Ramzan Ki Duayen | रमज़ान के पहले दुसरे और तीसरे अशरे की दुआ

Ramzan Ki Duayen

Ramzan Ki Duayen

रमज़ान के पहले दुसरे और तीसरे अशरे की दुआ

जैसा कि रमज़ान रहमतों और मगफिरत का महीना है और इस में की गयी इबादत और नेकियों का सवाब कई गुना बढ़ कर मिलता है और इस में कुरान की तिलावत की बड़ी फ़ज़ीलत है, और इस में कुछ दुआएं ऐसी हैं…

जिनका पढना एक बहुत बड़ा सवाब है

जिनसे अल्लाह की रहमत हम पर छा जाती है

उसकी मगफिरत हम को अपने दामन में समेट लेती है

और चूकि रमज़ान में ये दुआयें पढ़ रहे है तो इसके सवाब का आप अंदाज़ा नहीं लगा सकते, इसलिए इन तीनों अशरों यानि तीसों दिन में आपकी ज़ुबान पर ज्यादा से ज्यादा ये दुआए जारी रहनी चाहिए

 

रमज़ान के तीन अशरे क्या और कौन कौन से हैं ?

1. पहला अशरा (यानि रमज़ान के पहले 10 दिन) ये अशरा रहमत का है

2. दूसरा अशरा (यानि रमज़ान के दुसरे 10 दिन) ये अशरा मगफिरत का है

3. तीसरा अशरा (यानि रमज़ान तीसरे 10 दिन) ये अशरा जहन्नम से नजात और खलासी का है

आप ने तीनों अशरों के बारे में जान लिया तो अब ये भी जान लीजिये कि इस में पढ़ी जाने वाली दुआए कौन सी हैं, वो दुआएं रमज़ान के अलग अलग अशरे में पढ़ी जाती हैं यानि रमज़ान के पहले दस दिन एक दुआ दुसरे दस दिन दूसरी दुआ तीसरे दस दिन तीसरी दुआ पढ़ी जाती है |

Ramzan Ki Duayen

रमज़ान के पहले अशरे की दुआ

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Dua In Hindi :  रब्बिग फ़िर वरहम व अंता खैरुर राहिमीन

Translation : ए मेरे रब मुझे बख्श दे, मुझ पर रहम फरमा, तू सब से बेहतर रहम फरमाने वाला है

रमज़ान के पहले दस दिन अल्लाह से रहम की तलाश करने के लिए सबसे अच्छे है, क्योंकि इसमें उसके रहम की कोई सीमा नहीं होती है, वह आपको आपकी उम्मीद से कहीं ज्यादा देगा |

रमज़ान के दुसरे अशरे की दुआ

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Dua In Hindi : अस्तग फ़िरुल लाहा रब्बी मिन कुल्लि ज़म्बिव व अतूबु इलैह

Translation : मैं अल्लाह से तमाम गुनाहों की बखशिश मांगता हूँ जो मेरा रब है और उसी की तरफ रुजू करता हूँ

रमजान का ये अशरा 11 वें रोज़े से लेकर 20 वें तक रहता है, हम सभी को इसमें अपने किए हुए गुनाहों से अस्तग्फार और गुनाहों की माफ़ी मांगनी चाहिए और खुद से वादा करना चाहिए कि आप फिर से वही गुनाह नहीं करेंगे।

रमज़ान के तीसरे अशरे की दुआ

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Dua In Hindi : अल्लाहुम्मा अजिरना मिनन नार

Translation : ए अल्लाह ! हमको आग से पनाह दे दीजिये

रमजान के इस आखिरी अशरे यानि 21 से 30 तक शबे क़द्र और लैलतुल क़द्र के भी होते हैं, इसमें जहन्नम से खलासी और छुटकारे की दुआ मांगनी चाहिए और ऊपर दी गयी दुआ में आग से ही पनाह मांगी गयी है |

इन दुआओं को पढ़ें और शेयर करें |

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