Sachcha Momin Kaun Hai ?
सच्चे मोमिन की पहचान क्या है ?
मुस्लिम एक ऐसा शख्स है जो कालिमा तय्यबा कहकर इस्लाम को क़ुबूल करता है ये अक़ीदा रखते हुए कि अल्लाह एक है, उसके अलावा कोई इबादत और पूजे जाने के लाइक नहीं है और पैगंबर मोहम्मद (स.अ.) उसके आख़िरी रसूल है।
लेकिन सच्चा मोमिन वही है जो जिसे ईमान की दौलत नसीब हुई हो और उसकी रूह और दिल दिमाग़ पर सिर्फ एक अल्लाह के ईमान की छाप हो और उसकी तमाम ज़िन्दगी क़ुरान के बताये गए कानून और उसूल और नबी की सुन्नत के मुताबिक़ गुज़रती हो
अल्लाह तआला ने सच्चे मोमिन की पहचान क़ुरान में कुछ इस तरह की है मोमिन तो वो लोग हैं कि जब उन के सामने अल्लाह का ज़िक्र होता है तो उन के दिल डर जाते हैं और जब उनके सामने उसकी आयतें पढ़ी जाती हैं तो वो आयतें उनके इमान को और बढाती हैं और वो लोग जो नमाज़ कायम करते हैं और हम ने उनको जो रिज्क दिया है उस में से अल्लाह के रास्ते में ख़र्च करते हैं यही लोग हैं जो हक़ीक़त में मोमिन हैं उनके लिए उनके रब के पास बड़े दर्जे हैं, मगफिरत और बाइज्ज़त रिज्क है (8: 2-4)
कुरान पाक में सच्चे मोमिनों की कुछ ख़ासियतें बयान की हैं
नीचे कुछ सच्चे मोमिनों अलामतें और ख़ासियतें बयान हो रही हैं इसलिए अगर आप अपने आप को मोमिन कहते हैं तो ये तमाम ख़ासियतें अपना लीजिये जिसको क़ुरान एक मोमिन से उम्मीद रखता है
1. अल्लाह पर पूरा यक़ीन रखने के साथ साथ एक मोमिन हमेशा उसका ज़िक्र करता रहता है क्यूंकि अल्लाह तआला ने कुरआन में फ़रमाया है : “वो लोग जो ईमान लाये और अल्लाह की याद से उन के दिल को सुकून मिलता है, जान लो ! अल्लाह की याद ही से दिलों को सुकून मिलता है”
2. मोमिन वह है जो अल्लाह के सामने पूरी ईमानदारी से और घमंड और तकब्बुर की भावना के बिना खड़ा होता है। अल्लाह तआला ने कुरान में फ़रमाया है कि सच्चे मोमिन वे हैं जो अपनी दुआओं में आजिज़ी इख्तियार करने वाले हैं।
3. सबसे अहम् बात एक मोमिन की ये होती है कि वो हक़ को अपनाता है चाहे कैसे भी हालात आ जाये यह हर सच्चे मोमिन की ख़ास निशानी है कि हक़ बात से किसी भी हाल में पीछे हटने को तैयार नहीं होता । कुरान पाक में, अल्लाह तआला ने फ़रमाया : “ए ईमान वालों, अल्लाह से डरो और जो सच्चे हैं उनके साथ रहो” (कुरान, 9: 119)।
4. सच्चा मोमिन शिर्क से परहेज करता हैं। क्यूंकि वो जानता हैं कि अल्लाह उन लोगों को माफ नहीं करेगा जो ऐसा करते हैं। सूरह निसा में अल्लाह तआला फरमाते हैं : “बेशक अल्लाह तआला शिर्क को माफ़ नहीं करेंगे उसके अलावा जो भी चाहेंगे माफ़ फरमा देंगे”
5. एक सच्चे मोमिन की निशानी ये है कि वो सादगी के साथ ज़िन्दगी गुज़ारता है। अल्लाह तआला ने पवित्र कुरान में फ़रमाया है: “लोगों से अपना रुख न फेर और ज़मीन पर इतरा कर न चल, यक़ीनन अल्लाह किसी तकब्बुर करने वाले घमंडी को पसंद नहीं करता है” |
6. एक सच्चा मोमिन दूसरों के साथ नरमी से पेश आता है, और दुसरे की गलतियों को न सिर्फ माफ़ करता बल्कि भूल जाता है, क्योंकि बदला लेना नुकसानदह है, जो सिर्फ नेगाविटी को बढ़ाता है लेकिन माफ़ करना अच्छाई को बढ़ावा देता है और अल्लाह के यहाँ दरजात को बलंद करता करता है।
7. सच्चा मुसलमान कभी भी अपनी नमाज़ नहीं छोड़ता है और फ़र्ज़ नमाज़ों की सख्ती के साथ पाबंदी करता है। कुरान पाक में, अल्लाह तआला फरमाते हैं : “बेशक नमाज़ अपने मुक़र्ररा वक्तों में मुसलमानों पर फ़र्ज़ है”
8. मोमिन मर्द और औरतें अल्लाह के हुक्म यानि निकाह के ज़रिये एक दुसरे से जुड़ जाते हैं जिस से वो किसी भी तरह के हराम काम से बच जाते हैं और फिर एक नेक ख़ानदान वुजूद में आता है |
9. एक सच्चा मुस्लमान हमेशा अल्लाह से मदद मांगता है, वो अपनी छोटी छोटी ज़रूरतों के लिए दूसरों के सामने हाथ नहीं फैलाता बल्कि उसका अल्लाह के सामने ही फैलता है तो अल्लाह भी उसको ख़ाली हाथ वापस नहीं भेजता |
सभी ऊपर बताई गयी चीज़ों को अपने अन्दर लाने की कोशिश की जानी चाहिए ताकि अल्लाह की बारगाह में हम साबित कर सकें कि हम सच्चे मोमिन हैं