बड़ा गफूरुर रहीम है |
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जुमा के दिन जीस शहर की मस्जिद मे जूमा की नमाज नाही पढी जाती वहा लॉक डाऊन की वजाह से जुहर की नमाज जमात से पाढी जा सक्ती हैं?