Rizq Pane Ke 15 Tareeqe
रिज्क हासिल करने के 15 तरीक़े
इंसान की सुबह से लेकर शाम तक की दौड़ भाग का अक्सर हिस्सा सिर्फ और सिर्फ रोज़ी रोटी यानि रिज्क की तलाश में गुज़रता है लेकिन अगर उसे उसकी ज़रुरत के मुताबिक़ रोज़ी न मिल पायी तो परेशान हो जाता है और इस परेशानी में अगर सब्र व बर्दाश्त न हो सका तो इस के लिए चोरी चकारी, डकैती, मारा मारी और क़त्ल पर उतर आता है |
आज हम रोज़ी और रिज्क मिलने 16 दरवाज़े बताएँगे जिन को आप ठीक से समझ गए तो इंशाअल्लाह आपको हराम और नाजायेज़ काम की तरफ जाना ही नहीं पड़ेगा और इन रास्तों से होते हुए खूब मालामाल हो जायेंगे |
1. नमाज़ पढ़ना
इन्सान की ज़िन्दगी में बरकत अल्लाह तआला ने नमाज़ में रखी है जो नमाज़ से महरूम रहता है वो रिज्क की बरकत से महरूम हो जाता है उसके पास मालो दौलत कितनी भी आ जाये लेकिन परेशानियाँ उसका पीछा नहीं छोड़तीं
मालो दौलत के होते हुए भी परेशानियों की वजह क्या है, वजह यही है कि उसकी ज़िन्दगी और माल में बरकत नहीं है सिर्फ माल की कसरत ( ज़्यादती ) है, अब आप ख़ुद फैसला करें कि नमाज़ छोड़ कर किसका नुक़सान कर रहे हैं
2. इस्तिग्फार करना
इस्तिग्फार का मतलब होता है कि अपने गुनाहों की माफ़ी माँगना चाहे वो जानबूझ कर किये हों या अनजाने में, लोगों के सामने किये हों या अकेले में, अगर हम अपने गुनाहों का हिसाब करने बैठ जाएँ तो हम सोच भी नहीं सकते कि दिन भर में कितने गुनाह हो जाते हैं |
इसलिए इस्तिग्फार से न सिर्फ हमारे गुनाह माफ़ होते हैं बल्कि हमारा रिज्क बढ़ जाता है और ऐसी जगह से रिज्क आने लगता है कि वहमो गुमान में भी नहीं होता है कि ऐसा भी हो सकता है मैंने तो आज़माया है अब बारी आपकी है |
3. सदक़ा करना
अल्लाह के रास्ते में अल्लाह ही के नाम पर अपनी कमाई में से किसी की ज़रुरत पूरी करना जो ऐसा करता है तो अल्लाह तआला उस बन्दे को कई गुना बढ़ा कर देने का वादा करते हैं और इसका तजरिबा तो मुस्लिम छोड़ो ग़ैर मुस्लिम भी कर चुके हैं |
4. तक़वा इख्तियार करना
अल्लाह के डर से गुनाहों से बचते रहना क्यूंकि जो ऐसा करेगा उसके लिए क़ुरान में अल्लाह तआला ने फ़रमाया है, जो अल्लाह का तक़वा इख्तियार करेगा अल्लाह उसके लिए रास्ते बना देगा |
5. अल्लाह पर तवक्कुल ( भरोसा ) करना
जो इस बात पर भरपूर यक़ीन रखता है कि देने और अता करने वाली ज़ात सिर्फ़ अल्लाह की है तो अल्लाह उसके रिज्क में बढ़ोतरी कर देते हैं और शक करने वाले तो वैसे भी दुनिया में हर किसी पर शक की वजह से परेशान ही रहते है |
6. अल्लाह का शुक्र अदा करते रहना
अगर आप अल्लाह तआला की दी हुई नेअमतों का शुक्र अदा करते हैं जुबान से, दिल से और अमल से तो अल्लाह तआला उन तमाम नेअमतों में इज़ाफ़ा करने वादा कर चुके हैं
7. माँ बाप की फ़रमा बरदारी करना
अल्लाह तआला ने क़ुरान में कई जगह पर अपने माँ बाप का हुक्म माने को कहा है और उनकी नाफ़रमानी पर अपनी नाराज़गी जताई है इसलिए अगर आप अपने माँ बाप की इज्ज़त और खिदमत करते हैं तो अल्लाह तआला न सिर्फ खुश होते हैं बल्कि रोज़ी में इज़ाफ़ा कर देते हैं |
8. हमेशा बावुजू रहना
यानि जैसे ही आपका वुज़ू टूटता है फ़ौरन आप वुज़ू कर लेते हैं और हमेशा बावुज़ू रहते हैं तो इस पर हमारे नबी (सल्लल लाहु अलैहि वसल्लम) ने रिज्क और रोज़ी में खूब बरकत का वादा फ़रमाया है और सहाबा और बुज़ुर्गाने दीन का इस पर अमल रहा है |
9. रिश्तेदारों से अच्छा सुलूक करना
हदीस में सिला रहमी यानि रिश्तों को जोड़ने पर बहुत ज़ोर डाला गया है और इसको बरकत की वजह बताया गया है कि इससे इन्सान की ज़िन्दगी में बरकत होती है इसलिए जो रिश्तेदार तुमसे रिश्ता तोड़ें, उनसे भी अच्छी तरह से पेश आओ और जोड़ने की बात करो तोड़ने की नहीं |
10. ग़रीबों की मदद करना
कोई ग़रीब या बे सहारा है तो मुश्किल में उन का साथ देना, और उनका गम बांटना और अगर कोई बच्चा यतीम है उसके सर पर शफ़क़त और मुहब्बत भरा हाथ रखना इसके अलावा बेवा व बेसहारा लोगों की जितनी हो सके मददा करना ज़िन्दगी में बरकत लाता है |
11. सूरह वाक़िया पढ़ना
अल्लाह के नबी (सल्लल लाहू अलैहि वसल्लम) की हदीस के मुताबिक़ जो शख्स रोजाना सूरह वाक़िया पढ़ता है उसे कभी फाक़ा नहीं हो सकता यानि अगर इन्सान इस सूरह को रोजाना अपने घर में पढ़ता है तो इंशाअल्लाह कभी वो तंगदस्त नहीं रहेगा |
12. दुआएं मांगते रहना
दुआ तो एक मुसलमान का हथियार है हमारे नबी को जब भी कोई ज़रुरत पेश आती तो आप मस्जिद की तरफ रुख किया करते और अल्लाह से उस चीज़ के लिए दुआएं करते तो अल्लाह उस क़ुबूल करते थे |
हम ने अल्लाह से माँगना छोड़ दिया जिसकी वजह से कई बार ऐसा होता है कि हम कई दरवाज़े खटखटाते हैं तो मायूसी हाथ लगती है लेकिन हम से इतना नहीं हो पाता अल्लाह का दरवाज़ा खटखटाएं |
13. नफ्ली इबादत करते रहना
जो लोग ज़्यादा से ज़्यादा नफ्ली इबादत करते रहते हैं तो उन पर तंगदस्ती के दरवाज़े बंद हो जाते हैं क्यूंकि फ़र्ज़ की ड्यूटी करने के बाद अपने शौक़ से अल्लाह की इबादत में लगा है तो अल्लाह ऐसे शख्स को महरूम नहीं करते |
अल्लाह तआला फरमाते हैं कि तू इबादत में कसरत नहीं करेगा तो मैं तुझे दुनियावी कामों में उलझा कर रख दूंगा, लोग फ़र्ज़ तो अदा कर लेते हैं लेकिन नफ्ल नमाज़ को नफ्ल समझ कर छोड़ देते हैं जिससे रिज्क में रुकावट आ जाती है
14. हज और उमरा करना
हज और उमरा भी तंगदस्ती को दूर करता है क्यूंकि हज और उम्र करने से गुनाहों से इंसान पाक हो जाता है और इस पाक इंसान को अल्लाह तआला खूब नवाजते हैं इसलिए अगर अल्लाह ने आपको नवाज़ा है तो ज़रूर ऐसा कीजिये वरना कम से कम हज और उम्रे की ख्वाहिश ज़रूर रखिये |
15. चाश्त की नमाज़ पढ़ना
चाश्त की नमाज़ नफ्ल नमाज़ है जो दस बजे के करीब पढ़ी जाती है
ये रिज्क के कुछ राज़ थे जिनको अभी बयान किया गया अल्लाह त आला हम सबको इन पर करके रिज्क की नेअ मत हासिल करने की तौफ़ीक़ अता फरमाए |
Masha Allah